लक्ष्य बड़े हों तो चुनौतियां भी बड़ी होती हैं

punjabkesari.in Friday, Feb 03, 2023 - 05:23 AM (IST)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में आयकर सीमा की वृद्धि तथा स्लैब में परिवर्तन सबसे ज्यादा सुर्खियां पाया है। किंतु बजट को संपूर्णता में समझने के लिए उनके बजट भाषण के आरंभिक अंश का उल्लेख आवश्यक है। बजट भाषण का आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल का यह पहला बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। इसके बाद उन्होंने इस बजट के सात आधार बताए और इसे सप्तऋषि नाम दिया। यह सात आधार हैं 1. समावेशी विकास, 2. वंचितों को वरीयता, 3. बुनियादी ढांचे और निवेश, 4. क्षमता विस्तार 5. हरित विकास, 6. युवा शक्ति, एवं 7. वित्तीय क्षेत्र। 

सप्तऋषि के विवरण के साथ उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि बजट यानी सरकार का आॢथक एजैंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोजगार सृजन को तेज गति प्रदान करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है। बजट की इस वैचारिक और सैद्धांतिक रूपरेखा में नरेंद्र मोदी सरकार के सामाजिक-आर्थिक सांस्कृतिक यानी समग्र विकास का पूरा विजन निहित है। स्वतंत्रता के इस अमृत काल में भारत के लिए शताब्दी वर्ष तक विश्व की सर्वप्रमुख विकसित राष्ट्र बनने की ठोस आधारभूमि तैयार करने की बात स्वयं प्रधानमंत्री कहते रहे हैं। इस दृष्टिकोण का अमृत काल में यह पहला बजट है। लक्ष्य बड़े हों तो चुनौतियां भी बड़ी होती हैं। 

वैसे भी इस समय अर्थव्यवस्था के समक्ष बाह्य चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। प्रमुख देशों की आॢथक गति कमजोर है। वैश्विक संस्थाएं पूरे परिदृश्य को देखते हुए विश्व के विकास दर के संदर्भ में आंकड़ा देने में ज्यादा सतर्कता बरत रही हैं। प्रमुख देशों का महंगाई दर कई दशकों का रिकॉर्ड पार कर गया है। अमरीकी डॉलर ऐतिहासिक रूप से मजबूत हुआ। लेकिन भारत के साथ सकारात्मक पहलू यह है कि विश्व की सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक संस्थाएं इसे निरूपित कर चुकी हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में 6.5 प्रतिशत की विकास दर का आकलन है। तो सरकार के समक्ष सबसे बड़ा लक्ष्य विकास दर को कायम रखते हुए उसको ऊपर ले जाना है। 

विकास हवा में नहीं होता। समाज के सभी वर्गों की आॢथक ताकत मजबूत होगी तभी विकास ठोस माना जाएगा। इसमें अगर पहले से बेहतर कर रही कृषि को और उछाल देने की कोशिश है तो आधारभूत संरचनाओं को मजबूती दी गई है तथा सामाजिक उत्थान या कल्याण कार्यक्रमों पर भी पूरा जोर है। उदाहरण के लिए कृषि। डेयरी और मत्स्यपालन पर ध्यान देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपए किया गया है। यह रिकॉर्ड है। कृषि से जुड़े स्टार्ट अप्स को प्राथमिकता देने वाली स्पष्ट नीति की घोषणा है। युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनाया जाएगा। अन्य क्षेत्रों में स्टार्ट की बात होती थी लेकिन कृषि क्षेत्र में यह कदम पहले नहीं उठाया गया था। इसके लिए कृषिवर्धक नीति शब्द दिया गया। 

किसानों के लिए अब किसान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। यहां किसानों के लिए उनकी जरूरत से जुड़ी सारी जानकारियां उपलब्ध होंगी। सरकार ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजना की शुरूआत की है। इसे ‘श्री अन्न योजना’ नाम दिया गया है। इसके जरिए देशभर में मोटे अनाज के उत्पादन और उसकी खपत को बढ़ावा दिया जाएगा। आप देखेंगे कि ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ावा देना है। 2,516 करोड़ रुपए के निवेश से 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। इनके लिए राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित की जाएगी, इससे किसानों को अपनी उपज को स्टोर करने और अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। 

सरकार अगले 5 वर्षों में वंचित गांवों में बड़ी संख्या में सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्स्य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना करेगी। सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। अगले 3 वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए मदद मुहैया कराएगी। हरित ईंधन, हरित ऊर्जा, हरित खेती जैसी कई योजनाओं के साथ हरित जीवन की ओर बढऩे का लक्ष्य घोषित किया गया। कितना होगा इसे लेकर भले संदेह हो पर इन हरित प्रयासों से कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है और ग्रीन जॉब के मौके बढ़ रहे हैं। 

इस तरह नरेंद्र मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण और अमृत काल का पहला बजट समग्र विकास के उस बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर है जिसमें माना गया है कि अपनी सभ्यता और संस्कृति की पहचान को ठोस आधार देते हुए पारंपरिक शिल्पकारों, कारीगरों जैसे आम आदमी से लेकर मध्यम वर्ग, कर्मचारी,कारोबारी, उद्योगपति सबकी आर्थिक ताकत बढ़ेगी तो भारत निश्चित रूप से अगले 25 वर्षों में विश्व की एक अलग चरित्र वाली महाशक्ति बनकर खड़ा होगा।-अवधेश कुमार 
    


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