सरकार ने ‘दूसरी लहर की चुनौतियों’ को दर-किनार किया

punjabkesari.in Sunday, Jun 13, 2021 - 05:08 AM (IST)

अव्यवस्था ने इतिहास में अपने पैरों के निशान छोड़ दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 7 जून के संबोधन में अपनी 2 गलतियों को सुधारा है। मेरा मानना है कि गलतियों को स्वीकार करने का यह उनका तरीका है। अपने हिस्से को लेकर राज्य सरकारों तथा विपक्ष को आगे बढऩा है। हमें सारी गड़बडिय़ों को साफ करना है तथा महामारीविदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा स्थापित लक्ष्यों को हासिल करना है। हालांकि रिकार्ड के लिए पिछले 15 महीनों में की गई गलतियों पर संज्ञान लेना बेहद लाजिमी है।

चूक तथा आदेश
1. केंद्र सरकार का मानना था कि वायरस की पहली लहर केवल एक लहर ही उठी थी तथा टीकाकरण को धीरे से चलने वाली गति को घरेलू आपूॢत के साथ आगे बढ़ाया गया। सरकार ने दूसरी लहर की चुनौतियों को दर-किनार कर दिया। इसके अलावा इसने त्वरित टीकाकरण की जरूरत को भी पूर्ण रूप से नहीं समझा।
2. केंद्र सरकार 2 घरेलू क पनियों तथा उनके लाभों की सुरक्षा में अति उत्साही नजर आई। सरकार अन्य वैक्सीन को आपातकाल इस्तेमाल में स्वीकृति देने में अपने पांव घसीटती रही। इसके अलावा इसने भारत में आवेदन करने वाले निर्माताओं (मिसाल के तौर पर फाइजर) को निरुत्साहित किया। 

3. सरकार ने 11 जनवरी 2021 को सीरम इंस्टीच्यूट को पहला आर्डर दिया। जबकि अमरीका, यूके, यूरोप तथा जापान ने मई-जून 2020 में दवा निर्माता क पनियों को अपने आर्डर दे रखे थे। इसके अलावा सरकार ने 1.1 करोड़ खुराकों का ही आर्डर दिया। भारत बायोटैक को आर्डर सरकार ने देरी से दिया। मगर तारीख तथा मात्रा का कोई पता नहीं।
4. उन्हें पूंजी या सबसिडी देने के लिए सीरम इंस्टीच्यूट की मांग के बावजूद सरकार ने 2 घरेलू निर्माताओं को आपूॢत के लिए कोई अग्रिम भुगतान नहीं किया। अग्रिम भुगतान (3000 करोड़ रुपए सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया तथा 1500 करोड़ रुपए भारत बायोटैक के लिए) केवल 19 अप्रैल 2021 को किया गया। 

5. वर्ष 2020 और 2021 में महीने के अनुसार 2 घरेलू निर्माताओं के उत्पादन और उनकी क्षमताओं का सही आकलन सरकार द्वारा नहीं किया गया। न ही सरकार ने उन पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव बनाया। यहां तक कि दोनों क पनियों के लिए आज भी महीने के अनुसार वास्तविक उत्पादन और आपूर्ति का खुलासा नहीं किया गया।

परामर्श बिना नीति 

6. राज्य सरकारों के साथ बिना किसी परामर्श केंद्र सरकार ने टीकाकरण नीति को गढऩे तथा उसे लागू करने का एकतरफा निर्णय लिया। सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि टीकाकरण नीति ‘मनमानी और तर्कहीन’ है।
7. केंद्र सरकार ने वैक्सीन की वसूली का विकेंद्रीयकरण कर दिया तथा 18 से 44 वर्ष खंड के लिए टीकाकरण करने का बोझ राज्य सरकारों पर लाद दिया। जो भी हो सरकार ने विकेंद्रीयकरण को प्रोत्साहित किया। यह सरकार की एक बड़ी गलती थी। जैसा कि पहले से चेतावनी दी गई थी कि राज्य सरकारों की निविदाओं के खिलाफ यहां पर कोई भी बोलियां नहीं थीं। वसूली को गड़बडिय़ों में धकेल दिया गया। 

8. केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा निजी अस्पतालों को आपूॢत के लिए सरकार ने अलग-अलग कीमतें तय कर एक बड़ी भूल कर दी। कीमतों के फर्क के चलते सरकारी अस्पतालों के जोखिम पर निजी अस्पतालों को ज्यादा मात्रा में वैक्सीन बेची गई जिससे वैक्सीन की कमी और अन्य राज्यों का वैक्सीनेशन अवरुद्ध हो गया। विवाद निरंतर बढ़ते रहे क्योंकि सरकार ने निजी अस्पतालों को ज्यादा से ज्यादा ृ780 रुपए, 1145 तथा 1410 रुपए प्रति खुराक कोविशील्ड, स्पूतनिक वी तथा कोवैक्सीन को क्रमश: बेचने की अनुमति दे दी।
9. कोविन ऐप पर पंजीकरण तथा वैक्सीनेशन को लेकर सरकारी आग्रह भेदभावपूर्ण रहा। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि कोविन पर आग्रह ने डिजिटल विभाजन पैदा कर दिया और भेदभाव रखा गया। 

आएं इन गलतियों को एक ओर रख दें। वैक्सीन की आपूॢत और उत्पादन दोनों ही बेहतर हुए हैं। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी के आयात ने मदद की है। 6 जून से शुरू कर एक सप्ताह में टीकाकरण करने की औसत 30 से 34 लाख प्रतिदिन करने की स्थिति भी बेहतर हुई है। हालांकि इस गति पर 2021 के बाकी रहते दिनों में करीब 60 करोड़ टीकाकरण का होना निश्चित है। 90 से 100 करोड़ वयस्कों को (5 करोड़ वयस्क से कम जिन्होंने 2 खुराकें ले ली हैं।) दो खुराकें देने के लक्ष्य को देखते हुए यह बात बुरी तरह से अपर्याप्त लगती है।

कोई रॉकेट साइंस नहीं
जून 2021 से पहले केंद्र सरकार द्वारा अगले उठाए जाने वाले कदम स्पष्ट हैं। मुझे उसकी सूची देनी होगी।
1. प्रत्येक घरेलू निर्माता के उत्पादन के विश्वसनीय कार्यक्रम को (2, 3 या फिर और अधिक) जुलाई तथा दिस बर 2021 के मध्य महीने अनुसार गढऩा होगा।  स्पूतनिक वी के आयात तथा उत्पादन को जोडऩा होगा।  
2. फाइजर-बायोएनटैक, माडर्ना, जानसन एंड जानसन तथा सिनोफार्म द्वारा निर्मित तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वीकृत वैक्सीन के लिए तत्काल रूप से आर्डर रखने होंगे।
3. सरकार वैक्सीन की वसूली के लिए पूरी जि मेदारी ले (7 जून को प्रधानमंत्री ने 75 प्रतिशत वसूली की  सहमति दी) तथा प्रत्येक राज्य को वैक्सीनेशन की गति तथा जरूरत के अनुसार ही इसका आबंटन करे। राज्य सरकारें वैक्सीन को सरकारी या फिर निजी अस्पतालों को आबंटित करने में स्वतंत्र हों। 

4. क्योंकि जरूरत के अनुसार वैक्सीन की उपलब्धता में कमी देखी गई है इसलिए सरकार को सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा करनी चाहिए कि वह इस दरार को कैसे भर पाए। यदि यह दरार दिस बर 2021 से पहले पूरी होने के काबिल होगी तो केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ परामर्श से वैक्सीनेशन की प्राथमिकता को पुन: बनाएगी।
5. केंद्र तथा राज्य सरकारों को स्वास्थ्य ढांचे को जिसमें अस्पताल के बैडों की गिनती भी शामिल है, को बढ़ाना होगा।

ऊपर बताए गए 5 उपाय कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं। इनके लिए योजना की जरूरत है। योजना आयोग को खत्म करने के बाद मोदी सरकार को अभिशाप लगा लगता है। मगर दूसरे देश इसे निरंतर तौर पर कर रहे हैं। योजना से बैर को सरकार खत्म करे और अप्रत्याशित घटनाओं का अनुमान लगाए। अब देखना है कि केंद्र सरकार इस चुनौतीपूर्ण बात को कैसे पूरा करती है।-पी. चिदंबरम


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