खेतों में लगे बिजली के विशाल खंभे : किसानों को मुआवजा कब मिलेगा

Saturday, Feb 17, 2024 - 04:30 AM (IST)

किसानों के खेतों में पी.जी.सी.आई.एल. (पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) द्वारा बिछाई गई बिजली पारेषण लाइनों और विशाल खंभों का एक घना जाल है। इससे किसान को भारी नुकसान हुआ है और उसकी कीमती जमीन का भी अवमूल्यन हो गया है क्योंकि कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।इस संबंध में अक्तूबर 2015 में भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों को इससे हुए नुकसान के लिए मुआवजे के आकलन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। यह मुआवजा पूरी तरह से भारत सरकार के उपक्रम पी.जी.सी.आई.एल. द्वारा देय है। राज्य सरकार को एक भी रुपया नहीं देना है लेकिन पंजाब सरकार ने कभी भी दिशा-निर्देशों का विकल्प नहीं चुना और मुआवजे का आकलन नहीं किया।

दिशानिर्देश अक्तूबर 2015 में जारी किए गए थे, जब अकाली-भाजपा गठबंधन (2012-2017) पंजाब में शासन कर रहा था। 2017-2022 तक कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने भी कोई पहल नहीं की। 2022 से आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में है। वे भी कुछ करते नजर नहीं आ रहे। इसे देखते हुए किस राजनीतिक दल को किसान हितैषी कहा जा सकता है? इस तरह अक्तूबर 2015 में, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दिशा-निर्देश जारी करने के 8 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पंजाब की किसी भी सरकार ने दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया।

क्या मोदी सरकार संज्ञान लेकर पंजाब सरकार से इसके पीछे के कारणों पर सवाल नहीं उठा सकती? यदि पंजाब सरकार भारत सरकार का पालन नहीं कर रही, तो क्या भारत सरकार सीधे पी.जी.सी.आई.एल. को मुआवजे का आकलन करने और संबंधित किसानों को भुगतान करने का आदेश नहीं दे सकती? पीड़ित किसान अपना बकाया पाने के मामले में असहाय हैं। उनकी जमीन को भारी नुकसान हुआ है। पंजाब सरकार मुआवजे का आकलन करने के लिए तैयार नहीं है और पी.जी.सी.आई.एल. मुआवजे के आकलन के अभाव में इसका भुगतान नहीं कर सकती। गरीब किसान को उसका हक कैसे मिलेगा? -एस.के. मित्तल

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