प्रधानमंत्री फिरोजपुर-पट्टी रेल लिंक की यदि आधारशिला रखें तो...

Wednesday, Jan 05, 2022 - 06:11 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आज 5 जनवरी को फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करने का भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम वर्तमान स्थिति में और विशेषकर पंजाब समेत देश के पांच राज्यों (जिनमें उत्तर प्रदेश विशेष रूप से उल्लेखनीय है) में होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत बहुत ही महत्वपूर्ण है। लगता है कि प्रधानमंत्री पंजाब में अपने इस कार्यक्रम द्वारा एक तीर से कई निशाने लगाना चाहते हैं। 

प्रधानमंत्री अपनी सरकारी घोषणाओं में क्या-क्या कहेंगे, यह तो समय पर ही पता लगेगा, परन्तु पंजाब के संदर्भ में कुछ विषय अवश्य विचारणीय हैं। पहला विषय तो यह है कि सीमांत नगर फिरोजपुर को रेल द्वारा पट्टी तक ङ्क्षलक करने की योजना, जो अधर में लटकी हुई है। यदि मोदी फिरोजपुर-पट्टी रेल लिंक की आधारशिला इस अवसर पर रखते हैं तो यह बहुत ही अच्छा कदम होगा। इससे फिरोजपुर और पट्टी सीधे रेल द्वारा जुड़ जाएंगे और साथ ही खेमकरण-पट्टी की पहली रेल लाईन से इसका संपर्क भी हो जाएगा। 

इस प्रकार फिरोजपुर का रेल द्वारा सम्पर्क सीधा हो जाएगा और खेमकरण भी पट्टी लिंक द्वारा फिरोजपुर से जुड़ जाएगा। इस प्रकार फिरोजपुर-अमृतसर के सीमांत क्षेत्रों का रेल सम्पर्क सुदृढ़ होने से लोगों को आने-जाने में लाभ होगा। अभी पट्टी से फिरोजपुर सड़क द्वारा कई मील घूम कर जाना पड़ता है और इसमें कई घंटे लग जाते हैं। 

सरहदी किसानों को भी लाभ होगा क्योंकि उनकी सब्जियां, फल फिरोजपुर के सीधे क्षेत्र के अन्य शहरों में भेजे जा सकेंगे, जिससे उनको आर्थिक लाभ होगा। यह योजना पंजाब की जनता में एक अच्छा संदेश दे सकती है। दिवंगत मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों  को आज इसलिए भी याद रखा जाता है क्योंकि उन्होंने भाखड़ा बांध का निर्माण सम्पूर्ण करवा कर पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से उसका उद्घाटन कराया। 

मोदी यदि फिरोजपुर-पट्टी रेलवे ङ्क्षलक की आधारशिला रख देते हैं तो यह भी पंजाब के लिए एक स्मरणीय और ऐतिहासिक घटना होगी। इसलिए भी कि फिरोजपुर की रेल लाइन 1947 से पहले रायविंड-कसूर से जुड़ी होती थी, जो आगे एक तरफ से कसूर-लाहौर और दूसरी ओर से कसूर-खेमकरण तक जुड़ी होती थी। बंटवारे के बाद कसूर के पाकिस्तान में जाने से यह रेल लिंक समाप्त हो गया था। 

मोदी का दूसरा उद्देश्य संभवत: प्रदेश में भाजपा का पुनरुत्थान करवाना हो सकता है, जिसे किसान आंदोलन ने बुरी तरह से रौंद कर रख दिया था। तीनों कृषि कानूनों की वापसी और कुछ धार्मिक-सामाजिक घोषणाओं से भाजपा सिखों-किसानों के पहले से करीब लगती है। तीसरी बात, सीमावर्ती क्षेत्र में प्रधानमंत्री का दौरा पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने का अवसर भी देता है। मेरी नजर में इसी आयाम के इर्द-गिर्द मोदी के कार्यक्रम की रूप-रेखा बनती है। प्रधानमंत्री चाहें तो नई घोषणाएं भी कर सकते हैं।-ओम प्रकाश खेमकरणी
 

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