इतिहास कभी छल करने वालों को माफ नहीं करता
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 05:48 AM (IST)

आज मैंने एक चालाक को बर्बाद होते देखा। नाटक से नहीं, सायरन या सुर्खियों से नहीं बल्कि उस शांत विस्फोट से जो तब होता है जब कोई अपनी ही चालों के आगे आखिरकार फंस जाता है। यह आदमी खुद को चालाक समझता था। उसने अपने गुर्गों को समितियों में शतरंज की बिसात पर प्यादों की तरह बिठाया। उसने बैठकों में बाधा डाली,असहमति को दबाया और एक कठपुतली संचालक की तरह अकड़कर चलता रहा जो मानता था कि सारा खेल उसके धागों के लिए है। उसकी ताकत कभी उसकी अपनी नहीं थी। यह उन कमजोरों से आती थी जिन्हें वह उसके बोलने पर ताली बजाने और उसके भौंहें चढ़ाने पर घूरने के लिए सहारा देता था। लेकिन कठपुतलियां नाजुक होती हैं। उसकी डोरियों के लगातार खिंचाव के बिना वे फडफ़ड़ातीं, लडख़ड़ातीं और भीगी हुई कागज की गुडिय़ों की तरह ढह जाती हैं और उनके साथ, वह शक्तिशाली चालाक भी गिर गया।
इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि जिंदगी हमें हमेशा दो भूमिकाएं देती है-चालाक या मास्टर बिल्डर। छल करने वाला नियंत्रण पर फलता-फूलता है। वह दूसरों को कमजोर करता है ताकि वह मजबूत दिखे। वह जहर उगलता है, पंख कतरता है और लोगों को आश्रित रखने में आनंद लेता है। उसकी दुनिया शक्तिशाली दिखती है लेकिन खोखली है, जैसे ताश का घर जो हल्की-सी हवा से ढह जाता है। दूसरी ओर, मास्टर बिल्डर इसके विपरीत करता है। वह अपने आस-पास के लोगों को मजबूत बनाता है। वह मार्गदर्शन में समय लगाता है, लोगों को खुद सोचने के लिए प्रशिक्षित करता है और जब वे उससे ज्यादा चमकते हैं तो जश्न मनाता है। उसकी ताकत दूसरों को छोटा रखने से नहीं बल्कि उन्हें ऊंचा बनाने से आती है। उसकी दुनिया धीरे-धीरे बढ़ती दिखती है लेकिन टिकती है।
मैं एक बार ऐसे ही एक बिल्डर को जानता था। वह जूनियर्स को गलतियां करने, सीखने और नेतृत्व करने देता था। जब मैंने पूछा कि क्या उसे डर है कि वे उससे आगे निकल जाएंगे तो वह हंसा, ‘‘बॉब, अगर वे ज्यादा चमकेंगे, तो मैं उनकी रोशनी में तपूंगा।’’ सालों बाद, उसके शागिर्द अपनी कंपनियां चलाते हैं जबकि उसका नाम सम्मान के साथ याद किया जाता है। इसकी तुलना उस चालाक व्यक्ति से कीजिए जिसे मैंने आज देखा। उसके शागिर्द तोते थे, नेता नहीं। जब वह चुप हो जाता तो उनकी अपनी कोई आवाज नहीं होती। जब वह लडख़ड़ाता तो उसे थामने की ताकत नहीं बचती।
उसका पतन अवश्यंभावी था, इसलिए नहीं कि उसके दुश्मनों ने उसे बर्बाद कर दिया, बल्कि इसलिए कि उसने कभी कोई वास्तविक रचना नहीं की।
इसने मुझे सर्कस की याद दिला दी। एक सुबह रिंगमास्टर नहीं आया। शेर उलझन में खाली पिंजरों को घूरते रहे। जोकर बेमतलब भटकते रहे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कब गिर पड़ें। हाथी घबराहट में झूम रहे थे, कोड़े की तड़तड़ाहट का इंतजार कर रहे थे जो कभी आई ही नहीं। अपने मालिक के बिना, पूरा शो बिखर गया, इसलिए नहीं कि कलाकारों में कोई क्षमता नहीं थी, बल्कि इसलिए कि उन्हें कभी खुद सोचने या काम करने की इजाजत ही नहीं दी गई थी।
चालबाजों को सर्कस चलाना बहुत पसंद होता है। तो हां, आज मैंने एक चालबाज को बर्बाद होते देखा और मैं सोचने लगा कि हम किस रूप में याद किए जाना चाहते हैं? उस चालबाज के रूप में जिसने चतुराई से खेल खेले और कुछ नहीं छोड़ा या उस कुशल निर्माता के रूप में जिसने मजबूत लोगों को पाला और एक विरासत छोड़ी। इतिहास कभी छल करने वालों को माफ नहीं करता। वह हमेशा निर्माताओं का सम्मान करता है!-दूर की कौड़ीराबर्ट क्लीमैंट्स