...आखिर और कितनी ‘निर्भया’

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2024 - 05:15 AM (IST)

देश -विदेश में सदमा, भय, अविश्वास और दुख व्याप्त है क्योंकि मेरे देश में महिलाओं के साथ बलात्कार और अत्याचार बढ़ रहे हैं। अब इस देश की कुछ महिलाएं, रिश्तेदारों या सहकर्मियों के व्यवहार के बारे में दबी आवाज में बोलने लगी हैं। उन्हें छूना, दबाना और यह देखने की कोशिश करना कि उनकी सीमा क्या है। ये वही चालाक, धूर्त रिश्तेदार, चचेरे भाई, चाचा या सहकर्मी हैं जिन्हें आपको किसी भी परिवार में पैदा होने पर सहना पड़ता है। इस देश में, आपको इसकी आदत हो जाती है क्योंकि कोई भी इस समस्या को सुलझाने में आपकी मदद नहीं करेगा। 

वे आपसे उम्मीद करते हैं कि आप चुप रहें, इसे सहन करें अन्यथा परिवार की प्रतिष्ठा बर्बाद हो जाएगी। कुछ लोग इससे आगे बढ़ गए और कहा कि लड़की ने ही पुरुष को प्रोत्साहित किया होगा। मेरी एक दोस्त के साथ उसका सगा भाई हर रात यौन संबंध बनाता था। घर की लड़की को परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखनी होती है। चाहे उसका चचेरा भाई, चाचा, भतीजा हर रात उसे मजबूर कर रहा हो। कुछ जगहों पर तो घर की महिला भी अपनी बेटी को परेशान होते देख नजरें फेर लेती है। आप बस या लोकल ट्रेन में यात्रा करते हैं तो लोग आपसे टकराने की कोशिश करते हैं, आपको गलती से छू लेते हैं, यहां तक कि कई बार आपके पीछे खड़े होकर हस्तमैथुन करते हैं जबकि लोकल ट्रांसपोर्ट में सब लोग देख रहे होते हैं, कुछ लोग इसका आनंद लेते हैं और कुछ इसे अनदेखा कर देते हैं। 

मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं है। शक्तिशाली परिवारों, अमीर घरों से मेरीे बहुत सारी दोस्त बड़े होने के दौरान लगातार सालों तक इस शारीरिक-मानसिक यातना से गुजरी हैं। वे बोलने की हिम्मत नहीं करतीं। यह एक तरह उनकी मानसिकता है। यह गलत परवरिश है। यही हम बच्चों के दिमाग में डाला जाता है। लड़का सबकी आंखों का तारा होता है जबकि लड़की बोझ होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह एक लड़की है जो आपके बूढ़े होने पर आपकी देखभाल करेगी और यह ज्ञात है कि लड़का शादी करता है, और वह शादी के बाद पत्नी के परिवार के लिए समर्पित हो जाता है। हम तरजीह लड़के को देते हैं, लड़की को नहीं। अगर आपके बच्चे या नाती-नातिन स्कूल जाते हैं, तो वे आपको बताएंगे कि कैसे लड़के उन्हें धमकाते हैं और आगे बढऩे की कोशिश करते हैं, लेकिन शायद ही किसी में स्कूल के शिक्षकों को इसकी रिपोर्ट करने की हिम्मत होती है क्योंकि फिर उन्हें बहिष्कृत कर दिया जाएगा और धमकाया जाएगा। 

मैं आज की लड़कियों से बहुत उम्मीद करती हूं। लेकिन मैं उसे शिक्षा, सोशल मीडिया एक्सपोजर के साथ देखती हूं कि वे अभी भी अपने परिवारों, सम्मान और सामाजिक दायित्वों के बोझ तले दबी हैं। आप उन्हें कितना बचा सकते हैं। हम उन्हें आत्मरक्षा सिखा सकते हैं लेकिन सामूहिक बलात्कार से नहीं। भारतीय पुरुषों की मानसिकता यह है कि वे बस अपनी इच्छाओं से परे नहीं देख सकते हैं। यदि आप किसी पुरुष को देखकर मुस्कुराती हैं या सिर हिलाती हैं तो उन्हें लगता है कि आप उनके साथ हमबिस्तर होना चाहती हैं। भारतीय पुरुषों की हताशा हर उस चीज को पार कर जाती है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। साल 2012 में उन्होंने केवल उसका बलात्कार ही नहीं किया, बल्कि उसकी आंतों से भी खेला। यह दिल्ली में हुआ और उन्होंने उसका नाम ‘निर्भया’ रख दिया। 

2017 में उन्होंने केवल उसका बलात्कार नहीं किया, उसे पेड़ पर लटका दिया। यह उन्नाव में हुआ था और उन्होंने उसका नाम ‘निर्भया-2’ रखा। 2019 में उन्होंने केवल उसका बलात्कार नहीं किया, उसे जिंदा जला दिया। यह हैदराबाद में हुआ था और उन्होंने उसका नाम ‘निर्भया-3’ रखा। 2019 से लेकर अब तक हम केवल मोमबत्तियां जला रहे हैं, अपनी कापी काली कर रहे हैं, कुछ फेसबुक पेजों पर टिप्पणी कर रहे हैं और एक हफ्ते के भीतर ही सब भूल जाते हैं। दिन बीतते हैं और हमारे सामने निर्भया 4, 5, 6 आती हैं। 2024 में उन्होंने एक रैजीडैंट डाक्टर का बेरहमी से बलात्कार किया और उसे मार डाला। जब रातों-रात करंसी बदली जा सकती है, जब नेताओं के वेतन बढ़ाने के लिए विशेष सत्र बुलाया जा सकता है, जब विश्वास मत के लिए संसद पूरी रात खुली रह सकती है, तो बलात्कार के खिलाफ सख्त कानून पारित करने में देरी क्यों हो रही है? अगर ऐसा नहीं किया गया तो बलात्कार, अत्याचार, गंदी निगाहें चलती रहेंगी। हमारी मोमबत्तियां, हमारी उम्मीदें जलती रहेंगी, लेकिन नए सिरे से। यह सब शर्मनाक और अपमानजनक है। 

जब आप विदेश यात्रा कर रहे हों तो आपका सिर शर्म से झुक जाता है जब हमें बताया जाता है कि हमारा  देश बलात्कारियों का देश है, और हम अपनी महिलाओं को आपके देश की यात्रा नहीं करने देंगे क्योंकि उन्हें प्रताडि़त किया जाएगा और उनसे बलात्कार किया जाएगा चाहे वे फाइव स्टार होटल में रहें या एयर बी.एन.बी. में। वे हमारे टैक्सी ड्राइवरों पर भरोसा नहीं कर सकते। वे होटल के वेटरों पर भरोसा नहीं कर सकते। क्या हम असामान्य हैं, यह एक सवाल है जो मैं पूछती हूं कि क्या ऐसे भारतीय अपराधियों के लिए सजा बहुत कम है और बलात्कार से लेकर हत्या, लाशों की जमाखोरी से लेकर हर क्षेत्र में भ्रष्ट तरीके अपनाए जा रहे हैं? उन्हें कितनी बार पैरोल दी जाती है। 

मैं फिर भी यही कहूंगी कि बेटी लक्ष्मी है जो आपके मरने तक आपके साथ रहेगी और आपकी हर तरह से देखभाल करेगी और अपना सब कुछ त्याग देगी। वह अपने परिवार और उनकी भलाई के लिए ऐसा करती है। हम अपनी बेटियों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो कड़ी सजा ही इसका एकमात्र जवाब है। महिलाओं का सम्मान करने के बारे में अपने बेटे की मानसिकता को सही करते हुए अभी शुरूआत करें। उसे बताएं कि लड़कियां अनमोल हैं, उन्हें सावधानी से संभालें।-देवी एम. चेरियन
 


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