अपने अंतिम समय तक वह चलते रहे

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 05:29 AM (IST)

व्हाट्सअप के दौर में कुछ ऐसा हो रहा है कि भारत विशाल कदमों से आगे बढ़ रहा है क्योंकि भारत का एक अरबपति अब दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी है। गड्ढों वाली सड़कें, टूटे पुल, प्रदूषित शहर और राक्षस की तरह दिखती झुग्गियां इस उपलब्धि की सराहना करती हैं। क्या इसी से हम किसी राष्ट्र की वित्तीय स्थिति को मापते हैं? एक ज्वलंत दृश्य जो मेरी स्मृति में बना हुआ है और जिसका मैं हिस्सा था वह बूढ़े पुरुषों और महिलाओं का था। एक क्लब के अध्यक्ष के रूप में मैं अपनी स्थापना से बाहर निकल रहा था। मेरी स्मृति में गरीबों में सबसे गरीब चल रहे थे। ये ऐसे लोग थे जिन्होंने चलना-फिरना छोड़ दिया था। 

चलना बंद कर दिया था? आप मुझे अविश्वास से देखते हुए यह बात पूछते हैं और हां यही सवाल मैंने उस सामाजिक कार्यकत्र्ता से पूछा था जिसने मुझे बताया था कि पूरे शहर में झुग्गी-झोंपडिय़ों और चॉल में कई बूढ़े लोग दिन भर अपने कूल्हे के भार पर या जमीन पर बैठे रहते हैं। क्यों? मैंने पूछा क्या वे बीमार हैं? सामाजिक कार्यकत्र्ता ने मुझे एक उदास-सी मुस्कान दी। उन्होंने कहा, ‘‘बीमार नहीं। उन्हें तो कठोर रूप से कहा गया है कि न वे उठें और न ही चलें क्योंकि यदि वे गिरते हैं तो अस्पताल के बिलों का भुगतान करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। और अगर वह बिस्तर पर पड़े हों तो उनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं होगा।’’ मैंने फुसफुसाकर कहा, ‘‘तो वे अभी भी बैठे रहते हैं और चलते नहीं हैं।’’ 

‘‘हां।’’ सामाजिक कार्यकत्र्ता ने कहा। जब वह मुझे झोंपडिय़ों में ले गया तो मैंने झांका और वास्तव में बूढ़ों को देखा जो शायद सुबह से रात तक हिलने से डरते थे। कमेटी के सदस्यों ने अलग-अलग फाइव स्टार होटलों का सुझाव दिया। मगर मैंने कहा, ‘‘नहीं, हम इन्हें सिर्फ नगर पालिका पार्क में रखेंगे और सभी पुराने लोगों को बुलाएंगे।’’ ‘‘क्यों?’’ मेरे सचिव ने पूछा। हम उन सभी को चार नुकीली लाठी देने के लिए पैसे का इंतजाम करेंगे ताकि वह फिसलें या फिर गिरें नहीं।

जैसा कि मैंने कहा, ‘‘यह एक अविस्मरणीय दृश्य था। पार्क में बूढ़े लोगों की भीड़ थी। कुछ ने मदद की, कुछ को उनके बच्चे ले गए जो फिर से चलने की उम्मीद में आए थे। मेरा मानना है कि यही वह जगह है जहां हमारे भव्य खर्च को करने की जरूरत है। दुनिया को दिखाने के लिए हमारे पास उडऩे के लिए निजी विमान या रोल्स रायस कारें हैं। उस पैसे को गरीबों पर खर्च करने या बुजुर्गों की मदद करने में लगाएं क्योंकि हमारे पास लाखों-अरबों रुपए हैं।’’ 

दूसरे दिन जब मैं अपनी कार से बाहर निकल रहा था और एक स्टोर की ओर चल रहा था तो एक युवा महिला ने एक बड़ी-सी मुस्कान दी और पूछा कि मैं कोविड के समय में कैसा था? मैंने उसके सवालों का जवाब देते हुए सोचा कि वह कौन हैं और फिर मुझे याद आया कि वह उन लोगों में से एक थी जो सचमुच अपने पिता को मेरे प्रतिष्ठान तक ले गई थी।  उसने कहा, ‘‘मेरे पिता अब नहीं हैं। मगर अपने अंतिम समय तक वह चलते रहे।’’-राबर्ट क्लीमैंट्स
 


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