बंगलादेश में हसीना का विरोध

punjabkesari.in Monday, Dec 12, 2022 - 05:36 AM (IST)

बंगलादेश मेेंं भी शेख हसीना सरकार के खिलाफ उसी तरह प्रदर्शन होने शुरू हो गए हैं, जैसे कि श्रीलंका और म्यांमार की सरकारों के विरुद्ध हुए थे। म्यांमार की फौज ने तो वहां डंडे के जोर पर जनता को ठंडा कर दिया है लेकिन श्रीलंका की सरकार को चुनावों में मात खानी पड़ी है। ‘बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी’ ने दावा किया है कि उसके प्रदर्शनों में 10 लाख लोग जमा हुए हैं और उन्होंने हसीना से इस्तीफा मांगा है। उनका कहना है कि 2024 में चुनाव होने तक ढाका में कोई कार्यवाहक सरकार नियुक्त की जाए। बी.एन.पी. के सातों सांसदों ने अपने इस्तीफों की घोषणा कर दी। 

उन्होंने मांग की है कि चुनाव तुरंत करवाए जाएं। शेख हसीना ने हर बार धांधली करके चुनाव जीता है। बी.एन.पी. को बंगलादेश के कट्टरपंथी मुस्लिम मौलानाओं और जमाते-इस्लामी का भी भरपूर समर्थन है। बंगलादेश की बी.एन.पी. की नेता बेगम खालिदा जिया ने आरोप लगाया है कि शेख हसीना सरकार के राज में महंगाई आसमान छू रही है, लोग बेरोजगार हो रहे हैं, विदेश व्यापार घट गया है और सरकार भारत के इशारों पर नाचने लगी है। वह बंगलादेशी मुसलमानों के हितों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं करती हैं। रोङ्क्षहग्या मुसलमानों पर म्यांमारी अत्याचार और भारतीय अन्याय पर हसीना सरकार की चुप्पी बहुत ही निंदनीय है। 

इन सब आरोपों के बावजूद खालिदा जिया की इस रैली के मुकाबले हसीना द्वारा आयोजित चिटगांव और कॉक्स बाजार की रैलियों में कई गुना लोग शामिल हुए थे। 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस पर आयोजित बी.एन.पी. की रैली का उद्देश्य यह भी था कि उसे अमरीका और यूरोपीय देशों का सहयोग भी मिलेगा, लेकिन इन देशों के कई नेताओं और अखबारों ने खालिदा की पार्टी और जमात पर उनके शासन काल में भ्रष्टाचार और आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए थे। इन दोनों पार्टियों को बंगलादेश की जनता पाकिस्तानपरस्त समझती है। 1971 में पाकिस्तानी फौज के द्वारा की गई हत्याओं, अत्याचार और बलात्कार को बांगला जनता अभी भी पूरे दर्द के साथ याद करती है। 

भारत के प्रति आम बांगला जनता में अभी भी आभार का भाव है। भारत ने बहुत-से टापू ढाका को दे दिए थे, यह भी भारत की उदारता है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भारत सरकार ने बंगलादेशियों की सहायता उसी उत्साह से की है, जैसी वह अपने नागरिकों की करती है। हसीना सरकार ने भी भारत के उत्तर-पूर्वी प्रांतों को समुद्र तक पहुंच बनाने हेतु थल-मार्ग की सुविधा दे रखी है, जबकि खालिदा-सरकार के जमाने में असम और मणिपुर के आतंकवादियों को ढाका ने भरपूर मदद की थी। खालिदा और जमात के कारनामों से बंगलादेश के ङ्क्षहदू बहुत डरे हुए हैं, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि नेपाल और श्रीलंका की तरह बंगलादेश में भी सरकार बदलने की परिस्थितियां पैदा हो गई हैं।-डा. वेदप्रताप वैदिक    


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