हमारे यहां जीवनदायिनी ‘गंगा’ है तो मिस्र में ‘नील’ नदी
punjabkesari.in Saturday, Mar 21, 2020 - 02:14 AM (IST)

इजिप्ट या मिस्र अफ्रीका के उत्तर और मिडिल ईस्ट के बगल में है, मैडिटेरेनियन समुद्र से घिरा और इस क्षेत्र को जीवन देने वाली विश्व की सबसे लम्बी नदियों में से एक नील नदी के आगोश में स्थित एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता 4500 वर्ष पुरानी है। अगर नील नदी न होती तो पूरा इलाका रेगिस्तान कहलाता। मिस्र में गीजा के पिरामिड या स्तूप दुनिया के अजूबों में से एक हैं। इन्हें देखने की इच्छा रखने वाले जब इनके करीब होते हैं, तब ही उन्हें एहसास होता है कि वास्तव में ये एक अजूबे ही हैं, वरना ये पिरामिड पत्थरों को जोड़कर रख देने से बनी एक त्रिकोणात्मक आकृति ही लगती है।
ये पिरामिड बनाने में 20 साल लगे और पत्थरों की भारी शिलाओं को यहां तक लाने के लिए केवल मजदूर ही थे, उस समय कोई क्रेन या कोई और तकनीक या मशीनरी नहीं थी। पत्थरों को इतनी ऊंचाई तक ले जाना और उन्हें जोड़े रखना वास्तव में कमाल का काम है। आज तक वे अपनी जगह से हिले नहीं और कुछ आक्रमणकारियों ने इन्हें मिटाने की कोशिश की भी तो नाकामयाब ही रहे। इन पिरामिडों में इन्हें बनवाने वाले राजाओं के शव आज भी ममी के रूप में रखे हैं लेकिन उन्हें सुरक्षा कारणों से देख पाना संभव नहीं है। हिन्दू धर्म की भांति इनका भी पुनर्जन्म में विश्वास है। हमारे यहां आत्मा विलीन होकर किसी योनि में दोबारा जन्म लेती है, इनके यहां शरीर के साथ ही फिर से जीवित होने की मान्यता है और इसीलिए उनके साथ जरूरी सामान और धन-दौलत भी रखी जाती रही है ताकि जब जीवित हो जाएं तो उसी शरीर और राजसी ठाठबाट के साथ जिन्दगी जी सकें।
मिस्र का भारत की प्राचीन सभ्यता के साथ मिलान करें तो कोई समानता तो नहीं है लेकिन प्राचीन इमारतों और उनके अवशेषों में जरूर यह बात है कि इनसे दोनों की सभ्यता या सिविलाइजेशन को समझा जा सकता है। हमारे यहां जीवनदायिनी गंगा है तो मिस्र में नील नदी है। अगर दोनों ही देशों में ये नदियां न होतीं तो क्या हालत होती, उसकी कल्पना करना भी भयावह है। गंगा अनेक स्थानों पर बहुत ही प्रदूषित और गंदगी से भरी है जबकि नील नदी की सफाई देखकर तसल्ली होती है। इसी तरह मिस्र में गाय को सबसे अधिक सम्मान दिया जाता है क्योंकि उसे एक उपयोगी पशु के रूप में मान्यता दी गई है जिस प्रकार हमारे यहां गाय को विशेष और लाभदायक पशु होने का गौरव प्राप्त है। क्रूज में बैठकर नील नदी के आसपास लहलहाते खेतों को देखकर इसकी उपयोगिता समझ में आती है। बस से पूरा रेगिस्तान पार कर नील नदी को देखना सुखद अनुभव है।
मिस्र के शासक जमाल अब्दुल नासिर ने इस देश के आजाद होने के बाद एक तरह से यहां की कायापलट ही कर दी और उसे एक ट्राइबल देश की जगह आधुनिक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नील नदी पर बांध बनाने के लिए ताकि बिजली का उत्पादन हो सके, पहले अमरीका और ब्रिटेन से मदद मांगी गई लेकिन उनकी शर्तें एक तरह से उनकी गुलामी करने जैसी थीं, तब नासिर ने रूस का हाथ थामा और रूस इसलिए मदद को तैयार हुआ क्योंकि उसे मिस्र में अपने हथियारों के कारोबार की अपार संभावनाएं दिखाई दीं व दोनों ने हाथ मिला लिया व इस तरह अमरीका को अंगूठा दिखा दिया। जमाल नासिर और पंडित नेहरू की मित्रता भी इसी आधार पर हुई कि दोनों की आजादी बरकरार रखते हुए रूस ने मदद की जिसका परिणाम दोनों की खुशहाली और बेहतर रिश्तों के रूप में हुआ। मिस्र का सबसे बड़ा टैम्पल कर्णक में है जो अपनी विशालता और पुरातत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मिस्र की पहली रानी का भी स्थान है जिसने देश की समृद्धि में अद्भुत योगदान दिया। इसमें विशाल आकार के 138 खम्बे हैं जिन पर इतिहास की व्याख्या करती आकृतियां हैं जो बताती हैं कि कब किस राजा ने साम्राज्य विस्तार के इरादे से दूसरे देशों पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।
पूर्व को जीवन और पश्चिम को मृत्यु का स्थान मानते हैं
सूर्य को शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इसीलिए पूर्व को जीवन और पश्चिम को मृत्यु का स्थान मानते हैं। मिस्र में भारतीय मान्यता कि पिता ही सृष्टि का निर्माता है, की भांति उसे पिता ही कहा जाता है और वह अंधेरे में रहकर सृष्टि निर्माण करता रहता है। यहां एक कुआंनुमा महल है जिसकी खोज कहते हैं कि संयोग से एक गधे ने की। उसमें 99 सीढिय़ां हैं और जैसे-जैसे नीचे उतरते जाते हैं, इस महल का रहस्य खुलता जाता है। अंदर शवों को ममी के रूप में रखे जाने के लिए खाने बने हुए हैं।
दो भाइयों में से एक भलाई का व दूसरा बुराई का प्रतीक
यहां भी प्राचीन काल की एक कहानी के अनुसार दो भाइयों में एक भलाई और दूसरा बुराई का प्रतीक है। इससे अपने यहां बाली और सुग्रीव की कथा का स्मरण होता है। भलाई के प्रतीक एक भाई को समाप्त करने के लिए बुराई के प्रतीक भाई ने सुलह करने का दिखावा करते हुए सभी सभासदों और अपने भाई को आमंत्रित किया। उसने एक खेल रचा जिसमें विभिन्न आकार के कॉफिन बनवाए और कहा कि जो भी अपने आकार के कॉफिन में फिट हो जाएगा, विजेता माना जाएगा। सभी कॉफिन या तो इतने बड़े या छोटे थे कि कोई फिट नहीं आया लेकिन एक कॉफिन बिल्कुल उस भाई के आकार का था जिसे समाप्त करने की चाल उसके ही भाई ने खेली थी।
एक और कथा है जिसमें रानी के शरीर को 14 अंगों में काट कर जगह-जगह बिखेर दिया गया। 14 में से 13 अंग मिल गए और एक अंग समुद्र में मछली निगल गई। शेष अंग से गर्भ धारण हुआ और उसे प्रसव हुआ तो जिस शिशु ने जन्म लिया वह राजा बना। मिस्र इतिहास और पुरातत्व का अद्भुत संगम है। यहां मीलों में फैले मंदिर और उनमें बनाई गई आकृतियां यहां की कहानी कहती हैं। अंग्रेजों ने यहां भी शासन किया। जैसा कि उन्होंने अपने पूरे साम्राज्य से बेहतरीन वस्तुओं को अपने देश ले जाकर संग्रह किया, उसी तरह मिस्र से भी वे बहुत सी बहुमूल्य वस्तुएं ले गए जिनमें राजाओं के मुकुट, आभूषण या शिलाएं भी हैं।
कह सकते हैं कि मिस्र यात्रा का अनुभव रोमांचक और रहस्यमय कथाओं को जानने का रहा। जैसा कि कुछ लोगों की मान्यता है कि यहां का निर्माण करने में एलियंस का हाथ है लेकिन इसका कोई प्रमाण न होने से विश्वास नहीं होता। कैरों, आस्वान, लुक्सर जैसे शहर यहां की मिली-जुली संस्कृति, पहनावे और फैशन के प्रतीक हैं। लोग मिलनसार ज्यादा नहीं है, अपने काम से काम रखने वाले हैं। खानपान में मांसाहारी ही अधिकतर हैं लेकिन उसमें भी कोई अलग पहचान रखने वाला व्यंजन न के बराबर है। एक तरह से यात्रा सुखद ही रही।-पूरन चंद सरीन
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