जानिए सैन्य विज्ञान/ रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन में कैसे बनाएं करियर

punjabkesari.in Saturday, Aug 26, 2017 - 11:32 AM (IST)

सैन्य विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जिसमें सैनिक विचारधारा, संगठन सामग्री और कौशल का सामाजिक संदर्भ में अध्ययन किया जाता है। आदिकाल से ही युद्ध की परम्परा चली आ रही है। मानव जाति का इतिहास युद्ध के अध्ययन के बिना अधूरा है और युद्ध का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी मानव जाति की कहानी। युद्ध मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख कारणों में से एक हैं। अनेक सभ्यताओं का अभ्युदय एवं विनाश हुआ, परन्तु युद्ध कभी भी समाप्त नहीं हुआ। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे नवीन हथियारों के निर्माण के फलस्वरूप युद्ध के स्वरूप में परिवर्तन अवश्य आया है। सैन्य विज्ञान के अन्तर्गत युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष से सम्बन्धित तकनीकों, मनोविज्ञान एवं कार्य-विधि आदि का अध्ययन किया जाता है। भारत सहित दुनिया के कई प्रमुख देश जैसे अमेरिका, रूस, इंगलैंड, चीन, फ्रांस, इजराइल, कनाडा, जर्मनी, जापान, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैण्ड, मलेशिया में सैन्य विज्ञान विषय को सुरक्षा अध्ययन, रक्षा एवं सुरक्षा अध्ययन, रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन, सुरक्षा एवं युद्ध अध्ययन नाम से भी अध्ययन-अध्यापन किया जाता है। गौरतलब है कि डिफेंस स्टडीज, वार स्टडीज, मिलिट्री साइंस और स्ट्रेटेजिक स्टडीज नाम से रक्षा मामलों की पढ़ाई भारत में होती है।

इस विषय के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया के कई प्रमुख देशों में डिफेंस स्टडीज की पढ़ाई स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तरों पर होती है। इससे संबंधित कोर्स करने के बाद नौकरी के लिए तमाम विकल्प सामने आ रहे हैं। डिफेंस व स्ट्रैटजिक स्टडीज को मिलिट्री/डिफेंस स्टडीज, मिलिट्री साइंस, वॉर एंड नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज, वॉर एंड स्ट्रैटजिक स्टडीज के नाम से भी जाना जाता है। इसके महत्व को देखकर पूर्व प्रधान मंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने 23 मई 2013 को बि‍नोला, गुड़गांव, हरियाणा में भारतीय राष्‍ट्रीय रक्षा विश्‍विद्यालय की आधारशि‍ला रखी। प्रस्‍तावि‍त भारतीय राष्‍ट्रीय रक्षा वि‍श्‍वि‍द्यालय 200 एकड़ से अधि‍क भूमि पर स्‍थि‍त होगा। यह 2018 में पूरी तरह से कार्य करना शुरू करेगा। नक्सलवाद, आतंकवाद, उग्रवाद, भाषावाद, साम्प्रदायिकता, प्रादेशिकता, जन-जातिय विद्रोह जैसे समस्याओं का हल सैनिक माध्यम से नहीं निकाला जा सकता न ही इससे ये सभी समस्यायें समाप्त होने वाली हैं और न ही शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना की जा सकती है।

इसके लिए जरूरी है एक विश्वास का वातावरण पैदा करने की। उपर्युक्त समस्याओं की तह तक जाकर मूल कारणों के तार्किक एवं व्यवहारिक उपाय ढूंढने से होगा। सैन्य विज्ञान आन्तरिक व बाह्य सुरक्षा समस्याओं के कारण, प्रभाव एवं उपाय पर विस्तृत प्रकाश डालता है। जिसके वर्तमान संदर्भ में अध्ययन की नितान्त आवश्यकता है। प्रसिद्ध सैन्य विचारक लिडिल हार्ट ने कहा है कि- यदि शान्ति चाहते हो तो युद्ध को समझो। विश्व में युद्ध के रोकथाम के लिए सबसे आवश्यक है युद्ध के कारण, प्रभाव एवं परिणाम पर गहन चिन्तन, मनन एवं चर्चा करने की। इस विषय के अध्ययन से विश्व विनाश को रोकने में भी सक्रिय सहयोग मिलता है। आज विश्व के पास इतने घातक एवं विनाशक हथियार हैं कि समस्त पृथ्वी को हजारो बार नष्ट किया जा सकता है। आधुनिक युद्ध सम्पूर्ण युद्ध होते हैं एवं जिसमें अपरम्परागत युद्ध शैली के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया जा सकता है तथा युद्ध के केन्द्र सैन्य एवं नागरिक ठिकानें दोनों हो सकते है। रणक्षेत्र में मोर्चा सम्हाल रहे सैनिकों के लिए सम्भव नहीं कि इतनी बड़ी आबादी की हर जगह मदद की जा सके।

अतः नागरिक सुरक्षा के उपायों की विस्तृत जानकारी सैन्य विज्ञान के माध्यम से लिया जा सकता है। किसी भी राज्य के लिए युद्ध की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना बेहद कठिन कार्य है। इसलिए सरकार युद्धकाल में दान या चंदे, ऋण जैसी सहायता जनता से लेती है। सैन्य विज्ञान युद्ध पर सम्पूर्ण प्रकाश डालता है एवं विद्यार्थी को इसकी गहरी समझ प्रदान कर जिम्मेदार नागरिक बना सकता हैं।

संबंधित कोर्स एवं योग्यता : डिफेंस स्टडी पढ़ने के लिए किसी भी विषय से इंटरमीडिएट पास होना जरूरी है। किसी भी विषय में बारहवीं पास करने वाले स्टूडेंट्स रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन में बैचलर्स डिग्री में एडमिशन ले सकते हैं। ग्रेजुएशन लेवल पर भी डिफेंस कोर्स चलाए जाते हैं । बैचलर्स के बाद मास्टर्स प्रोग्राम में भी एडमिशन लिया जा सकता है। बारहवीं के बाद रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन में बैचलर्स और मास्टर्स डिग्री लेकर भारतीय सेना, वायु सेना, कोस्ट गार्ड और नौसेना में नौकरी कर सकते हैं। इसके अलावा रिसर्च और शिक्षण में भी विभिन्न अवसर मौजूद हैं।

डिफेंस स्टडीज में बैचलर डिग्री करने के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट पास करना जरूरी है। बैचलर डिग्री के बाद आप मास्टर ऑफ आर्ट्स इन डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज (रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन), मॉस्टर ऑफ साइंस इन मिलिट्री साइंस, मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज का कोर्स कर सकते हैं। अगर आपकी रुचि अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने और रणनीतिक योजना, सैन्य प्रौद्योगिकी एवं उपकरण, रक्षा एवं आपदा प्रबंधन आदि में है, तो वे मास्टर डिग्री के बाद एमफिल और पीएचडी भी कर सकते हैं। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए आपको इससे संबंधित कोर्स करने होंगे।

किसी भी विषय के क्षेत्र का आभास उसकी परिभाषा से हो जाता है। सैन्य विज्ञान में युद्ध और सेना सम्बन्धी समस्त बातों का अध्ययन किया जाता है। समय और युग के परिवर्तन के साथ- साथ युद्ध की प्रक्रियाओं में परिवर्तन आता चला जाता है, इसी के साथ सैनिक संगठन, उसके प्रशिक्षण, शस्त्रास्त्रों में भी परिवर्तन आता चला गया, वैसे ही सैन्य विज्ञान के क्षेत्र में भी परिवर्तन आता गया। आधुनिक समय में वैज्ञानिक प्रगति और आविष्कारों ने युद्ध के क्षेत्र को और विस्तृत व व्यापक कर दिया है। सैन्यविज्ञान ज्ञान की एक शाखा होने के कारण उसका अन्य शाखाओं से सम्बन्ध होना स्वाभाविक एंव अनिवार्य है।

इसके तहत सभी तरह के स्त्रातेजिक और घरेलू मामलों, खासकर देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी रक्षा मामलों के साथ-साथ इतिहास और भौगोलिक मामलों की जानकारी मुहैया कराई जाती है। दुनिया की तमाम समस्याओं के अलावा युद्ध से होने वाली समस्याओं, अंतर्राष्ट्रीय कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा अर्थशास्त्र, क्षेत्र अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, विज्ञान और तकनीक, सैन्य भूगोल, परमाणु नीतियों, सैन्य मनोविज्ञान, युद्ध के सिद्धांत और अभ्यास, सैन्य समाजशास्त्र, सैन्य इतिहास, आधुनिक रणनीतिक विचार और सैन्य विचारक आदि का अध्ययन इस विषय के तहत किया जाता है।

अवसर
सैन्य विज्ञान के द्वारा देश के प्रति हमारे क्या कर्त्तव्य हैं तथा समाज में रहकर मातृभूमि की रक्षा किस प्रकार करनी चाहिए तथा स्वयं को एक आदर्श सैनिक के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त करते हैं। आज का विद्यार्थी कल का जिम्मेदार नागरिक अथवा सैनिक बनकर सुरक्षा हित के मुद्दों को गहराई से समझ सकता है। इस क्षेत्र में करियर की ढेर सारी संभावनाएं हैं। यह आपको एक देश से दूसरे देश के साथ वैश्विक मामले संबंध आदि की जानकारी देता है। इस फील्ड में कोर्स करने के बाद आप सोशियो-इकोनॉमिक स्पेशलिस्ट, इंटरनेशनल फील्ड में रिसर्चर बन सकते हैं।

इसके साथ ही आप इंडियन नेवी, एयर फोर्स, डिफेंस जर्नलिज्म में इंडियन आर्मी ऑफिसर, इंडियन डिफेंस ऑफिसर, ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर, रिसर्च ऑफिसर, मिलिट्री ऑफिसर बन सकते हैं। डिफेंस एंड स्ट्रैटजिक स्टडीज में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री लेने वाले उम्मीदवार लेक्चरर, कॉलेज के प्राध्यापक, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का जॉब कर सकते हैं या अंतर्राष्ट्रीय संबंध, युद्ध के भूगर्भ संबंधी मामलों, भू राजनीतिक मामलों, सामाजिक-आर्थिक व सामरिक क्षेत्रों में रिसर्च कर सकते हैं। इसके अलावा रोजगार के अवसर मुख्य तौर पर भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना, एजुकेशन कॉर्पोरेशन्स, डिफेंस जर्नलिज्म में मौजूद हैं।

अगर आपने इस फील्ड में मास्टर डिग्री हासिल कर ली तो न्यूजपेपर, मैगजीन आदि में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर आलेख लिख सकते हैं। युद्ध संचालन की पद्धति और प्रक्रिया अब राजनीतिज्ञों का मुख्य विषय बन गया है, क्योंकि सबसे बड़े अस्त्र अर्थात आणविक हथियारों का नियन्त्रण एवं प्रयोग राजनीतिज्ञों के हाथ में है न कि सेनानायकों के। सैन्य विज्ञान का विद्यार्थी को सैनिक मामलों में पूर्व से पर्याप्त ज्ञान होने के कारण एक कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचय दे सकता है। क्योंकि आज कि सबसे बड़ी विडम्बना राजनीतिज्ञों का सैन्य ज्ञान की समझ का अभाव है।

काम के प्रमुख क्षेत्र
रक्षा अनुसंधान और विश्लेषण, रक्षा नीति बनाने, टैक्टिकल सर्विसेज, राष्ट्रीय सुरक्षा योजना एवं क्रियान्वयन और सिविल डिफेंस, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए, सशस्त्र सेना, राष्ट्रीय सुरक्षा संगठन, रक्षा पत्रकारिता, अकादमिक रिसर्च, राजनयिक, विदेश नीति बनाने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, नीति बनाने सोचने वाले टैंकों में शामिल होना, सुरक्षा प्रदाता एजेंसियां, कॉलेज व यूनिवर्सिटी में शिक्षण, सरकार और यूजीसी के लिए पुस्तक लेखन व प्रकाशन ।

कहां से करें कोर्स- अंडर-ग्रेजुएट डिग्री प्रदान करने वाली कॉलेज हरियाणा
विश्वविद्यालय कॉलेज रोहतक, महेंद्रगढ़ में चार सरकारी कॉलेज, राजकीय महिला महाविद्यालय खरखौदा सोनीपत, गवर्नमेंट कॉलेज भट्ट कल्याण, गवर्नमेंट कॉलेज आदमपुर, झज्जर में दो सरकारी कॉलेज, गवर्नमेंट कॉलेज मेहम, गवर्नमेंट कॉलेज, बौद्धकला, भिवानी, हिसार में चार कॉलेज, सरकारी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज हिसार, करनाल, सरकारी पी.जी. कॉलेज सेक्टर वन पंचकुला और बहादुरगढ़ में सरकारी कॉलेज, राजकीय महिला महाविद्यालय नारनौल, गवर्नमेंट कॉलेज एटली, गवर्नमेंट कॉलेज नंगल चौधरी, गवर्नमेंट कॉलेज नारनौल

पंजाब
सरकार मोहिंद्रा कॉलेज पटियाला, मोदी कॉलेज पटियाला, खालसा कॉलेज पटियाला; खालसा कॉलेज आनंदपुर साहिब, गुरु गोबिंद कॉलेज, संगेरा (बरनाला), पंजाबी विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज (constituent colleges) में प्रस्ताव
चंडीगढ़ गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर 11 और गवर्नमेंट कॉलेज सेक्टर 46

मास्टर्स प्रोग्राम
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय- # कुरुक्षेत्र 136119, हरियाणा, राजनीति विज्ञान और रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, पाठ्यक्रमों की पेशकश- एम.ए. www.kuk.ac.in

- पंजाब यूनिवर्सिटी पंजाब विश्वविद्यालय, सेक्टर 14, चंडीगढ़ (यूटी।) 160014. एम.ए, एमफिल और डॉक्टरेट कार्यक्रम और आपदा प्रबंधन में डिप्लोमा। www. puchd.ac.in

- महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय - # रोहतक -124001, हरियाणा, रक्षा और स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, पाठ्यक्रमों की पेशकश- एमए, पीएचडी, www.mdurohtak.ac.in

- पंजाबी विश्वविद्यालय- # पटियाला -147002, पंजाब, रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, पाठ्यक्रमों की पेशकश- एमए, पीएचडी, www.punjabiuniversity.ac.in

- केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू- # जम्मू -180011, राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग, पाठ्यक्रम- एकीकृत एम। फिल / पीएचडी कार्यक्रम, www.cujammu.ac.in

                                                ये लेखक के अपने विचार हैं।
                                                     आसिफ अहमद


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