‘ग्रे डाइवोर्स’ भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं
punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 06:51 AM (IST)
देश में तलाक के मामलों में लगातार इजाफा सामाजिक ङ्क्षचताओं में वृद्धि कर रहा है। इसी संदर्भ में ‘ग्रे डाइवोर्स’ शब्द का जिक्र काफी हो रहा है। ग्रे डाइवोर्स का मतलब है, जब कोई कपल 15-20 साल शादी के बाद अलग होने का फैसला ले। इसे ग्रे तलाक, सिल्वर स्प्लिट या डायमंड तलाक भी कहा जाता है। इसका सीधा मतलब उस तलाक से होता है, जो बाल सफेद होने की उम्र में लिया जाता है। ग्रे डाइवोर्स अक्सर तब होता है, जब पति-पत्नी की सोच बदल जाती है या फिर बच्चे बड़े होकर घर से दूर चले जाते हैं और माता-पिता घर पर अकेले समय बिताते हैं, जिससे उनके बीच में कई बार लड़ाई-झगड़े और तनाव पैदा होने लगता है।
यही नहीं, पैसों की तंगी, नशे की लत, घर से बाहर शारीरिक संबंधों की लालसा और शादी से पहले का ही प्रेम प्रसंग या कोई अन्य समस्या भी ग्रे डाइवोर्स का कारण हो सकती है। कई बार नौकरी या काम से रिटायरमैंट के बाद पति-पत्नी 24 घंटे एक ही छत के नीचे समय बिताते हैं, जिससे उनके बीच भावनाओं और रुचियों का मेल नहीं बैठ पाता। इन कारणों की वजह से भी लोग ग्रे डाइवोर्स लेते हैं। वैसे ग्रे डाइवोर्स लेना काफी मुश्किलों से भरा होता है क्योंकि शादी के बाद 15 या 20 से ज्यादा साल एक साथ बिताना, सुख-दुख, खुशियों को बांटना, इन सभी चीजों को भूलना काफी मुश्किल होता है। ग्रे डाइवोर्स के बाद जीवन में कई परिवर्तन आ सकते हैं, जैसे लंबे समय तक साथी के साथ रहने के बाद अकेले रहना मुश्किल हो सकता है, डाइवोर्स के बाद आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है, तनाव, ङ्क्षचता, और डिप्रैशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, क्या यह सुखद अनुभव है?
ग्रे डाइवोर्स के कुछ खास कारण जैसे कि एक-दूसरे में रुचि कम होना, बढ़ती उम्र में पति-पत्नी के विचारों में अंतर, खुद की जरूरतों पर ज्यादा ध्यान देना इत्यादि सामने आ रहे हैं। बेवफाई, मौखिक दुव्र्यवहार और दूसरे व्यक्ति द्वारा नियंत्रित किए जाने के कारण ग्रे तलाक के मामले उफान ले रहे हैं। बॉलीवुड में ग्रे तलाक आम बात बनती जा रही है। सोचने और विचार करने वाली बात यह है कि क्या बॉलीवुड की कुछ बुरी रिवायतों ने देश के आम आदमी की पारिवारिक जिंदगी को खराब करने में महत्वपूर्ण योगदान नहीं डाला? शादी पति-पत्नी के रिश्ते का पवित्र बंधन है। उनके बीच प्यार, मजाक, लड़ाई-झगड़ा होना एक आम बात है, लेकिन ये छोटे-छोटे झगड़े कब बड़े बन जाते हैं और बात डाइवोर्स तक पहुंच जाती है, पता ही नहीं चलता। सामाजिक चेतना और परामर्श के जरिए और भारतीय परिवारों को टूटने से बचाने के लिए इसे रोका जाना चाहिए।
पूर्वाग्रहों के कारण कुछ पति अक्सर पुरुष स्वामित्व के विकार यानी सिंड्रोम से ग्रस्त रहते हैं। कुछ महिलाएं भी पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण और अपने आप को ज्यादा समझदार होने के मनोविकार से ग्रस्त हो जाती हैं। ऐसी महिलाएं पति को अपने मुताबिक चलाने की फिराक में अपना घर खराब कर बैठती हैं। यह बात सत्य है कि नहीं, इसका जवाब हमें आसपास कहीं से मिल सकता है।‘सौ बार जनम लेंगे, सौ बार फना होंगे, ऐ जाने वफा फिर भी, हम तुम न जुदा होंगे’ जैसे ब्लैक एंड व्हाइट शब्द आज की रंगीन दुनिया का हिस्सा नहीं रहे। बावजूद इसके, यह कहना गलत नहीं होगा कि तलाक किसी भी रूप में भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है।-डा. वरिन्द्र भाटिया