‘सरकारें आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं’

Thursday, Jan 28, 2021 - 04:08 AM (IST)

देश में किसी भी तरह की आलोचना और यहां तक कि सत्तारूढ़ दलों तथा सरकारों पर चुटकुलों के लिए असहिष्णुता की प्रवृत्ति बढ़ रही है जोकि हमारे लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। हालांकि यह सच है कि कोई भी शासक या सरकार कभी भी आलोचना को पसंद नहीं करती। बोलने की स्वतंत्रता को रोकने के लिए कानून को घुमा देने का हालिया चलन खतरनाक पूर्वाग्रहों को स्थापित करता है। इस विषय में शामिल होने वालों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उदाहरण शामिल है। उनकी सरकार ने राज्य सरकार, उसके मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘आपत्तिजनक’, ‘अनुचित’ या ‘भ्रामक’ टिप्पणी करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश जारी किया है। 

पुलिस महानिरीक्षक (आर्थिक अपराध शाखा) नैय्यर हसनैन खान द्वारा हस्ताक्षरित एक परिपत्र में लिखा गया है, ‘‘ऐसी सूचनाएं हमारे पास निरंतर आ रही हैं कि सरकार, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों के संबंध में आपत्तिजनक/अभद्र और भ्रामक टिप्पणियां की जाती हैं। ऐसी टिप्पणियां कुछ विशिष्ट व्यक्तियों और संगठनों द्वारा सोशल मीडिया और इंटरनैट के माध्यम से की जाती हैं। यह कानून के खिलाफ है और साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।’’
यह चुनी हुई सरकारों का उदाहरण है जो आलोचना, संतोष और जवाबदेही के खिलाफ खुद की शक्ति का दुरुपयोग कर रही हैं। परिपत्र यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि ‘अभद्रता’ क्या है और सरकार की आलोचना करने वाले किसी भी व्यक्ति को परेशान करने की शक्ति पुलिस को कैसे मिलती है? 

हालांकि यह सच है कि अंतत: अदालतें तय करेंगी कि अभद्रता या मानहानि क्या है? जहां पर दंड से ज्यादा प्रक्रिया अपने आप में ज्यादा महत्व रखती है। कुप्रबंध भाजपा शासित सरकारों या इसके सहयोगी नीतीश कुमार की जनता दल तक सीमित नहीं है बल्कि अन्य दलों द्वारा शासित सरकारें भी अपराधी हैं। केरल में वाम मोर्चा सरकार ने हाल ही में पुलिस अधिनियम में संशोधन किया है जिसने राज्य सरकार की ऑनलाइन आलोचना की थी जोकि कानून के अंतर्गत दंडनीय है। 

एक नए प्रावधान (अधिनियम की धारा 118-ए) के तहत अध्यादेश के माध्यम से नया संशोधन लागू किया गया। संशोधन के अनुसार किसी भी व्यक्ति को धमकाने, अपमानित करने या बदनाम करने के लिए संचार के किसी भी माध्यम से अपमानजनक सामग्री का उत्पादन, प्रकाशन या प्रचार करने के लिए दोषी पाए जाने पर 3 साल की कैद और 10,000 रुपए तक का जुर्माना प्रस्तावित किया है। इस कदम की कड़ी आलोचना के बाद केरल सरकार को पीछे हटना पड़ा। हालांकि शुरू में इसने बचाव किया जैसा कि बिहार सरकार अब कर रही है। 

यहां तक कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सोशल मीडिया पर बॉलीवुड अभिनेत्री पायल रोहतगी द्वारा नेहरू गांधी परिवार पर कुछ संदर्भों पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। युवा कांग्रेस महासचिव चरमेश शर्मा द्वारा पिछले वर्ष अक्तूबर में एक शिकायत दर्ज करवाने के बाद पायल पर आई.टी.एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। शक्तियों के दुरुपयोग का एक और हालिया मामला मध्य प्रदेश से संबंधित है। 

स्थानीय भाजपा विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के पुत्र एकलव्य सिंह गौड़ द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर एक हास्य कलाकार मुन्नवर फारूकी को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया था। इसके बाद की जांच में पता चला कि एक छोटे से होटल में उन्होंने अपना शो शुरू ही किया था कि और किसी भी देवी-देवता पर कोई एक शब्द भी नहीं बोला था जब उनको पुलिस ने उनको वहां से उठाया। अपने बचाव में पुलिस ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली कि मुन्नवर ने कुछ चुटकुले बोले थे। आलोचना के बावजूद उन्हें रिहा कर दिया। अदालतों ने रिहाई के लिए उसकी याचिका सुनने के लिए एक विस्तारित तारीख दी है। सरकारों की यह सोच कि उन्हें दिए गए जनादेश में आलोचना से संरक्षण भी शामिल है जो एक खतरनाक बात है।

जाहिर है सरकारें लगातार अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही हैं और आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं। नागरिकों और मीडिया को ऐसी सभी प्रवृतियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी। मान हानि के वास्तविक मामलों से निपटने के लिए देश में पर्याप्त कानून हैं। संशोधनों के प्रयास केवल आलोचना को रोकने और गिरफ्तारी व लम्बे समय तक मुकद्दमों के रूप में तत्काल सजा प्रदान करने के लिए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री को तुरन्त उस परिपत्र को वापस लेने का आदेश देना चाहिए जो स्पष्ट रूप से एक प्रतिक्रिया थी।-विपिन पब्बी
 

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