हेमंत सोरेन ने ली शपथ और विपक्ष ने दिखाई ‘ताकत’

Monday, Dec 30, 2019 - 03:58 AM (IST)

हरियाणा तथा महाराष्ट्र के बाद भाजपा ने झारखंड को भी विधानसभा चुनावों में खो दिया क्योंकि इन राज्यों में चुनाव राम मंदिर, एन.आर.सी., तीन तलाक, पाकिस्तान तथा अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर नहीं बल्कि स्थानीय मुद्दों पर लड़े गए थे। भाजपा हाईकमान ने झारखंड में हार का ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के सिर पर फोड़ा है, जबकि भाजपा यह सोच रही थी कि वह छोटे दलों की मदद से सरकार का गठन करेगी वहीं रघुबर दास अंतिम वोट की गिनती तक यह दावा ठोक रहे थे कि वह ही सरकार बनाएंगे। एक बैठक में झामुमो, कांग्रेस तथा राजद के विधायकों ने हेमंत सोरेन को अपने गठबंधन का नेता चुना तथा उन्होंने झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। इस दौरान विपक्ष ने अपनी ताकत दिखाई। 

कांग्रेस के राहुल गांधी, तरुण गोगोई, अशोक गहलोत तथा भूपेश बघेल उपस्थित हुए। इसके साथ-साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रमुक के एम.के. स्टालिन, टी.आर. बालू, कनिमोझी,राजद के तेजस्वी यादव, सपा के अखिलेश यादव,आप के संजय सिंह, सी.पी.आई. नेता डी. राजा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी तथा शरद यादव ने शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया। 7 अन्य विधायकों ने भी सरकार के हक में समर्थन देने की घोषणा की। दिल्ली विधानसभा के चुनाव 2020 के शुरू में होंगे तथा भाजपा को अब पूर्व के विधानसभा चुनावों के नतीजों से सबक लेना होगा। यदि वह भविष्य में चुनाव जीतना चाहती है तो उसे स्थानीय मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा। 

कानून व्यवस्था में फेल हुए योगी आदित्य नाथ
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार न केवल विकास कार्यों में फेल हुई है बल्कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाने में भी वह नाकाम हुई है। चाहे योगी ने अपना सख्ती वाला चेहरा दिखाने का प्रयास किया है मगर यह कानून व्यवस्था के लिए कारगर साबित न हो सका। विकास कार्यों के लिए राज्य में कोई स्थायी मुख्य सचिव नहीं है। इसकी नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। राजनीतिक गलियारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ तथा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच मतभेद सार्वजनिक तौर पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। लखनऊ में मौर्य ग्रुप मुख्यमंत्री कार्यालय पर यह आरोप लगा रहा है कि वह लोक निर्माण विभाग में हस्तक्षेप कर रहा है जोकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के अधीन पड़ता है। भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर का कृत्य भी विधानसभा में दिखाई दिया है, जिससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री तथा विधायकों में मतभेद हैं। हालांकि योगी ने हाईकमान से मिले निर्देशों के तहत विधायकों को यह चेतावनी दी है कि विधानसभा में अनुशासन बना कर रखा जाए मगर फिर भी योगी अपने विधायकों के साथ बेहतर  संबंध नहीं बना पा रहे। योगी सरकार एन.आर.सी. के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर अंकुश नहीं लगा पा रही। 

चिंतित हैं अशोक गहलोत
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार राज्य के विकास तथा कानून व्यवस्था को लेकर अच्छा कार्य कर रही है मगर गहलोत अब चिंतित दिखाई दे रहे हैं क्योंकि सरकार के एक साल के कार्यकाल के बाद न तो उन्होंने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और न ही उनका समर्थन करने वाले बसपा या फिर अन्य आजाद विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया। हालांकि मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने विधायकों की अपनी ही सूचियां बना रखी हैं, जिनको कि मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान शामिल किया जाएगा। मगर मंत्रिमंडल की क्षमता मुख्यमंत्री सहित 30 से ज्यादा नहीं होगी। वर्तमान में पंचायत चुनावों को लेकर गहलोत को थोड़ी राहत मिली है मगर राज्य की तीन राज्यसभा सीटों के आगामी चुनावों को लेकर उन्हें चिंता सता रही है। वहीं बसपा विधायक दिन-ब-दिन गहलोत पर सरकार में शामिल होने के लिए दबाव डाल रहे हैं। 

दिल्ली विधानसभा चुनाव
आने वाले कुछ ही दिनों में चुनाव आयोग दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा करने वाला है। सभी तीन प्रमुख दल आप, कांग्रेस तथा भाजपा ने चुनावी बिगुल बजा दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपना पूरा समय पानी, बिजली तथा सीवरेज पर गरीब तथा मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देने में लगे हुए हैं। वह अपनी सरकार के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा प्रदूषण के लिए किए गए अच्छे कार्यों को प्रोजैक्ट कर रहे हैं। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 22 दिसम्बर की रैली से चुनावी मुहिम शुरू कर दी है। भाजपा ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार को प्रोजैक्ट नहीं किया है।  कांग्रेस ने भी दिल्ली के रामलीला ग्राऊंड से भारत बचाओ रैली से अपना चुनावी बिगुल बजा दिया है।-राहिल नोरा चोपड़ा

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