घरेलू पर्यटन में जी.एस.टी. रेट कट से बढ़ेगी जी.डी.पी.

Wednesday, Sep 25, 2019 - 12:20 AM (IST)

‘‘मैं जानता हूं, लोग छुट्टी मनाने विदेश यात्रा पर जाते हैं, लेकिन क्या हम 2022 तक, जो हमारी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ का वर्ष है, अपने ही देश में कम से कम 15 पर्यटक स्थलों की यात्रा करने के बारे में सोच सकते हैं।’’ लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह उद्बोधन पर्यटन को लेकर आम जनमानस के बीच बनी संकुचन की एक परत को तोड़ने के लिए प्रेरक है।

पर्यटन सिर्फ एक टूरिस्ट द्वारा किसी जगह को जाकर देखने या वहां रह कर आने भर की प्रक्रिया नहीं है,बल्कि अपने आप में एक पूरा ईको सिस्टम या यूं कहें एक पूरा चक्र है जिस पर न जाने कितने घरों की आजीविका और कितने कामगारों का रोजगार टिका है। किसी भी टूरिस्ट  के घर से निकलने और वापस घर तक आने के बीच में वह जाने-अनजाने कई घरों के चूल्हे माफ कीजिएगा गैस (क्योंकि उज्ज्वला के बाद चूल्हे इतिहास हो चुके हैं) जलाने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम करता है इसलिए प्रधानमंत्री का यह आह्वान उन्नत भारत, सशक्त भारत के निर्माण के पीछे छिपे दूरदर्शी विजन का ब्लूप्रिंट है।

होटल रूम्स पर जी.एस.टी. दर घटाई
एक राष्ट्र के तौर पर हमारा लक्ष्य दुनिया के देशों के लिए खुद को एक मिसाल के तौर पर स्थापित करना है। विविधताओं से भरे हमारे देश में पर्यटन के माध्यम से रोजगार, स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं और मोदी सरकार की उदार आर्थिक नीतियां इस क्षेत्र को फलने-फूलने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवा रही हैं। गोवा में जी.एस.टी. कौंसिल की बैठक में हमने होटल रूम्स के रेट में जी.एस.टी. दरों की कटौती का ऐतिहासिक निर्णय सर्वसम्मति से लिया है जिसके कई दूरगामी परिणाम देखने को मिलने वाले हैं। हमने होटल कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है।

अब 7500 रुपए तक के होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. लगेगा जोकि पहले 18 प्रतिशत लगता था। इसी प्रकार 7500 रुपए से अधिक के होटल कमरों पर 28 प्रतिशत की जगह पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगेगा। एक हजार रुपए से कम के होटल कमरों को हमने जी.एस.टी. मुक्त रखा है। जी.एस.टी. दरों में कटौती से हॉस्पिटैलिटी एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और होटलों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश भारतीय मध्यम वर्गीय परिवार घूमने के दौरान बजट रूम्स (1000 तक के अंदर) को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे में बजट रूम्स को जी.एस.टी.. मुक्त रखने से उनके खर्चे में बचत होगी। जाहिर तौर पर खर्चों में बचत के पैसे का उपयोग वे कहीं और जैसे टैक्सी, रैस्टोरैंट या स्थानीय खरीदारी में कर सकते हैं। साफ तौर पर होटल इंडस्ट्री को ध्यान में रख कर की गई इन जी.एस.टी. दरों की कटौती का लाभ पूरी हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को मिलने जा रहा है। 

जी.डी.पी. में पर्यटन का योगदान
सार्वजनिक जीवन में होने के नाते मेरा अधिकांश समय यात्रा में निकलता है जिसकी वजह से मुझे विभिन्न स्थानों की विशेषताओं, चुनौतियों, वहां की जरूरतों का विश्लेषण करने का अवसर मिलता है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश,तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश हैं जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। जी.डी.पी. में पर्यटन से होने वाली आय की हिस्सेदारी के मामले में भारत का सातवां स्थान है।

हमारे इस कदम से आने वाले समय में हमारी रैंकिंग और ऊपर उठेगी। हमारी जी.डी.पी. में पर्यटन का योगदान 9.6 प्रतिशत है जोकि कुछ ही महीनों में बढ़कर 2 अंकों में पहुंच जाएगा। भारत दुनिया के जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ता पर्यटन बाजार है। लगभग 50 देशों के लिए वीजा ऑन एराइवल, 166 विदेशी देशों के लिए ई-वीजा, नए हवाई अड्डे, बेहतर राजमार्ग कनैक्टिविटी, समान और निम्र जी.एस.टी. दरें, उड़ान सेवा (1 घंटे की उड़ानों के लिए 2500 रुपए और उससे कम) कार्पोरेट भारत में पर्यटन को बढ़ाने में मदद करेंगे। हर 30 मिलियन से अधिक इंटरनैशनल टूरिस्टों के आवागमन से हमें लगभग 46 बिलियन यू.एस. डॉलर की आय होती है। फिक्की की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 तक टूरिज्म इंडस्ट्री ने 2.67 करोड़ नौकरियां पैदा कीं जोकि 2029 तक बढ़कर 5.3 करोड़ तक पहुंच जाएंगी। 2018 में घरेलू पर्यटकों की संख्या 1.82 बिलियन थी और हमें अपने सुधारवादी कदमों के कारण इसके जल्द ही 2 बिलियन पार करने की उम्मीद है।

कार्पोरेट टैक्स में कटौती
भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जिसमें यहां के उद्योग जगत, युवा उद्यमियों और एम.एस. एम.ई. सैक्टर का बहुत बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आर्थिक मोर्चे पर सशक्त बनाने और भारत को वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है जिसमें उद्योग जगत, युवा उद्यमियों और एम.एस.एम.ई. सैक्टर अहम भूमिका निभाने वाला है। आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार नए प्रयोगों और सुधारों के माध्यम से उद्योग जगत की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है। हमने घरेलू कम्पनियों और नई मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों के लिए आयकर अधिनियम 1961 और वित्त (संख्या 2) अधिनियम 2019 में कुछ संशोधन करने के लिए कराधान कानून (संशोधन) अध्यादेश 2019 के जरिए कार्पोरेट टैक्स घटाए जाने का फैसला लिया है। 

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 2016 में वायदा किया था कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार अपने कार्यकाल में सभी कम्पनियों के लिए 25 फीसदी कार्पोरेट टैक्स कर देगी। कम्पनियों पर 30 फीसदी की दर से कार्पोरेट टैक्स पहला मुद्दा था, सरचार्ज के साथ टैक्स की प्रभावी दर 34 फीसदी होती थी। हमने महसूस किया कि निवेश बढ़ाने और कारोबार को बढ़ावा देने के लिए इसे कम करने की आवश्यकता है। इसको ध्यान में रखते हुए हमने 1 अक्तूबर के बाद बनने वाली घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों के लिए टैक्स की दर 15 प्रतिशत रखने,सरचार्ज और सैस मिलाकर प्रभावी टैक्स दर 17.01 प्रतिशत करने का प्रावधान किया है। यदि घरेलू कम्पनियां अन्य कोई छूट नहीं लेती हैं तो उन्हें अब सिर्फ 22 प्रतिशत टैक्स देना होगा।

सरचार्ज और सैस मिलाकर प्रभावी टैक्स की दर 25.17 प्रतिशत होगी। यानी नई दरों के मुताबिक कम्पनियों की टैक्स देनदारी करीब10 प्रतिशत घट जाएगी। कोई कम्पनी अगर अभी छूट ले रही है तो वह टैक्स हॉलीडे की एक्सपायरी के बाद कम टैक्स दरों का विकल्प चुन सकेगी। नई टैक्स दरें 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी मानी जाएंगी। 5 जुलाई के पहले के बायबैक पर टैक्स नहीं लगेगा। मिनिमम अल्टरनेट टैक्स यानी मैट को 18.5 फीसदी से 15 फीसदी कर दिया गया है। इक्विटी कैपिटल गेन पर सरचार्ज नहीं लगेगा। एस.टी.टी. देने वाले निवेशकों पर बढ़ा सरचार्ज नहीं लगेगा। अब एफ.पी.आई. को सिक्योरिटी डैरिवेटिव सहित कैपिटल गेन पर सरचार्ज नहीं लगेगा। 

अभी अमरीका में कार्पोरेट टैक्स की दर 27, कनाडा में 26.5, ब्राजील में 34, चीन में 25, फ्रांस में 31 और जर्मनी में 30 फीसदी है। इस तरह दुनिया में हमारी कार्पोरेट टैक्स की दर सबसे कम है। कार्पोरेट टैक्स घटना निवेश के लिए अहम साबित होगा। भारतीय कम्पनियां अब कम टैक्स वाले देशों का विकल्प नहीं तलाशेंगी। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में मंदी को देखते हुए भी देश में ही निवेश की प्राथमिकता रहेगी। कार्पोरेट का सरकार में भरोसा बढ़ेगा। कम्पनियां टैक्स बचत के पैसे का इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग, कर्ज चुकाने या निवेश के लिए करेंगी। इससे बैंकिंग सिस्टम और बाजार में नकदी बढ़ेगी जिससे निवेश, रोजगार और आॢथक गतिविधियां बढ़ेंगी। इससे रैवेन्यू में भी इजाफा होगा। कम्पनियां छंटनियों और खर्चों में कटौती नहीं करेंगी। नई नौकरियों की उम्मीद भी बढ़ेगी। इससे जी.एस.टी. कलैक्शन बढ़ेगा। यानी सरकार अभी जो 1.45 लाख करोड़ खर्च करेगी, वह आगे जाकर टैक्स कलैक्शन से हासिल हो जाएगा।

अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
रेटिंग एजैंसी मूडीज और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजैंसीज व मंचों ने भारत के इस कदम को सराहा है। यह एक ऐतिहासिक और स्वतंत्र भारत में आॢथक सुधारों को लेकर बोल्ड निर्णय है। टैक्स में छूट देने से मेक इन इंडिया के तहत निवेश, रोजगार और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। सिर्फ 28 दिनों के अंदर यह पांचवां मौका है जब हमने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए इतने बड़े स्तर पर कदम उठाए हैं। कार्पोरेट टैक्स में कटौती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जिसका लाभ भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा और मोदी सरकार का यह कदम भारत को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।-अनुराग ठाकुर 

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