एक बिलियन लोगों का ‘टीकाकरण’ कैसे होगा

Tuesday, Sep 01, 2020 - 02:57 AM (IST)

पोलियो वैक्सीन के जनक जोनास सॉल्क का कहना है कि हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी एक अच्छे पूर्वज होने की है। भारत एक बड़े निर्णय की ओर बढ़ रहा है। क्या हमें 1.3 बिलियन लोगों के टीकाकरण के लिए 1, 2, 3 या फिर 5 वर्ष लगेंगे। इतिहास हमारी परख करेगा कि इस निर्णय द्वारा हम एक अच्छे पूर्वज थे? यह लाखों जिंदगियां, सैंकड़ों दीवालियापन, लोगों की अनिश्चितता भरी वित्तीय स्थिति तथा दो से तीन लाख करोड़ बुरे ऋण का सवाल है। 

हाल ही के दिनों में सरकार का एक प्रयास था कि आधार एनरोलमैंट से एक बिलियन लोगों तक शारीरिक रूप से पहुंच बनाई गई। 2009 में हम इसकी गति, इसके विस्तार तथा गुणवत्ता से जूझ रहे थे। हमने महसूस किया कि पारम्परिक माडल, जिसके तहत सरकार को हजारों की तादाद में एनरोलमैंट किटों की जरूरत पड़ेगी, ठीक नहीं रहेगा। हमने एक अलग माडल से शुरूआत की। 

यूनीक आइडैंटिफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया (यू.आई.डी.ए.आई.) ने राज्य सरकार, प्राइवेट एवं सार्वजनिक बैंक तथा पोस्ट आफिस जैसे रजिस्ट्रार नियुक्त किए ताकि एनरोलमैंट को अंजाम दिया जा सके। इसके तहत इन रजिस्ट्रारों ने यू.आई.डी.ए.आई. स्वीकृत सूची में से एनरोलमैंट एजैंसियों को लिया। 

बायोमैट्रिक डिवाइसिज के वैंडरों से एजैंसियों ने यू.आई.डी.ए.आई. से स्वीकृति प्राप्त एनरोलमैंट किटों को सीधे तौर पर खरीदा। अन्य ईको सिस्टम के माध्यम से एनरोलमैंट किटों के आप्रेटरों ने इसे प्रमाणित पाया। राष्ट्रव्यापी स्तर पर एनरोलमैंट आप्रेशन को जल्द ही स्थापित किया गया है। अपनी चरम सीमा पर यहां पर 35 हजार स्टेशन थे, जो 1.5 मिलियन निवासियों को एक दिन में एनरोल कर सकते थे। इस पब्लिक प्राइवेट सहयोग से हमने विस्तृत तौर पर बहुत तेजी से कवर करने में लक्ष्य हासिल किया। इसके नतीजे में 600 मिलियन नागरिकों को अपना आधार 4 वर्षों में मिल गया तथा एक बिलियन लोगों को 5.5 वर्षों में हासिल हुआ। महामारी के लिए प्रतिक्रिया इससे भी ज्यादा तेज होनी चाहिए। 

अब प्रत्येक व्यक्ति विश्वसनीय तरीके से ऑनलाइन चीजें हासिल कर सकता है। फिर चाहे वह आधार, मोबाइल फोनों, बायोमैट्रिक या फिर ओ.टी.पी. का इस्तेमाल करें। मिसाल के तौर पर हम कहीं भी कभी भी वैक्सीनेशन की अनुमति दे सकते हैं, जहां पर एक व्यक्ति किसी नजदीकी स्टेशन पर अपनी पहुंच बना सकता है। वह विश्वसनीय तरीके से आधार या फिर फोन नंबर के माध्यम से मिनटों में वैक्सीनेशन पाने के लिए विकल्प चुन सकता है। भारत विश्व की वैक्सीन राजधानी है। सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया विश्व की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता है जिसके पास 1.2 बिलियन वैक्सीन डोज प्रतिवर्ष निर्माण करने की क्षमता है। इसका सहयोग वैक्सीन निर्माता ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजैनिका, नोवा वैक्स तथा कोडा जैनेक्सि के साथ है। जायडस सेडीला अपनी वैक्सीन जैड.वाई.सी.ओ.वी.-डी का चरण-2 क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर चुकी है। 

इसका कहना है कि यदि यह सफल हुई तो यह 100 मिलियन वैक्सीन प्रतिवर्ष का निर्माण कर सकती है। इंडियन कौंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च एवं नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ विरियोलॉजी के साथ भारत बायोटैक ने अपने लिए विकसित घरेलू वैक्सीन का चरण-2 ट्रायल शुरू किया है। इसका कहना है कि इसके पास प्रतिवर्ष 200 मिलियन डोज की क्षमता होगी। बायोलॉजिकल ई ने जॉनसन एंड जॉनसन के साथ सहयोग किया है। एकोर्न इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण के साथ इसके पास 1 बिलियन डोज प्रतिवर्ष की क्षमता होने की आशा है। यहां पर कई अन्य फर्में तथा वैक्सीन भी हैं। 

यकीनी तौर पर सभी चीजें अनिश्चितताओं से भरी हैं। कुछ वैक्सीन असफल रह सकती हैं। कुछ को दो डोज या फिर उसको कुछ माह में दोबारा दोहराने की जरूरत पड़ेगी।  वैक्सीन निर्माण में हम भारत की क्षमता को जानते हैं। हमें वैक्सीन की कमी को आधार नहीं बनाना बल्कि वैक्सीन को पर्याप्त मात्रा में लाना है। 

पोलियो में हम बेहद सफल रहे हैं। मगर हमें यह याद रखना होगा कि पोलियो एक ओरल वैक्सीन है जोकि स्वास्थ्य कर्मी इसको पाने वाले के घर पर दे सकते हैं। वर्तमान के वैक्सीन के आधारभूत ढांचे के अंतर्गत सरकार को वैक्सीन खरीदना है, उसके बाद इसको लोगों में बांटना है। जब तक पहली वैक्सीन हमें उपलब्ध नहीं हो जाती, सरकार पर यह दबाव रहेगा कि वह इसे ज्यादा मात्रा में खरीदे तथा उसको तत्काल ही आबंटित करे। हालांकि इस संदर्भ में सरकार तथा भारतीय लोगों पर कई जोखिम हैं। यदि कुछ महीनों बाद इसके अस्वीकार्य साइड इफैक्ट हुए तो या फिर वैक्सीन काम न कर पाई तो जैसा कि अपेक्षित है, तो प्राप्त किया गया स्टाक बेकार हो जाएगा। इस समय इस मुद्दे का राजनीतिकरण होना लाजिमी है और इस पर उंगलियां भी उठाई जाएंगी। कैग का आडिट शुरू हो जाएगा तथा इसके आगे के प्रयासों को अपंग बना देगा।(लेखक इन्फोसिस के चेयरमैन तथा को-फाऊंडर हैं तथा यू.आई.डी.ए.आई. के पहले चेयरमैन थे जिन्होंने आधार की स्थापना की)।-नंदन नीलेकणि

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