सरकार से समाज तक : हिमाचल की नशामुक्ति मुहिम बनी जनआंदोलन

punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 05:34 AM (IST)

उस मां पर क्या बीत रही होगी, जिसका एक बेटा मात्र 19 वर्ष में नशे की ओवरडोज से मर गया। बाद में पता चला कि जिस स्कूल में वह पढ़ता था, वहां दूसरे प्रदेशों के लोग सामान की फेरी लगाने के बहाने बच्चों को चरस देते थे। इसी जाल में हिमाचल जैसे करीब 78.54 लाख जनसंख्या वाले प्रदेश में 15 से 25 साल तक के युवाओं को टारगेट करके नशे की सप्लाई के खुलासे रौंगटे खड़े करने वाले हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने जब इस विषय में नकेल कसी तो खौफनाक मंजर सामने आए। मात्र डेढ़ वर्ष में 1000 किलो चरस जिस राज्य में पकड़ी जाए, 35 किलो हैरोइन, 90 किलो अफीम, वहां का युवा किस दिशा में जा रहा होगा, यह बेहद चिंताजनक है। 

प्रदेश में सुखविंदर सुक्खू ने इस मामले की कमान बतौर गृहमंत्री खुद संभाली है। जो मास ड्राइव चली है, उसके अभी तक जो नतीजे आए हैं, वे और भी खेदजनक हैं, क्योंकि जिन सरकारी कर्मचारियों व पुलिस कर्मियों पर सुरक्षा का जिम्मा है, वही इस घिनौने कृत्य को अंजाम दे रहे हैं। एक वर्ष में प्रदेश सरकार के 80 कर्मचारियों को सजा मिलने का मतलब है कि कैसे यह ड्रग माफिया सरकारी पदों की आड़ में छोटे-छोटे बच्चों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। न जाने कितने घरों के चिराग बुझ गए या फिर युवा बोझ बन गए। सरकार द्वारा डेढ़ वर्ष में की गई कार्रवाई का आकलन करें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की बेटियों तक को योजनाबद्ध टारगेट किया जा रहा है। चिंता बस यही नहीं है, बल्कि जिन सुइयों से यह नशे के इंजैक्शन लगा रहे हैं, उनसे बच्चों में एच.आई.वी. रोग फैल चुका है। अब सरकार के सामने एक और संकट यह आ गया कि एच.आई.वी. रोग को बढऩे से कैसे रोकें।

नशा कैसे पहुंचता है, कैसे बिकता है, कैसे इससे लोग धन कमाते हैं, यह पूरे प्रदेश में अलग केस स्टडी है। डेढ़ वर्ष में 1500 लोगों को एन.डी.पी.एस. एक्ट में पकड़ा गया। इन लोगों ने चरस व अफीम बच्चों को बेचकर 100 करोड़ रुपए की संपत्ति बना ली थी। आप समझ सकते हैं कि यह कारोबार कैसे फल-फूल रहा था। हालत यह हो गई कि सरकार को सिरमौर में महिलाओं व बेटियों के लिए अलग से 100 बिस्तरों वाला नशा निवारण होस्टल खोलना पड़ा। राज्य के डी.जी.पी. अशोक तिवारी भी इस मसले पर खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। टीम सुक्खू इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ अपराधियों को पकड़ रही है, बल्कि युवाओं को सही राह की ओर ले जाने के लिए अलग-अलग योजनाएं चला रही है और नशे के सेवन व तस्करी के प्रति जीरो टॉलरैंस की नीति अपना रही है। नशे में लिप्त युवाओं को उपचार के बाद पुनर्वास के लिए रोजगार के उचित अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। वहीं नशे के आदी लोगों के पुनर्वास के लिए मजबूत कानून-व्यवस्था के तहत सरकार ने हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध(निवारण एवं नियंत्रण) विधेयक, 2025 पारित कर नशा तस्करों को मृत्यु दंड, आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माने के अतिरिक्त अवैध तरीके से कमाई गई संपत्ति को कुर्क करने का प्रावधान किया है। इसके अतिरिक्त, नशामुक्ति, पुनर्वास, निवारक शिक्षा एवं आजीविका सहायता के वित्त पोषण के लिए एक राज्य कोष की स्थापना का प्रावधान भी किया गया है।प्रदेश सरकार द्वारा कुल्लू, ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में पुरुषों के लिए चार व रैड क्रॉस सोसायटी कुल्लू द्वारा महिलाओं के लिए एक नशा निवारण एवं पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। 

गत वर्ष राष्ट्रीय नशा निवारण अभियान के अंतर्गत सभी जिलों के 5,545 गांवों और 3,544 शैक्षणिक संस्थानों में 5,26,372 लोगों को नशे के विरुद्ध जागरूक किया। बच्चों में मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों और दुरुपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से स्कूली पाठ्यक्रम में एक अध्याय शामिल करने का निर्णय लिया है, जिसकी प्रदेश सरकार पंचायत स्तर पर मैपिंग कर रही है। सिरिंज के माध्यम से नशा करने वाले लोगों की इस आदत को छुड़वाने के लिए ओपिओइड सबस्टीच्यूशन थैरेपी (ओ.एस.टी.) के अंतर्गत मुंह से ली जाने वाली दवाओं जैसे बुक्रेनोफिन की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में 14 टारगेटिड इंटरवैन्शन प्रोजैक्ट्स के माध्यम से सुरक्षित सुइयों, परामर्श और एच.आई.वी./एस.टी.आई. के लिए रैफरल की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। एच.आई.वी. को लेकर नियमित जांच की जा रही है और पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों को ए.आर.टी. केन्द्र से जोड़ा जा रहा है। सरकारी डाटा बताता है कि पुलिस विभाग ने नशे के विरुद्ध  कार्रवाई करते हुए वर्ष 2023 से जून 2025 तक एन.डी.पी.एस. के 1140 मामले पकड़े और 1803 लोगों को गिरफ्तार भी किया। वर्ष 2024 में लागू किए गए पी.आई.टी. एन.डी.पी.ए. के अंतर्गत 123 प्रस्ताव भेजे गए और 41 आदेश गिरफ्तारी के जारी किए गए। नशा तस्करी से जुड़े आरोपी लोगों की 1214 संपत्तियों को चिन्हित, अतिक्रमण के 70 मामलों का पता लगाया और 7 मामलों में संपत्ति गिराने व खाली करवाने की कार्रवाई की गई। वर्ष 2023 में 4.87 करोड़ रुपए, 2024 में 24.42 करोड़ और 2025 में 6.66 करोड़ रुपए की संपत्तियां कुर्क की गईं, जबकि 7.74 करोड़ रुपए की संपत्तियों के मामले पुष्टि के लिए भेजे गए हैं।

नशे की समस्या सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जागरूकता और भागीदारी का विषय है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने जिस प्रतिबद्धता के साथ इस संकट के खिलाफ मोर्चा खोला है, वह आने वाली पीढिय़ों को बचाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। लेकिन यह जंग तब ही सफल होगी जब हर माता-पिता, हर शिक्षक, हर पंचायत और हर नागरिक यह ठान ले कि वह किसी भी रूप में इस जहर को अपने समाज में पनपने नहीं देगा। नशे के खिलाफ यह संघर्ष सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल की आत्मा को बचाने की लड़ाई है और इसमें जीतना ही एकमात्र विकल्प है।(लेखिका हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य हैं)-डा. रचना गुप्ता


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