हिमाचल के भाग्य का फैसला अब मतदाताओं के हाथ

Tuesday, Oct 17, 2017 - 02:14 AM (IST)

चुनावों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों में टिकट आबंटन को लेकर सत्ता पर काबिज होने की अटकलें तेज हो गई हैं। आखिर मतदाताओं के लिए भी राजनीतिक पार्टियों से अपना हिसाब-किताब चुकता करने का समय आ गया है। 

जहां 5 साल तक विधायक, मंत्री व राजनीतिक पार्टियों के नेता जनता को कामों के लिए अपने पीछे चक्कर लगवा रहे हैं वहीं मतदाता अब इंतजार की घडिय़ां गिन रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में अक्सर यह देखा गया है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को एक-आध बार छोड़कर मिशन रिपीट का अवसर नहीं मिला। प्रदेश में प्रमुख विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी पिछले 5 वर्षों से ही वर्तमान कांग्रेस सरकार को गिराने के सपने देखती रही। आए दिन समाचारपत्रों के माध्यम से भाजपा नेताओं के बयान इस बात का सूचक रहे हैं कि भाजपा सत्ता के बिना ‘बिन पानी मछली की तरह’ तड़पती रही।

क्या इन चुनावों में भाजपा सत्तासीन हो सकेगी, यह बात तो प्रदेश के मतदाताओं पर निर्भर है। बताया जाता है कि जहां भाजपा ने केंद्र में सत्तासीन होने के बाद भरपूर लाभ उठाया, वहीं सत्तासीन कांग्रेस पार्टी ने अपने दम-खम पर पूरे 5 वर्ष सरकार चलाई। इन चुनावों में भाजपा मोदी का चेहरा दिखाकर जनता से चुनाव में वोट मांगने निकल रही है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में हुए अभूतपूर्व विकास को अहम मुद्दा बना रही है। कांग्रेस का कहना है कि बीते 5 वर्षों में जो विकास के कार्य प्रदेश में हुए हैं, वे उसकी उपलब्धियों के लिए सराहनीय प्रमाण हैं। जनता भी इस बात से इंकार नहीं कर रही है कि इन 5 वर्षों में कांग्रेस ने विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए भी बढ़त हासिल की है। 

पिछले 6 माह में कांग्रेस ने प्रदेश के भीतर अधिकांश सरकारी खाली पदों को भरने की कवायद भी शुरू कर दी थी, जिसका लाभ वह लेने की फिराक में है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश में भ्रष्टाचार, नशाखोरी, खनन व वन माफिया को अहम मुद्दा बनाकर चुनावों में कांग्रेस को शिकस्त देने की तैयारी में है। इन राजनीतिक पार्टियों को सबक सिखाने के मूड में मतदाता की अहम भूमिका होती है। सत्तासीन सरकार का लेखा-जोखा व मुख्य राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा 5 वर्षों में गलत नीतियों के कारण कितनी बार विपक्ष ने आवाज उठाई, यह सब हिसाब-किताब मतदाता अपने पास रखता है। 

उल्लेखनीय है कि लगभग सवा 3 वर्ष पहले पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ मतदाताओं ने एकजुटता दिखाकर महंगाई, भ्रष्टाचार, एकाधिकार जैसी नीतियों का चुनावों में दमन कर दिया, लेकिन इन चुनावों में भी मतदाता इस आकलन के लिए तैयार हैं कि क्या पिछले 3 वर्षों में प्रदेश व देश में महंगाई कम हुई! इन चुनावों में भी भाजपा को महंगाई कम न होने के कारण कीमत चुकानी पड़ सकती है। भाजपा केंद्र के दम पर मतदाताओं को विकास के लिए सब्जबाग दिखाने का प्रयास करेगी। ऐसे में निर्णय तो मतदाताओं का ही महत्वपूर्ण होगा कि क्या वे सत्तासीन पार्टी को मिशन रिपीट का मौका देंगे या फिर केंद्र में भाजपा की सरकार को देखते हुए प्रदेश में भी भाजपा को आने वाले चुनावों में जीत दिलवाएंगे। इसके अलावा दोनों पाॢटयों के लिए प्रत्याशियों का सही चयन भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
 

Advertising