चीन ने छोड़ा तो भारत ने की मंगोलिया की मदद

Thursday, Jul 07, 2022 - 05:52 AM (IST)

रूस -यूक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी की विभीषिका के दौर में जब पूरी दुनिया में भय और चिंता का वातावरण व्याप्त है और आपू्र्ति शृंखला बाधित है, ऐसे में एक अच्छी खबर यह है कि भारत अपने दूरस्थ पड़ोसी देश मंगोलिया के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने में जुटा हुआ है। उपध्रुवीय क्षेत्र में बसे बौद्ध मंगोलिया की भारत अंतरिक्ष, खनिज-तेल उत्खनन, ऊर्जा, रेल, इलैक्ट्रॉनिक्स, रक्षा जैसे कुछ क्षेत्रों में मदद कर रहा है। भारत ने मंगोलिया में एक अरब अमरीकी डॉलर की लागत से एक तेल शोधन परियोजना की शुरूआत की है, जो वर्ष 2022 के अंत तक पूरी हो जाएगी। 

इस तेल शोधन कारखाने की क्षमता डेढ़ लाख मीट्रिक टन तेल निकालने और शोधन की होगी। यह कारखाना इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के सहयोग से दक्षिणी मंगोलिया के दोर्नोगोबी प्रांत में सैनशांद क्षेत्र में लगाया गया है। इस अकेले तेल शोधन कारखाने से मंगोलिया की 75 फीसदी तेल की जरूरत पूरी हो जाएगी। इस समय मंगोलिया अपने उत्तरी पड़ोसी रूस से जरूरत का तेल खरीदता है। भारत मंगोलिया की मदद रेल नैटवर्क स्थापित करने और ऊर्जा संयंत्रों का जाल बिछाने के लिए भी कर रहा है, ताकि मंगोलिया को अपने खनिज एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई परेशानी न हो। मंगोलिया में यूरेनियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। 

मंगोलिया भारत को एक आध्यात्मिक मित्र देश और अपने तीसरे पड़ोसी के रूप में भी देखता है। हालांकि मंगोलिया के साथ भारत के रिश्ते पुराने हैं, धार्मिक तौर पर भी दोनों देश बौद्ध धर्म के कारण एक दूसरे से बंधे हुए हैं, लेकिन भारत और मंगोलिया के रिश्तों में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक मंगोलिया यात्रा के बाद गर्माहट देखने को मिली। इसके बाद से भारत के मंगोलिया के साथ संबंधों में नित नए आयाम देखने को मिले। 

दरअसल भारत मंगोलिया की मदद कर उसे आत्मनिर्भर देश बनाना चाहता है, मंगोलिया भी भारत के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व दे रहा है। हालांकि मंगोलिया अपने पड़ोसी चीन से भी मदद ले सकता है, लेकिन चीन के कर्ज जाल के बारे में मंगोलिया को बहुत अच्छे से मालूम है कि अगर उसने चीन से मदद ली तो उसका हाल भी जिबूती, ताजिकिस्तान, लाओस, मालदीव्स, मॉन्टेनेग्रो, पाकिस्तान, श्रीलंका, किॢगस्तान जैसे देशों वाला होगा। इसलिए मंगोलिया ने भारत से मदद लेना उचित समझा। 

भारत का विचार है कि जब तक तीसरी दुनिया के देश तरक्की नहीं करेंगे तब तक विश्व में संपूर्ण प्रगति नहीं आ सकती। भारत ऐसी ही मदद अफ्रीकी महाद्वीप में कई देशों की कर रहा है। लेकिन भारत ने किसी देश का आर्थिक दोहन कभी नहीं किया और न ही किसी देश को अपने आर्थिक जाल में फंसाया, क्योंकि भारत का उद्देश्य उस देश की तरक्की होता है न कि उसे अपना गुलाम बनाना। 

वहीं चीन ने मंगोलिया का बहुत बड़ा हिस्सा वर्ष 1947 में अपने देश में मिला लिया था। चीन ने ऐसा अपनी आजादी से 2 वर्ष पहले ही कर लिया था। ठीक इसी तर्ज पर चीन ने तिब्बत और शिनच्यांग प्रांत पर भी अपना कब्जा जमा लिया था। चीन का मानना है कि पूरा मंगोलिया चीन का है, जबकि चीन को एक समय मंगोलों ने जीत लिया था और चीन में युआन वंश की स्थापना की थी। इस लिहाज से देखा जाए तो चीन के ऊपर मंगोलिया का आधिपत्य होना चाहिए था। इधर मंगोलिया पर चीन ने इसलिए कब्जा किया था क्योंकि यहां पर कोयला बहुत बड़ी तादाद में मिलता है। इस समय चीन की जरूरत का अधिकतर कोयला यहीं से निकाला जाता है। लेकिन इससे मंगोल प्रजाति के लोगों के चरागाह खत्म हो रहे हैं। मंगोल लोग आम तौर पर मवेशियों को पालते हैं जिसके लिए चरागाह की जरूरत होती है। 

चीन के खतरे को देखते हुए मंगोलिया ने अपने देश में 16 देशों की सांझा सैन्य गतिविधियों का कार्यक्रम रखा था, जिसका नाम था एक्स खानक्वैस्ट 2022, जिसमें भारतीय सेना ने लद्दाख स्काऊट्स की एक टुकड़ी भेजी थी। 14 दिनों तक चला यह सांझा अभ्यास शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए किया गया था। इसके बाद समय-समय पर दोनों देश एक-दूसरे की सेना को दोनों देशों की अलग-अलग जगहों पर युद्ध कौशल की ट्रेनिंग देंगे और विभिन्न परिस्थितियों में दुश्मन का मुकाबला करने और आपदा में फंसे लोगों की मदद करना सिखाएंगे। 

मंगोलिया के लोगों का यह भी मानना है कि चीन की शक्ति का जवाब देने के लिए एशिया में भारत से बेहतर कोई और देश नहीं हो सकता। हाल ही में एक भारतीय शिष्टमंडल मंगोलिया गया था और अपने साथ भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भी साथ ले गया था। मंगोलिया में भगवान बुद्ध के अवशेषों को स्थानीय लोगों के दर्शनों के लिए रख दिया गया, जिसके बाद वहां के लोग बड़ी संख्या में आकर उन पवित्र अवशेषों के दर्शन करने लगे। मंगोलिया की सरकार ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को लोगों के दर्शन के लिए मंगोलिया लाने पर भारत सरकार को धन्यवाद दिया। 

भारत के इस कदम से मंगोलिया और भारत के बीच संबंध और बेहतर बनेंगे, साथ ही भारत मंगोलिया की कई क्षेत्रों में मदद भी कर रहा है, जिससे मंगोलिया की जनता को सीधा लाभ मिलेगा। आने वाले दिनों में दोनों देश एक-दूसरे के और नजदीक आएंगे और सहयोग करेंगे।

Advertising