अगर यू.पी.ए. ने सुधार नहीं किए तो विकास कैसे हुआ

Saturday, Aug 25, 2018 - 11:41 PM (IST)

कुछ दिन पहले भाजपा के लिए एक ‘चीयरलीडर’ ने एक समाचार पत्र के सम्पादकीय पृष्ठ पर लिखते हुए अरुण जेतली तथा मेरा एक ‘आर्थिक विकास पर एक अत्यंत गुणवत्तापूर्ण चर्चा’ के लिए धन्यवाद किया। उसने हिचकिचाते हुए यह स्वीकार किया कि मैंने विकास पर चर्चा जीत ली मगर यह आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने ‘अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन’ किया। धन्यवाद मगर आपका धन्यवाद नहीं।

एक दिन पहले जेतली ने टिप्पणी की थी कि ‘यू.पी.ए. ने अपने शासन काल के दौरान कोई सुधार नहीं किया।’ पहला, यू.पी.ए. ने शासन नहीं किया, इसने 10 वर्षों तक देश का प्रशासन चलाया और फिर सत्ता से बाहर कर दी गई। दूसरा, यदि जेतली सही हैं कि यू.पी.ए. के 10 वर्षों के दौरान कोई सुधार नहीं किए गए तो भारत आवश्यक तौर पर विश्व इतिहास में एकमात्र देश होगा जिसने बिना कोई सुधार किए 2 अंकों में विकास हासिल किया (10 वर्षों के दौरान औसत वार्षिक विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक था)।

यू.पी.ए. ने साबित किया 
आप में से कुछ उस विकास को नहीं देख पाए जिसने चर्चा को भड़काया। विकास जी.डी.पी. का बैक सीरीज डाटा जारी करना था ताकि अतीत की विकास दर की 2012-13 से लेकर विकास दरों के साथ तुलना की जा सके, जब आधार वर्ष परिवर्तित कर दिया गया था और एक नई कार्य पद्धति अपनाई गई थी। इसके परिणाम दिखाई गई तालिका के अनुसार हैं।

निष्कर्ष स्वाभाविक हैं: यू.पी.ए. के 10 वर्षों के शासन काल के दौरान स्वतंत्रता के बाद से उच्चतम दहाई अंकों में विकास दर्ज किया गया (8.02 प्रतिशत बाजार कीमत पर तथा 8.13 प्रतिशत उपादान लागत पर)। जब यू.पी.ए. ने सत्ता छोड़ी, 2013-14 में विकास सुधर कर बाजार कीमतों का 6.39 प्रतिशत हो गया था। मोदी सरकार को विरासत में एक ऐसी अर्थव्यवस्था मिली जो चढ़ाव की ओर थी। 

2013-14 में ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फार्मेशन                                                                                 
2013-14 में 31.3 प्रतिशत थी। वस्तुओं का निर्यात 315 अरब डालर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार 304.2 अरब डालर पर पहुंच गया। राजग द्वारा शासन सम्भालने के चार महीनों के भीतर ही सरकार को कच्चे तेल तथा वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के माध्यम से एक अनापेक्षित उपहार मिला। आंतरिक तथा बाहरी दोनों स्थितियां उच्च विकास के लिए अनुकूल थीं मगर सरकार ने अवसर को गंवा दिया। पहली सबसे बड़ी गलती 8 नवम्बर, 2016 को नोटबंदी लागू करना था। इसके बाद एक अन्य भूल की गई और वह थी जी.एस.टी. तथा कर आतंकवाद को जल्दबाजी में आधा-अधूरा लागू करना। 2015-16 तथा 2017-18 के बीच विकास दर में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जो नोटबंदी के तुरंत बाद लगाए गए अनुमान के बिल्कुल बराबर थी।

असल सुधार 
सुधार एक ऐसा शब्द है जिसके कई अर्थ हैं। यह आम तौर पर आर्थिक सुधारों के साथ संबंधित होता है मगर अर्थव्यवस्था के बाहर भी कुछ सुधार हैं जो आर्थिक सुधारों जितने ही महत्वपूर्ण हैं और अपने तरीके से आर्थिक सुधारों को सुदृढ़ बनाते हैं।

इसका एक उदाहरण जो तुरंत दिमाग में आता है, वह है केन्द्रीय विश्वविद्यालयों तथा शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) के लिए आरक्षण, जिसने जनसंख्या के 52 प्रतिशत हिस्से के लिए उच्च शिक्षा के अवसरों को काफी हद तक बढ़ा दिया। यह 2006 में यू.पी.ए. का एक प्रमुख सुधार था।

29 नवम्बर, 2015 को लिखे अपने एक लेख में मैंने एक सूची दी थी कि मैं आधुनिक काल, जो 1991 में शुरू हुआ, में किन्हें ‘असल सुधार’ मानता हूं। मैंने 11 सुधारों की एक सूची बनाई थी जिनमें सार्वजनिक परियोजनाओं  के लिए निजी स्रोत प्राप्त करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी.पी.पी.) माडल तथा आधार सक्षम डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसफर शामिल थे। दोनों विचार यू.पी.ए. सरकारों द्वारा शुरू किए गए थे।

‘असल सुधारों’ में वित्तीय जिम्मेदारी बजट प्रबंधन कानून आता है जिसे संसद ने तब पारित किया था जब राजग-1 सत्ता में थी मगर इसे यू.पी.ए.-1 सरकार ने अधिसूचित किया था। इसी तरह वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) यू.पी.ए.-1 सरकार के अंतर्गत लागू किया गया था। विशेष आर्थिक जोन्स (सेज) की स्थापना 2005 में विशेष आर्थिक जोन्स कानून पारित होने के बाद की गई थी। 2017 के अंत में 222 सेज थे और उन्होंने वस्तुओं के निर्यात में एक बड़ी वृद्धि की जो 10 वर्षों के दौरान 4 गुणा बढ़ी। पी.पी.पी.  ने हवाई अड्डों, बंदरगाहों तथा ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा तथा उसके बाद का कानून)  ने ग्रामीण कृषि आय में वृद्धि की, भूख को समाप्त किया तथा ग्रामीण भारत में मांग पैदा की। मिड-डे मील योजना के सार्वभौमिकरण के बड़े बाहरी कारक थे।

अन्य प्रमुख हस्तक्षेप
सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार तथा भोजन के अधिकार को संसद द्वारा पारित कानूनों के द्वारा संवैधानिक सुरक्षा दी गई। राष्ट्रीय बागवानी अभियान तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना ने यू.पी.ए. के शासन काल के अंतर्गत कृषि विकास को औसत 3.7 प्रतिशत की दर से बढ़ावा दिया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन.आर.एच.एम.) तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, स्वास्थ्य सेवा के  क्षेत्र में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप थे। निष्पक्ष मुआवजा कानून का अधिकार भू अधिग्रहण के मामले में न्याय तथा निष्पक्षता लाया।
 
नैशनल डिजास्टर मैनेजमैंट अथारिटी एक्ट, कम्पनीज एक्ट तथा लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम बुनियादी विधेयक थे। महिला आरक्षण विधेयक 2008 राजनीति को नाटकीय रूप से बदल देता मगर यह संसद में लटका हुआ है क्योंकि यू.पी.ए. के पास संख्या नहीं थी और राजग के पास इच्छा शक्ति नहीं है। 2008 में किया गया असैन्य परमाणु समझौता इतिहास में एक मील पत्थर बना रहेगा। 

उपरोक्त में से प्रत्येक एक प्रमुख तथा पथप्रवर्तक सुधार था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इनमें से किसी को भी वित्त मंत्री ने स्वीकार नहीं किया। यहां तक कि वह यह भी स्वीकार करने में असफल रहे कि यू.पी.ए. ने ही स्वतंत्रता के बाद दहाई अंकों में सर्वाधिक विकास किया है। यू.पी.ए.-1 के शासन काल के रिकार्ड तक पहुंच पाना उनके बचे बाकी 7 महीनों में मुश्किल है मगर वह यू.पी.ए.-2 की बराबरी करने का प्रयास कर सकते हैं। 

shukdev

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