कैसे 162 विधायकों ने पांच सितारा ‘आलीशान कैद’ में एक माह बिताया

Saturday, Dec 07, 2019 - 02:12 AM (IST)

महाराष्ट्र में 24 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों में चुने जाने के बाद शिवसेना, कांग्रेस तथा राकांपा के 162 विधायकों ने 5 सितारा आलीशान कैद में कई सप्ताह बिताए। खरीद-फरोख्त से बचने के लिए उनको एक होटल से दूसरे होटल में ठहराया गया। इस दौरान प्रत्येक विधायक के साथ दो निजी सहायक रखे गए थे। उन्होंने कपड़ों से लेकर घर का बना खाना तथा मैडीकल सुविधाएं भी विधायकों को उपलब्ध करवाईं। कई कार्पोरेट इस चाह में कि उनके मनपसंदीदा विधायक एक दिन कुर्सी पर बैठेंगे, इसी के चलते उन्होंने दिन-रात एक कर इनका ख्याल रखा। 

पिछले दिनों एक विधायक को मैडीकल एमरजैंसी की जरूरत पड़ गई। दो कार्पोरेट विधायक के कमरे में एक डाक्टर को लेकर आए। अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर ठाणे के एक कार्पोरेट ने बताया कि यदि किसी विधायक ने सैलून तक जाना होता था तो दो पार्टी कार्यकत्र्ता उसको उपलब्ध करवाए जाते थे। इसका मतलब यह नहीं था कि हम अपने विधायक पर भरोसा नहीं करते थे। यह इसलिए किया जाता था क्योंकि हमें भाजपा की युक्तियां पता थीं। कुछ विधायक पूल में डुबकियां लगाया करते थे। इसके अलावा वे नित्य जिम में भी पसीना बहाया करते थे। कई विधायक लॉबी में बैठना पसंद करते थे। 

जब यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा और शिवसेना मिल कर नई सरकार बनाएंगे तब शिवसेना ने अपने 56 विधायकों को बांद्रा के एक होटल रंगशारदा में ठहराया। वहां पर वे लोग दो सप्ताह तक रुके। यह होटल मातोश्री से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है। ठाकरे निवास बांद्रा ईस्ट में है। शिवसेना भवन यहां से 4 किलोमीटर, राजभवन 10 किलोमीटर तथा विधान भवन 19 किलोमीटर दूर है। अपने घरों के छोटे प्रवास के बाद इन विधायकों को फिर से मड आईलैंड ले जाया गया। रंगशारदा में केवल 30 रूम ही थे और एक कमरे में दो ही विधायक ठहर सकते थे। शिवसेना विधायक का कहना है कि कमरे ज्यादा साफ नहीं थे। 

शिवसेना विधायक 10 दिनों के लिए ‘द रिट्रीट’ में ठहराए गए। उसके बाद उनको अंधेरी में ‘लैमन ट्री’ होटल में शिफ्ट कर दिया गया। यहीं पर उन्होंने देवेन्द्र फडऩवीस तथा अजीत पवार के इस्तीफे की बात सुनी। इस दौरान नतीजों के फौरन बाद कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को जयपुर में शिफ्ट कर दिया। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिल्ली से मुम्बई के चक्कर काटते रहे ताकि पार्टी नेतृत्व को शिवसेना गठबंधन में शामिल होने के लिए कहा जा सके।

विधायकों को जयपुर में ही रुकने के लिए कहा गया। 23 नवम्बर को इन विधायकों को जे.डब्ल्यू. मैरिएट होटल में ले जाया गया जहां पर उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक चव्हान को रखा गया। 25 नवम्बर को एन.सी.पी. विधायक तथा शरद पवार के भाई के पौत्र रोहित पवार ने विधायकों से मुलाकात करने हेतु अचानक दौरा किया। रोहित ने कांग्रेसी विधायक धीरज देशमुख, विश्वजीत कदम तथा  असलम शेख के साथ कुछ घंटे बिताए। उसके बाद वे ग्रैंड हयात के लिए रवाना हो गए जहां पर एन.सी.पी. विधायकों को रखा गया था। लगभग एक सप्ताह के बाद 28 नवम्बर को जे.डब्ल्यू. मैरिएट में ठहरे कांग्रेसी विधायकों को कोलाबा के ताज होटल में ले जाया गया। 

एक होटल में एन.सी.पी. सांसदों को सबसे बाद में ले जाया गया। उनको सबसे पहले पोवई के एक होटल में ले जाया गया मगर विधायकों तथा उन पर निगरानी रख रहे पुलिस कर्मियों के बीच कशमकश के बाद कुछ विधायकों को बांद्रा-कुर्ला काम्प्लैक्स में ठहराया गया। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद 29 नवम्बर को विधायकों को फिर से शिफ्ट किया गया। उनमें से कुछ को लोअर पारेल के सेंट रेजिस होटल में रखा गया और बाकी के विधायकों को कोलाबा के ताज होटल में ले जाया गया।

शिवसेना नेता अनिल परब, मिलिंद नारवेकर, एकनाथ शिंदे, प्रताप सारनायक तथा सुनील प्रभु को विधायकों के रुकने का इंतजाम करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इन विधायकों में एन.सी.पी. तथा कांग्रेस के विधायक शामिल थे। सिर्फ इनको ही 4-जी कनैक्शन वाले मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत दी गई थी। वहीं अनिल परब का कहना है कि हमने इस तरह की व्यवस्था बना रखी थी  कि सभी विधायकों का ध्यान बड़ी मुस्तैदी से रखा जा सके। हमारे सभी होटलों में हमारी पार्टी के सदस्य मौजूद थे। 

कई एन.सी.पी. तथा कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि वे शिवसेना द्वारा किए गए इंतजाम से बेहद प्रभावित हुए थे। हमने कभी भी नहीं सोचा था कि शिवसेना के युवा वालंटियर इतने सहयोगी साबित होंगे। इन वालंटियरों ने बड़ी तेजी से यात्रा, खाना तथा अन्य चीजों का इंतजाम किया था। वे बहुत भद्र पुरुष थे तथा विधायकों के साथ घुल-मिल गए थे। एक विधायक का कहना है कि होटलों में ठहरने के दौरान उन पर बेहद दबाव था। मगर चुनावों के दौरान चढ़ी थकान को उतारने के लिए हमें इस तरह के आराम की सख्त जरूरत थी। वहीं एक अन्य विधायक ने कहा कि हमें शिवसेना का धन्यवादी होना चाहिए क्योंकि पूर्व में विपक्षी दल होने के बावजूद भी उन्होंने इस तरह की दरियादिली दिखाई। 

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