नौकरी ढूंढने वाले कैसे नौकरी देने लायक बनें, ‘यंग एंटरप्रेन्योर पॉलिसी’ बनाए पंजाब

punjabkesari.in Wednesday, Mar 22, 2023 - 06:13 AM (IST)

पंजाबियों की उद्यमशीलता जगजाहिर है। पंजाब की जड़ों से जुड़े ऐसे कई सफल स्टार्टअप्स ने दुनियाभर में मिसाल कायम की है। मुक्तसर के एक टीचर के बेटे जोमैटो के संस्थापक सी.ई.ओ. दीपिंदर गोयल ने ऑनलाइन फूड बिजनैस का कारोबार कई देशों में फैलाया है। 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार जमाने वाले फ्लिपकार्ट के सी.ई.ओ. बिन्नी बंसल चंडीगढ़ के हैं। पांच-सात साल में ही पंजाबी युवा उद्यमियों की सफलता की ये चमत्कारी कहानियां नौकरी ढूंढने वाले लाखों बेरोजगार युवाओं को उद्यमशीलता की ओर आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती हैं।

पंजाब में रोजगार के नए संसाधनों में तेजी लाने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि इस कृषि प्रधान सूबे में खेतों की संख्या तो नहीं बढ़ाई जा सकती, पर औद्योगिक व सॢवस सैक्टर में नौकरियों की बाढ़ जरूर लाई जा सकती है। युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए 2023-24 के बजट में मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अगले शैक्षणिक सत्र से सभी स्कूलों में ‘बिजनैस ब्लास्टर यंग एंटरप्रेन्योर प्रोग्राम’ शुरू करने को हरी झंडी दी है। इस पहल से स्कूलों में 11वीं कक्षा से ही बच्चों को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस प्रोग्राम के साथ राज्य के कई सफल कारोबारियों को मार्गदर्शक के रूप में जोड़ा जा सकता है।

ये अनुभवी कारोबारी युवाओं को प्रेरित करने के साथ उनके उद्यमों में निवेश से भी उन्हें और अधिक प्रोत्साहित कर सकते हैं। खास कर स्कूली पढ़ाई बीच में ही छोडऩे को मजबूर युवाओं को नौकरी के लिए भटकने की बजाय नौकरी देने लायक बना पाएं तो बेरोजगारी की समस्या से और अधिक आसानी से निपटा जा सकेगा।  पंजाब में 20-30 वर्ष की आयु के 28 प्रतिशत बेरोजगारों में 62 प्रतिशत मैट्रिक पास या उससे ऊपर के शिक्षित हैं, जिनमें करीब एक-चौथाई तकनीकी या पेशेवर रूप से प्रशिक्षित हैं। शिक्षित युवाओं की आकांक्षाओं के मुताबिक नौकरियां न मिलना भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है।

इस वजह से मानसिक बीमारी, अपराध और नशे की गिरफ्त से युवाओं को बाहर निकालने के लिए रोजगार से जोडऩा बहुत जरूरी है। सरकारी क्षेत्र में नौकरियां सीमित हैं। इस सीमा से परे नौकरी ढूंढने वाले लाखों युवाओं में से ही दर्जनों को भी यदि नौकरी देने लायक बनाना है, तो इसके लिए पंजाब को ‘यंग एंटरपे्रन्योर पॉलिसी’ की जरूरत है। 

विदेशों में छोटी नौकरियां करने को मजबूर : कई अध्ययनों से खुलासा हुआ है कि 30 प्रतिशत बच्चे स्कूल की पढ़ाई बीच मेंं ही छोड़ रहे हैं। कनाडा, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और इंगलैंड जैसे देशों की बेहतर जीवनशैली युवाओं को लुभा रही है। इसलिए अपने बच्चों को विदेशों में नौकरी के लिए भेजने हेतु जमीनें बेच रहे छोटे व मंझोले किसानों का एक बड़ा तबका अपना  बुढ़ापा अकेले में काटने को मजबूर है। 2021 में पंजाब बेरोजगार ब्यूरो में नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले 2,69,534 युवा थे।

जबकि सैंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) ने दावा किया कि पिछले पांच साल के दौरान पंजाब में कामकाजी उम्र की आबादी में 24 लाख की बढ़ोतरी हुई है। जनवरी 2017 में 2.34 करोड़ कामकाजी आबादी जनवरी 2022 में बढ़कर 2.58 करोड़ हो गई, वहीं राज्य में नौकरी करने वालों की कुल संख्या 99 लाख है। संकेत साफ है कि उपलब्ध नौकरियों और इनके चाहवानों की उच्च योग्यताओं के बीच मेल न होने से उन्हें विदेशों में छोटी नौकरियां भी करने को मजबूर करता है।

रोजगार बढ़ाने की संभावना

कृषि : किसान परिवारों में जमीन के बंटवारे से बड़े पैमाने पर खेत सिकुड़ते जा रहे हैं। पंजाब के कृषि क्षेत्र का रोजगार में योगदान 2004-05 में 50 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत रह गया है, जबकि देश में अभी भी 45.6 प्रतिशत आबादी का प्रमुख रोजगार खेती है। जी.डी.पी. में खेती का योगदान 48.6 प्रतिशत से घटकर 24 प्रतिशत रह गया है। ग्रामीण इलाकों में छोटी फूड प्रोसैसिंग इकाइयों से रोजगार के नए अवसर पैदा करने की संभावना है।

उद्योग : पंजाब की जी.डी.पी. में 24 प्रतिशत योगदान देने वाले उद्योग राज्य की 35 प्रतिशत आबादी को रोजगार दे रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में अभी भी रोजगार के नए अवसर पैदा करने की अपार क्षमता है। मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में करीब 15 लाख एम.एस.एम.ई. इकाइयों में 24 लाख लोग काम कर रहे हैं। टैक्सटाइल-यार्न, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, ट्रैक्टर व कृषि उपकरण, साइकिल व उनके पार्ट्स, हौजरी, खेल का सामान, हैंड व मशीन टूल्स, इंजीनियरिंग गुड्स जैसे मजबूत उद्योगों में मौजूदा व नए उद्यमियों के लिए दुनिया के बाजारों में कारोबार विस्तार की बड़ी संभावनाओं से यहां रोजगार के नए अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।

सर्विस सैक्टर : सर्विस सैक्टर जैसे आई.टी. और टरशरी सैक्टर जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, हॉस्पिटैलिटी व मनोरंजन आदि पंजाब की जी.डी.पी. में 53.4 प्रतिशत का योगदान करते हैं, पर इनमें केवल 30 प्रतिशत आबादी को रोजगार मिला है। सॢवस सैक्टर में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य को डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, लाइफ सांइस व बायोटैक्नोलॉजी, कृषि और फूड प्रोसैसिंग और आई.टी. के लिए ‘प्लग एंड प्ले’ इन्क्यूबेटरों को बढ़ावा देना जरूरी है। ये आई.टी. इन्क्यूबेटर राज्य में मौजूदा औद्योगिक समूहों के आसपास स्थापित किए जाने की जरूरत है।

आगे की राह : युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए पंजाब सरकार की पहल- ‘बिजनैस ब्लास्टर यंग एंटरप्रेन्योर प्रोग्राम’ के अलावा यहां के कॉरपोरेट घरानों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सी.एस.आर.) फंंड, स्कूलों व कॉलेजों के एल्यूमनी फंड व एन.आर.आई.  फंड से युवा उद्यमियों की मदद की जा सकती है। कॉरपोरेट्स द्वारा  एंटरप्रे्रन्योरशिप डिवैल्पमैंट सैल (ई.डी.सी.) उद्यमशील युवाओं को ऐसे उद्यमी के तौर पर तैयार कर सकता है, जो नौकरी ढूंढने की बजाय नौकरी देने लायक बनने की सोच रहे हों। इस सैल के सहयोग के लिए ‘यंग एंटर  प्रेन्योर पॉलिसी’ लागू करने की जरूरत है, जिसकी मदद से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर पैदा हों, जिससे ‘रंगले पंजाब’ के सुनहरे सपने को पंख लगें। -डा. अमृत सागर मित्तल (वाइस चेयरमैन सोनालीका) (लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एंव प्लाङ्क्षनग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)


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