परमाणु जंग हुई तो महाविनाश होगा
punjabkesari.in Monday, Dec 23, 2024 - 05:19 AM (IST)
परमाणु युद्ध हुआ तो कुछ बड़े-बड़े नगरों का मिट जाना तो साधारण बात होगी पर इसके भयानक खतरे को पूरी दुनिया को भोगना पड़ेगा। इसीलिए आइंस्टीन ने अपनी मृत्यु से ठीक एक सप्ताह पहले परमाणु युद्ध के बारे में दुनिया को चेताया था कि, ‘‘अपनी मानवता को याद रखें और बाकी सब भूल जाएं। यदि आप ऐसा करते हैं तो एक नए स्वर्ग का रास्ता खुला है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके सामने सार्वभौमिक मृत्यु का जोखिम है।’’ पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रहे संघर्ष और बढ़ती गुटबाजी ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में धमकी दी है कि अगर अमरीकी सेना यूक्रेन में घुसी तो वह परमाणु हथियार इस्तेमाल करेंगे। इस तनाव के बीच एक नक्शे के जरिए बताया गया है कि अमरीका पर परमाणु बम से हमले के किस तरह के विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। नक्शा दिखाता है कि अमरीकी शहरों पर परमाणु हमले का किस तरह से असर होगा और कैसे लाखों लोगों की जान जोखिम में पड़ जाएगी। इस धमकी के बीच ही परमाणु हमले के बाद अमरीकी शहरों की स्थिति दिखाने वाला नक्शा न्यूक मैप ने जारी किया है।
न्यूक मैप के कत्र्ताधत्र्ता एलेक्स वेलरस्टीन का कहना है कि परमाणु हमले में अमरीका के न्यूयार्क जैसे प्रमुख शहरों को भारी नुकसान होगा और लाखों लोग मारे जा सकते हैं। एलेक्स वेलरस्टीन ने यह नक्शा बनाया है, जो परमाणु तकनीक के जानकार और न्यूक मैप के निर्माता हैं। नक्शा परमाणु विस्फोट की स्थिति में रेडियोधर्मिता के फैलाव, आग के गोले के दायरे और संभावित पीड़ितों की संख्या का अनुमान लगाता है। अगर अमरीका के पूर्वी तट पर 800 किलोटन का टोपोल (25) बम गिरा तो न्यूयार्क में 16 लाख तक मौतें हो सकती हैं और 30 लाख लोग घायल हो सकते हैं। आग का गोला मैनहट्टन, नेवार्क, एलिजाबेथ, ब्रुकलिन और दूसरे शहरों को तबाह कर सकता है। इस विस्फोट से निकलने वाला तापीय विकिरण 11.1 किलोमीटर तक फैलेगा।
जाहिर है कि यह कई अमरीकी शहरों को अपनी चपेट में लेगा और इससे बड़ी तबाही मचेगी। अगर ऐसा ही परमाणु हमला वाशिंगटन डी.सी. में व्हाइट हाऊस पर हुआ तो मरने वालों की संख्या 40 लाख तक पहुंच सकती है। कैपिटल हिल और कोलंबिया हाइट्स जैसे प्रतिष्ठित स्थलों को भी भारी नुकसान हो सकता है। हमले से अलेक्जेंड्रिया से लेकर सिल्वर स्प्रिंग तक के निवासियों को तापीय विकिरण से थर्ड डिग्री बर्न हो सकते हैं। आयरिश स्टार की रिपोर्ट कहती है कि परमाणु हमलों के बाद की भयावह स्थिति दिखाने वाले नक्शे बताते हैं कि अमरीका के कई बड़े शहर पलभर में तबाह हो सकते हैं। अनुमान के मुताबिक, ‘लिटिल बॉय’ बम जैसे विस्फोट के बाद ह्यूस्टन पूरी तरह तबाह हो जाएगा। इसमें 90,000 से ज्यादा लोग हताहत होंगे।
पिछले दिनों राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नीति में बदलाव को मंजूरी दे दी है। रूस की नई परमाणु नीति में कहा गया है कि कोई ऐसा देश जिसके पास खुद परमाणु हथियार न हों, लेकिन यह देश किसी परमाणु हथियार सम्पन्न देश के साथ मिलकर हमला करता है तो इसे रूस संयुक्त हमला मानेगा। यूक्रेन के पास तो परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन अमरीका के पास हैं और इस युद्ध में अमरीका और ब्रिटेन दोनों यूक्रेन के साथ हैं। साथ ही 32 देशों का सैन्य गठबंधन नाटो भी यूक्रेन को समर्थन दे रहा है। रूस की परमाणु नीति में यह भी कहा गया है कि अगर रूस को पता चला कि दूसरी तरफ से रूस पर मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हमले हो रहे हैं तो वह परमाणु हथियारों से जवाब दे सकता है, यूक्रेन अब तक रूस पर कई बार हवाई हमले करते आया है जिसमें ड्रोन भी शामिल है, लेकिन अब उसने हमलों के लिए अमरीकी मिसाइलों का भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कुछ और स्थितियों में बात रूस की परमाणु नीति में की गई है। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दो बार किया गया है, हिरोशिमा और एक अन्य जापानी शहर नागासाकी पर। इन अवसरों से प्राप्त साक्ष्य, साथ ही वायुमंडलीय परमाणु परीक्षण और परमाणु ऊर्जा दुर्घटनाओं ने परमाणु हथियारों के प्रभावों के बारे में हमारे ज्ञान का आधार बनाया है।
आधुनिक परमाणु हथियारों में आमतौर पर उन पहले दो बमों की तुलना में बहुत अधिक विस्फोटक शक्ति होती है, और इससे विनाश का पैमाना बहुत बढ़ जाएगा। संक्षेप में, नाटो और रूस के बीच परमाणु आदान-प्रदान पूरी धरती के लिए विनाशकारी होगा। यदि परमाणु बम विस्फोट किया जाता है तो परमाणु विस्फोट का केंद्र कई मिलियन डिग्री सैंटीग्रेड के तापमान तक पहुंच जाएगा। इसके परिणामस्वरूप होने वाली ऊष्मा की चमक वस्तुत: एक विस्तृत क्षेत्र में सभी मानव ऊतकों को वाष्पीकृत कर देगी। हिरोशिमा में आधे मील के दायरे में, खुले में फंसे अधिकांश लोगों के अवशेष केवल उनकी छायाएं थीं जो पत्थर में जल गई थीं। इमारतों के अंदर या किसी अन्य तरह से सुरक्षित लोगों की विस्फोट और गर्मी के प्रभाव से मौत हो जाएगी क्योंकि इमारतें ढह जाएंगी और सभी ज्वलनशील पदार्थ आग की लपटों में घिर जाएंगे। तत्काल मृत्यु दर 90 प्रतिशत से अधिक होगी। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, हवा जमीन के स्तर पर या उसके नजदीक परिधि से अंदर खींची जाएगी। इसके परिणामस्वरूप घातक, तूफान-बल वाली हवाएं चलेंगी और ताजी ऑक्सीजन जलने के कारण आग बढ़ती जाएगी। भूमिगत आश्रयों में रहने वाले लोग, जो प्रारंभिक ताप-प्रचंडता से बच जाते हैं, वे भी मर जाएंगे क्योंकि वायुमंडल से सारी ऑक्सीजन सोख ली जाती है।
कुल विनाश के क्षेत्र के बाहर तत्काल जीवित बचे लोगों का प्रतिशत धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा। इनमें से अधिकांश लोग घातक रूप से जल जाएंगे, अंधे हो जाएंगे, कांच के टुकड़ों से खून बहेगा और उन्हें गंभीर आंतरिक चोटें लगी होंगी। कई लोग ढही हुईं और जलती हुई इमारतों में फंस जाएंगे। मृत्यु दर सामान्य आपदा की तुलना में अधिक होगी क्योंकि अधिकांश आपातकालीन सेवाएं अपने उपकरणों के नष्ट हो जाने और कर्मचारियों के मारे जाने के कारण प्रतिक्रिया देने में असमर्थ होंगी। हताहतों की संख्या इतनी अधिक होगी कि किसी भी देश के चिकित्सा संसाधन डूब जाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय रैड क्रॉस ने निष्कर्ष निकाला है कि आबादी वाले क्षेत्र में या उसके आस-पास एक भी परमाणु हथियार का उपयोग मानवीय आपदा का कारण बन सकता है जिसका ‘समाधान करना मुश्किल’ होगा।-निरंकार सिंह