जम्मू-कश्मीर सरकार ने विज्ञापन देकर लोगों से रोजमर्रा के कार्यों पर लौटने को कहा

Thursday, Oct 17, 2019 - 03:32 AM (IST)

जम्मू -कश्मीर में अनुच्छेद 370 की धाराओं को हटाने को लेकर जहां बंद 72वें दिन भी जारी रहा, वहीं राज्य प्रशासन स्थानीय समाचारपत्रों में पूरे पृष्ठ के एक विज्ञापन के साथ आगे आया है, जिसमें लोगों को आतंकवादियों की धमकियों से न डरने तथा अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू करने के लिए कहा गया है। 

कश्मीर के विभिन्न दैनिक समाचारपत्रों में प्रकाशित विज्ञापन में पूछा गया है कि ‘क्या हम आतंकवादियों के सामने झुक जाएंगे? 70 वर्षों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। वे विद्वेषपूर्ण अभियान तथा प्रायोजित प्रचार के शिकार बने जिसने उन्हें आतंकवाद, ङ्क्षहसा, विनाश तथा गरीबी के कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंसाए रखा है।’ कश्मीर घाटी में 5 अगस्त से लगातार बंद चल रहा है, जब केन्द्र ने अनुच्छेद 370 के अंतर्गत राज्य को दिया गया विशेष दर्जा समाप्त कर दिया तथा इसे दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में विभाजित कर दिया। 

विज्ञापन में सरकार ने इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि कैसे अलगाववादियों ने अपने बच्चों को पढऩे, काम करने तथा कमाने के लिए विदेशों में भेजा है, जबकि सामान्य लोगों को उनके बच्चों को ‘ङ्क्षहसा, पत्थरबाजी तथा हड़तालों’ में धकेलने के लिए भड़का रहे हैं। इसमें पूछा गया है कि ‘उन्होंने लोगों को छलने के लिए आतंकवादियों की धमकियों, जबरदस्ती तथा झूठी खबरों का इस्तेमाल किया। आज आतंकवादी धमकियों तथा जबरदस्ती के वही तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या हम इसे सहन करते रहेंगे?’ सरकार ने भी लोगों से पूछा है कि क्या उन्हें प्रभावित करने के लिए वे ‘धमकियों तथा जबरदस्ती की सदियों पुरानी चालों’ का इस्तेमाल करने की इजाजत देंगे। 

इसमें कहा गया है कि ‘क्या डर तथा गलत सूचनाएं जारी रहेंगी अथवा उन चीजों पर हम अच्छी तरह से जानकारी प्राप्त कर निर्णय लेंगे, जो हमारे लिए बेहतरीन हैं? क्या हम कुछ पोस्टरों तथा धमकियों के कारण अपने व्यवसायों को शुरू नहीं करेंगे? क्या हमें अधिकारपूर्ण जीवन जीने तथा अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य तथा शिक्षा का हक नहीं है, जिससे हमारे कश्मीर में खुशहाली आए?’ सरकार का कहना है कि यह कश्मीर के लोगों पर निर्भर करता है कि वे घाटी की सलामती के बारे में सोचें।

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