‘वर्ष 2020 का विदाई गीत कैसे लिखें’

Wednesday, Dec 30, 2020 - 04:29 AM (IST)

वर्ष 2020 का विदाई गीत किस प्रकार लिखें। शैम्पेन की बोतल खोलें और ढोल-नगाड़े बजाएं? नई आशाआें, सपनों और वायदों के पंखों पर सवार होकर वर्ष 2021 का स्वागत करें? या पिछले 12 महीने से चले आ रहे निराशा के वातावरण में ही जीएं जिसके थमने के कोई आसार नहीं हैं? 

नि:संदेह वर्ष 2020 इतिहास में एक उथल-पुथल भरे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा। तथापि नए वर्ष में नई उम्मीदें बंध रही हैं और आशा है कि बीते वर्ष की तुलना में यह अधिक सुखद होगा। क्या एेसा होगा? हम एक एेसे असाधारण समय में रह रहे हैं जहां पर कोरोना महामारी के चलते संपूर्ण दुनिया ठप्प हो गई थी और पूरी दुनिया बदल ही गई थी। इस महामारी ने संपूर्ण मानव जाति को अपने शिकंजे में जकड़ लिया और हमें यह अहसास कराया कि हम कितने नश्वर हैं, और इस महामारी के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी जीवनशैली और आदतों में बदलाव करना होगा। 

इस महामारी से मृतकों की संख्या 20 लाख के करीब पहुंचने वाली है और दुनिया के विभिन्न देश इसका मुकाबला करने के लिए युद्धस्तर पर कदम उठा रहे हैं। विश्व के अनेक देशों में फिर से लॉकडाऊन की घोषणा कर दी गई है। जिन शहरों में एक बार पुन: चहल-पहल देखने को मिल रही थी वे सब ठप्प से हो गए हैं और लोग सोशल डिस्टैंसिंग के नए मानदंडों को अपनाने लगे हैं। सब कुछ ठप्प हो गया था। 

गैर-आवश्यक व्यवसाय और सेवाएं बंद हो गई थीं और शैक्षिक संस्थान बंद हो गए। वर्क फ्रॉम होम एस.आे.पी. (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर), पी.पी.ई. (पर्सन प्रोटैक्टिव इक्विपमैंट), जूम मीटिंग आदि जैसे वाक्यांश प्रचलित हो गए तथापि कोरोना महामारी के विरुद्ध वैज्ञानिकों ने रिकार्ड समय में एक प्रभावी वैक्सीन विकसित कर इस दिशा में प्रगति की और आज विकसित देशों में लोग इस वैक्सीन का प्रयोग कर रहे हैं हालांकि यह विषाणु म्यूटेट होकर अधिक संक्रमणकारी और घातक बनता जा रहा है। 

विश्व के विभिन्न देशों में कोरोना का वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। दूसरी आेर हम भारतीय विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों को पसंद करते हैं। इस वर्ष के आरंभ और अंत दोनों में आंदोलन और धरने देखने को मिले। नागरिकता संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, आदि को लेकर विरोध प्रदर्शन दो माह से अधिक समय तक चला और देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में मुसलमानों द्वारा दो माह से अधिक समय तक चलाए गए विरोध प्रदर्शन के कारण लोगों को भारी असुविधा हुई। उस मार्ग पर यातायात जाम मिला, स्थानीय दुकानें बंद करनी पड़ीं। 

देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है तो दूसरी आेर हमारे शहरों की अवसरंचना में भी सुधार नहीं हुआ है। केन्द्र और राज्य सरकार 80 प्रतिशत श्रम शक्ति के प्रति उदासीन है। लाखों लोगों ने अपना रोजगार खो दिया है। लघु और मध्यम स्तरीय कंपनियां दिवालिया हो गई हैं तो दूसरी आेर भूख और निराशा छाई हुई है जो विनाश को आमंत्रण देता है। साथ ही देश का गरीब वर्ग अनेक बुनियादी चीजों से वंचित है, कुपोषित बच्चे पेट भरने के लिए भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। देश के विभिन्न भागों से भुखमरी की खबरें भी आ रही हैं। जबकि भारतीय खाद्य निगम के भंडारों में अनाज भरा पड़ा है और इन समस्याआें का मूल कारण राज्यों और केन्द्र के बीच समन्वय का अभाव है। 

देश की सीमाआें पर भी स्थिति अच्छी नहीं है। इस वर्ष जून में चीन द्वारा गलवान घाटी में हमारे सैनिकों पर जघन्य हमला, पेंगौंग त्सो लेक, ट्रिग हाइट्स, बुर्तसे और डोकलाम क्षेत्रों में अतिक्रमण के कारण दोनों देशों के बीच 1967 में नाथूला में सैनिक झड़पों के बाद सबसे बड़ा गतिरोध देखने को मिला। जिसके चलते भारत और चीन युद्ध के लिए एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। दोनों एक दूसरे पर अपने क्षेत्रों के अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं किंतु दोनों युद्ध की स्थिति से बच रहे हैं। 

महिला सुरक्षा के बारे में इस वर्ष में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार देश में प्रति वर्ष यौन हमलों के 39 हजार मामले दर्ज होते हैं। प्रत्येक एक मिनट में बलात्कार के पांच मामले होते हैं और प्रत्येक घंटे में एक महिला की हत्या होती है। महिलाआें के लिए असुरक्षित देशों की श्रेणी में संयुक्त राष्ट्र के सर्वेक्षण में भारत 121 देशों में से 85वें स्थान पर है। यहां पर प्रति 10 हजार महिलाआें में से 6$21 महिलाआें के साथ बलात्कार होता है। समय आ गया है कि हम इस बारे में सोचें कि आखिर ये बलात्कार कब तक चलेंगे। 

दूसरी आेर भारत में धर्म को लेकर एक नए अवतार में संघर्ष जारी है। लव जेहाद एक आसान राजनीतिक हथियार बन गया है जिसकी सहायता से भाजपा केन्द्र और अनेक राज्यों में सत्ता में आई है और उसे हिन्दुआें के वोट मिलने में सहायता मिली है। जहां पर अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक इश्क, मोहब्बत और शादी को जबरन धर्म परिवर्तन के रूप में देखा जाने लगा और भाजपा शासित पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और असम ने लव जेहाद के विरुद्ध कठोर कानून बनाए हैं। नि:संदेह हमारा जीवन अब पहले की तरह नहीं रहेगा किंतु हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम नई परिस्थितियों से किस तरह सामंजस्य स्थापित करें। यह आसान नहीं है किंतु हमारे समक्ष कोई विकल्प नहीं है।-पूनम आई. कौशिश 
 

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