हाथरस: योगी की परीक्षा

Saturday, Oct 03, 2020 - 03:02 AM (IST)

हाथरस में हुए बलात्कार के कारण देश में वैसा ही रोष पैदा हो रहा है, जैसा कि निर्भया-कांड के समय हुआ था बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि निर्भया-कांड से भी अधिक दुखद और भयंकर स्थिति का निर्माण हो रहा है। यदि यह कोरोना महामारी का वक्त नहीं होता तो लाखों लोग सारे देश में सड़कों पर निकल आते और सरकारों को लेने के देने पड़ जाते। 

यह ठीक है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुस्तैद किया है और योगी ने तुरंत सारे मामले की जांच के लिए विशेष कमेटी बिठा दी है लेकिन सारे मामले में हाथरस की पुलिस और डाक्टरों के रवैये ने सरकार की प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगा दिया है। पुलिस और सूचना विभाग के कुछ अधिकारियों के विरुद्ध भी कुछ कार्रवाई हुई है। 

सबसे पहले तो यही प्रश्न उठा कि एक सप्ताह तक इस बलात्कार की शिकायत पुलिस ने दर्ज क्यों नहीं की? स्थानीय अस्पताल ने उस युवती के इलाज में इतनी लापरवाही क्यों बरती? दिल्ली के एक अस्पताल में उसका निधन हो जाने पर पुलिस ने उसकी लाश को रात में ही फूंक डाला और उसके परिवार से कोई सहमति तक नहीं ली गई। किस डर के मारे पुलिस ने यह अमानवीय कार्य कर डाला? 

उस युवती ने खुद बलात्कार की बात कही और उन नर-पशुओं के नाम बताए। क्या मरने के पहले उसने जो बयान दिया, उस पर संदेह किया जा रहा है? ऐसा लगता है कि हाथरस की पुलिस और प्रशासन स्वयंभू है, संप्रभु है, सर्वोच्च है। यह स्थिति उ.प्र. सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रही है। 

यदि योगी सरकार अपनी घोषणा के मुताबिक अपनी पुलिस के खिलाफ अत्यंत सख्त कदम नहीं उठाएगी तो वह न सिर्फ अपने लिए खतरा पैदा कर लेगी बल्कि सारी भाजपा सरकारों के भविष्य को खटाई में डाल देगी। यह योगी की सबसे गंभीर परीक्षा का समय है। योगी से आशा की जाती है कि वे बलात्कारियों और पुलिस के विरुद्ध इतनी सख्त कार्रवाई करेंगे कि वह दूसरे मुख्यमंत्रियों के लिए मिसाल बन जाए।-डा. वेदप्रताप वैदिक
 

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