जी.एस.टी. विवादों के निपटान के लिए मजबूत तंत्र की दरकार

punjabkesari.in Wednesday, Feb 14, 2024 - 06:04 AM (IST)

भारत के ‘इनडायरैक्ट टैक्स सिस्टम’ यानी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में बड़े सुधार के लिए गुड्स एंड सॢवस टैक्स (जी.ए.टी.) लागू किया गया, जिससे वस्तुओं व सेवाओं के लिए एक सांझा बाजार बना। इस ‘एक राष्ट्र-एक टैक्स’ पहल का उद्देश्य देशभर में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को तर्कसंगत बनाना, व्यापार करने में आसानी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। 

टैक्स व्यवस्था में इस सुधार की सफलता इस तथ्य से नजर आती है कि जी.एस.टी. रिटर्न दाखिल करने वालों की अप्रैल 2018 में 1.06 करोड़ संख्या 32 प्रतिशत बढ़कर अप्रैल 2023 में 1.40 करोड़ हो गई। रैवेन्यू कमाई भी रिकॉर्ड बढ़ौतरी के साथ अप्रैल 2023 में 1,87,035 करोड़ रुपए रही, जो जी.एस.टी. लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं जनवरी 2024 में 1,72,129 करोड़ रुपए दूसरा सबसे अधिक राजस्व संग्रह है। इस सुधार के और अधिक विस्तार के लिए जी.एस.टी. से जुड़े विवादों के निपटान में एक समयबद्ध व मजबूत तंत्र लागू करने की जरूरत है। 

अपील ट्रिब्यूनल स्थापित करने में देरी : 1 जुलाई, 2017 से जी.एस.टी. के लागू होने के साढ़े 6 साल बाद भी जी.एस.टी. अपील ट्रिब्यूनल स्थापित नहीं हो पाए हैं। ट्रिब्यूनल न होने की वजह से कारोबारी जी.एस.टी. से जुड़े विवादों के निपटान के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हैं, जहां कानूनी लड़ाई आमतौर पर बहुत लंबी ङ्क्षखचती है और यह एक बहुत महंगी प्रक्रिया भी है। हाईकोर्ट में पहले से ही पैंडिंग लाखों मामलों का दबाव है। टैक्सेशन विशेषज्ञों के अनुमानों के अनुसार, जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल शुरू होते ही एक लाख से अधिक अपीलें दाखिल होने की उम्मीद है, जिनमें कारोबारियों की 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की रकम अटकी है। 

हालांकि केंद्र सरकार ने 25 अक्तूबर, 2023 को देशभर में जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल स्थापित करने का नोटिफिकेशन जारी किया था, पर इनके गठन में देरी की वजह से विवादास्पद टैक्स रकम पर ब्याज का बोझ बढ़ रहा है। वास्तविक रिफंड में देरी और प्री-डिपाजिट टैक्स की वजह से रुका कैश फ्लो एक बड़ी चुनौती है, दूसरा बार-बार कारण बताओ नोटिस मिलने से विवाद बढ़ रहे हैं। समय की मांग है कि जी.एस.टी. अपील ट्रिब्यूनल के तत्काल गठन के साथ विवादों के शीघ्र निपटान का रास्ता आसान हो। 

जी.एस.टी. कानून की व्याख्या पर विवाद, असंतोषजनक अग्रिम निर्णय तंत्र और टैक्स अथारिटी के रैवेन्यू केंद्रित दृष्टिकोण के कारण मुकद्दमेबाजी में बढ़ौतरी हुई है। जी.एस.टी. के तहत ज्यादातर विवाद कारोबारियों द्वारा जमा किए गए टैक्स और इसकी देनदारी  के लिए अफसरों द्वारा की गई गणना में अंतर के कारण मुकद्दमे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा असैसमैंट, ऑडिट, खातों और रिकॉर्ड की जांच के दौरान भी विवाद सामने आ रहे हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स रेट, टैक्स में छूट का क्लेम, इनपुट टैक्स क्रैडिट क्लेम, वस्तुओं की सप्लाई के स्थान का गलत निर्धारण, वस्तुओं और सेवाओं के वर्गीकरण आदि को लेकर विवादास्पद मामलों का निपटान लंबे समय से अटका है। हालांकि जी.एस.टी. सिस्टम में टैक्स विवादों के निपटान को आसान बनाने का बहुत प्रचार हो रहा है, पर कारोबारियों के अनुभव इसके एकदम उलट हैं। 

केवल रैवेन्यू आधारित दृष्टिकोण न हो : केवल रैवेन्यू आधारित दृष्टिकोण से बनाई गई विवाद समाधान स्कीम की अपनी सीमाएं हैं। उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार ने 2019 में ‘सबका विश्वास स्कीम’ के तहत  जी.एस.टी. और इससे पहले एक्साइज व सॢवस टैक्स से जुड़े 24,970 करोड़ रुपए के 49,534 मामलों का समाधान किया, पर अभी भी पैंडिंग हजारों अपीलों में कारोबारियों के लाखों रूपए फंसे हैं।आयकरदाताओं के लिए 2020 में लाई गई ‘विवाद से विश्वास योजना’ से करीब 4.8 लाख करोड़ रुपए के पैंडिंग मामलों में ब्याज और जुर्माने में माफी की उम्मीद थी। 31 दिसंबर, 2023 को खत्म हुई इस स्कीम से करदाताओं को निराशा हाथ लगी क्योंकि एक फरवरी को पेश हुए अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10,000 से 25,000 रुपए तक के इंकम टैक्स मामलों के निपटान के लिए घोषित स्कीम में 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जो बहुत कम है। 

अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार उन ईमानदार करदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए जी.एस.टी. से जुड़े विवादों के निपटान के लिए एकमुश्त माफी स्कीम शुरू करे, जिससे उन लोगों को राहत मिले, जिन्होंने जी.एस.टी. के शुरुआती चरण में अनजाने में गलतियां की हैं। देश के अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधारों में जी.एस.टी. भले ही एक बड़ी पहल है, पर इस कानून के कई सारे पेचिदा मसलों को समझने में करदाताओं व अधिकारियों को ट्रेनिंग के बावजूद कई परेशानियों को सामना करना पड़ा। अनजाने में हुई चूक भी जी.एस.टी. ऑडिट विभाग के निशाने पर आने से टैक्स डिमांड, ब्याज और जुर्माने के मामलों में बेतहाशा बढ़ौतरी हुई है। 

प्रयास असरदार नहीं : जी.एस.टी. से जुड़े विवादों के निपटान के लिए मुकद्दमेबाजी घटाने को अथारिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (ए.ए.आर.) स्थापित की गई। ए.ए.आर. और अपील अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग संबंधित राज्यों के जी.एस.टी. एक्टों के तहत बनाए गए। गौरतलब है कि किसी एक राज्य की ए.ए.आर. और अपील अथॉरिटी के फैसले दूसरे राज्य के जी.एस.टी. अधिकारियों ने स्वीकार नहीं किए।  इसके अलावा ए.ए.आर. के पास जी.एस.टी. एक्ट के हर पहलू से निपटने की शक्ति नहीं है। 

आगे की राह : आल्टरनेट डिस्प्यूट रैजोल्यूशन (ए.डी.आर.) मैकेनिज्म करदाताओं और सरकार के बीच बगैर मुकद्दमेबाजी निपटाने का एक रास्ता है। इसके अलावा सैटलमैंट कमीशन कारोबारी द्वारा अदा न दिए गए टैक्स को जल्दी से इकट्ठा करने व डिफाल्टर को निर्दोष साबित करने का एक बार मौका देता है, जो मुकद्दमेबाजी में लगने वाले लंबे समय व अधिक खर्च को काफी हद तक कम कर सकता है। 

टैक्स रिफॉर्म की दिशा में आगे बढ़ते हुए जी.एस.टी. अपील ट्रिब्यूनल शुरू होने से जहां कारोबारियों को इनपुट टैक्स क्रैडिट बगैर देरी के मिल सकेगा, वहीं विवादों का कुशलतापूर्वक निपटान भी संभव होगा। हाईकोर्ट में लंबी मुकद्दमेबाजी की बजाय ट्रिब्यूनल में समय कम लगेगा व खर्च भी कम होगा, जिससे राजस्व सिस्टम में और सुधार के साथ देश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा.अमृत सागर मित्तल (वाइस चेयरमैन सोनालीका)
 


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