पराजय के बाद भी अपनी ‘केन्द्रीय छवि’ बनाए रखने में सफल रहीं हिलेरी क्लिंटन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2017 - 02:47 AM (IST)

राष्ट्रपति चुनाव हारने के 10 महीनों बाद हिलेरी क्लिंटन गत सप्ताह अपनी नई पुस्तक ‘व्हाट हैपन्ड’ की रिलीज के साथ फिर से समाचारों में हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद लिखी गई 494 पृष्ठों की इस पुस्तक में चुनावों का विश्लेषण किया गया है जो चुनाव हारने के बाद उनके जीवन पर करीब से रोशनी डालती है और उनकी पराजय के कारणों की समीक्षा करती है।

अपनी पराजय के बाद भी हिलेरी अपनी केन्द्रीय छवि बनाए रखने में सफल रहीं। उनकी नई पुस्तक को आलोचनाओं के साथ-साथ समर्थन भी मिल रहा है। यहां यह जानना जरूरी है कि इंगलैंड के समाचार पत्र ‘टैलीग्राफ’ के अनुसार पुस्तक के स्टैंड्स पर पहुंचने के एक दिन बाद उसे 1800 रिव्यू मिले जिनमें से 900 नकारात्मक रिव्यू अमेजन की साइट से गायब कर दिए गए। इसके प्रकाशन से पूर्व अमेजन पर इसे नम्बर एक बैस्ट सैलर के रूप में आंका जा रहा था, जो हैरानी की बात नहीं। आखिरकार जिन लोगों ने 2016 में क्लिंटन का समर्थन किया था वे उनका पक्ष सुनना चाहते थे और यह भी कि वह क्यों पराजित हुइ राष्ट्रपति ट्रम्प की पुस्तक पर प्रतिक्रिया उनके स्वभाव के ही अनुरूप थी। पुस्तक रिलीज होने के एक दिन बाद 13 सितम्बर को उन्होंने ट्वीट किया कि धूर्त हिलेरी ने अपनी चुनावी पराजय के लिए सिवा अपने हर किसी (और हर चीज) को दोष दिया है। वह वाद-विवाद में हार गईं और अपनी दिशा खो दी। 

बहुत से लोग हिलेरी को अभी भी पसन्द नहीं करते और वे पूर्व प्रथम महिला, न्यूयार्क की सीनेटर, विदेश मंत्री तथा राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के बारे में लगभग कुछ भी नकारात्मक में विश्वास करना चाहते हैं। यहां तक कि उनके आलोचक उनकी निजी चीजों में भी खामियां ढूंढ रहे हैं जैसे कि उनकी आवाज, उनका लगातार हेयर स्टाइल बदलना, उनका कपड़े पहनने का ढंग आदि। बहुत से लोग मानते हैं कि वह झूठी हैं। हिलेरी समझती हैं कि कोई चीज ऐसी है जो मतदाताओं को लुभा नहीं पाई। उन्होंने पुस्तक में लिखा है कि इसका एक कारण आंशिक तौर पर यह हो सकता है कि वह एक महिला हैं। उन्होंने लिखा कि वह इस तथ्य को स्वीकार करती हैं कि बहुत से लोगों, करोड़ों लोगों ने यह निर्णय लिया कि वे बस मुझे पसन्द नहीं करते। उन्होंने प्रश्न पूछा है कि क्या वह ऐसी विभाजनकारी दिखाई देती हैं और क्या बिडेन तथा जॉन केरी ऐसे नहीं हैं। 

हिलेरी के बारे में बहुत से सकारात्मक पहलू भी हैं। उन्होंने प्रथम महिला, एक सीनेटर तथा ओबामा की विदेश मंत्री के तौर पर अपने राजनीतिक करियर में अच्छी कारगुजारी दिखाई है। वह महत्वाकांक्षी हैं और उस बात पर केन्द्रित रहती हैं जो वह चाहती हैं। उन्होंने प्रमुख राजनीतिक दल के लिए नामांकन के बाद 2016 में 6.58 करोड़ मतों के साथ पापुलर वोट जीता। उन्होंने सोचा नहीं था कि वह पराजित हो जाएंगी। 

‘‘मैं समझती हूं कि यह कहना उचित होगा कि मुझे यह एहसास नहीं हुआ कि पैरों के नीचे से जमीन कितनी तेजी से खिसक रही थी...मैं ध्यानपूर्वक बनाई नीतियों तथा कष्ट सहकर निर्मित गठबंधन को लेकर पारम्परिक तरीके से राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान चला रही थी जबकि ट्रम्प एक रियलिटी टी.वी. शो चला रहे थे जिसने अमरीकियों के गुस्से तथा असंतोष को अत्यंत बढ़ा दिया।’’ दो बार राष्ट्रपति पद के चुनाव हार चुकीं हिलेरी 2016 की पराजय की जिम्मेदारी स्वीकार करती हैं मगर फिर राष्ट्रपति ओबामा, उपराष्ट्रपति जो बिडेन, लिंग भेद, स्त्री जाति से द्वेष, एफ.बी.आई. प्रमुख जेम्स कोमे तथा अपने विरोधी बर्नी सैंडर्स को दोष देती हैं। वह अभी भी अपनी पराजय को पचा नहीं पा रहीं और अपनी पुस्तक के प्रचार के लिए साक्षात्कारों में निरन्तर कह रही हैं कि जो कुछ उन्होंने किया है उन्हें राष्ट्रपति बनना चाहिए था।

हिलेरी के लिंग संबंधी पत्ते नहीं चले यद्यपि वह महिलाओं के एक वर्ग का समर्थन जीतने में सफल रहीं जो खुद को उनके मनोरथ से जुड़ा पाती थीं। पराजय के बाद हिलेरी ने अपने भाषण में कहा था कि ‘‘उन सभी नन्ही लड़कियों के लिए जो यह देख रही हैं- कभी भी इस बात पर संदेह नहीं करना कि तुम मूल्यवान तथा शक्तिशाली हो और अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए विश्व में प्रत्येक अवसर प्राप्त करने की हकदार हो।’’ पुस्तक रिलीज के बाद महिलाओं के एक वर्ग ने महसूस किया कि यद्यपि वह पराजित हो गई हैं, उन्होंने उन्हें आगे का रास्ता दिखाया है। हिलेरी की एक कट्टर समर्थक ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि इसका श्रेय उनको जाता है तथा आने वाले वर्षों में अन्य उनका समर्थन कर सकते हैं। भविष्य में जब भी कोई महिला अमरीकी राष्ट्रपति जीतती है तो उसे रास्ता दिखाने के लिए हिलेरी का धन्यवाद करना होगा। 

पुस्तक में काफी खुले विचारों को प्रकट किया गया है और यह पाठक को बांधे रखती है, यह बात उनके आलोचक भी स्वीकार करते हैं। हिलेरी खुद को दोष देते हुए स्वीकार करती हैं कि एक उम्मीदवार के तौर पर उनकी सीमाओं को लेकर उनके डर सच हो गए। उन्होंने 2008 से सबक सीखने का प्रयास किया और कई मायनों में इस बार बेहतर तथा स्मार्ट प्रचार अभियान चलाया। मगर वह बहुत सारे अमरीकियों के गहरे गुस्से को साधने में असफल रहीं जो यह मानते थे कि मैं यथास्थिति वाली उम्मीदवार थी। 

पुस्तक में हिलेरी की तरफ से यह दिखाने का भी प्रयास किया गया है कि वह एक योद्धा हैं जो इतनी आसानी से हार नहीं मानतीं। ब्लूम्सबर्ग द्वारा अप्रैल में करवाए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार उनके पराजित होने के बाद उनकी लोकप्रियता में लगातार गिरावट आई। संक्षेप में हिलेरी थक चुकी हैं, जो वह मानने से इन्कार करती हैं। उनकी पराजय के बाद से वह निरन्तर जनता की नजर में रहते हुए अपने विचारों को उठाती रही हैं। वह लिखती हैं कि बहुत से लोग यह आशा करते हैं कि मैं भी गायब हो जाऊंगी, मगर मैं यहीं पर हूं। ‘हिलेरी गो अवे’ के नारों के बावजूद एक महत्वाकांक्षी महिला होने के नाते जनता की नजरों से ओझल होने का उनका कोई इरादा नहीं है।     


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