‘जनशत्रुओं से कैसे निपटें’

Wednesday, May 05, 2021 - 06:42 AM (IST)

दिल्ली के पास फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा का एक वीडियो देखकर मैं दंग रह गया। नीरज ने बड़ी हि मत की और वे एक ऐसे गोदाम में घुस गए, जहां ऑक्सीजन  के दर्जनों सिलैंडर रखे हुए थे। उन्हें देखते ही उस गोदाम के चौकीदार भाग खड़े हुए। 

नीरज ने अपने वीडियो में यह सवाल उठाया है कि फरीदाबाद और गुडग़ांव में लोग ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं और यहां इतने सिलैंडरों का भंडार कैसे जमा हुआ है? हो सकता है कि ये सिलैंडर किसी ऑक्सीजन पैदा करने वाली कंपनी के हों और किसी कालाबाजारी दलाल के न हों लेकिन नीरज शर्मा की पहल का परिणाम यह हुआ कि उस गोदाम के मालिक ने वे सिलैंडर तुरंत ही हरियाणा सरकार के एक अस्पताल को समॢपत कर दिए। नीरज ने उस गोदाम पर छापा इसलिए मारा था कि उनके विधानसभा क्षेत्र के कई लोगों ने आकर शिकायत की थी कि उनके परिजन ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं और फलां जगह सिलैंडर का भंडार भरा हुआ है। 

यहां असली सवाल यह है कि हमारे देश के पंच, पार्षद, विधायक और सांसद नीरज शर्मा की तरह सक्रिय क्यों नहीं हो जाते? सारे राजनीतिक दलों के कार्यकत्र्ताओं की सं या लगभग 15 करोड़ है। यदि ये सब एक साथ जुट जाएं तो एक कार्यकत्र्ता को सिर्फ 14-15 लोगों की देखभाल करनी होगी। यानी अपने अड़ोस-पड़ोस के सिर्फ 3-4 घरों की जि मेदारी वे ले लें तो सारा देश सुरक्षित हो सकता है। वे मरीजों के लिए ऑक्सीजन, इंजैक्शन, पलंग और दवाई का पर्याप्त इंतजाम कर सकते हैं। 

प्रशासनिक अधिकारी उनकी मांग पर अपेक्षाकृत जल्दी और ज्यादा ध्यान देंगे। आम लोगों का मनोबल भी अपने आप ऊंचा हो जाएगा। लगभग इसी तरह का काम अलवर (राजस्थान) के एक विधायक संजय शर्मा ने किया है। उन्होंने कलैक्टर के द तर पर धरना देकर मांग की है कि अलवर के अस्पतालों में ऑक्सीजन तुरंत पहुंचाई जाए। यदि हमारे जन-प्रतिनिधि सक्रिय हो जाएं तो कालाबाजारी पर भी तुरंत लगाम लग सकती है। 

हमारी अदालतें और सरकारें इस भयंकर अपराध पर सिर्फ जबानी जमा-खर्च कर रही हैं। इस तरह के जनशत्रुओं को कैसे दंडित किया जाता है, यह मैंने अपनी आंखों से अफगानिस्तान में देखा है। अरब देशों में ऐसे नरपशुओं को सरेआम कोड़ों से पीटा जाता है, उनके हाथ काट दिए जाते हैं और उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता है। उनकी दुर्गति देखकर भावी अपराधियों की रूह कांपने लगती है। यदि हमारी सरकारें और पाॢटयां इन जनशत्रुओं का इलाज तुरंत नहीं करेंगी तो उसके सारे इलाज नाकाम हो सकते हैं।

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