बेरोजगार युवाओं को काम दो, हाथों में ‘माडर्न हथियार’ मत थमाओ

punjabkesari.in Thursday, Jun 02, 2022 - 04:49 AM (IST)

परम पावन श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार आदरणीय ज्ञानी हरप्रीत सिंह साहिब यदि बुरा न मानें तो अर्ज करूं कि अकाल तख्त एक सर्वोच्च, प्रतिष्ठित और पूजनीय स्थल है। नि:संदेह शौर्य का प्रतीक है। विश्व इस परम पावन स्थल पर सजदा करता है। यह एक प्रेरणा स्रोत भी है। अकाल तख्त के हुक्मनामे सर्वमान्य और सर्वस्वीकार्य हैं और इस पवित्र स्थान के सेवादार के शब्द भी सर्वस्वीकार्य और सर्वमान्य अवश्य होंगे। 

अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के एक-एक शब्द का मूल्य है, मान्यता है। उन्हें पता है कब क्या कहना है परन्तु फिर भी उनका यह कथन है कि ‘‘पंजाब के नौजवानों को ‘माडर्न हथियार’ अपने पास रखने चाहिएं।’’ शुक्र है उन्होंने यह नहीं कहा कि इन ‘माडर्न हथियार’ को चलाना भी चाहिए। जाहिर है कि हथियार है तो मौका पडऩे पर चलाना भी होगा। पर ज्ञानी जी अपने कथन के भयानक परिणामों को नहीं जानते? ज्ञानी जी यह भी जानते होंगे कि अकाल-तख्त साहिब के जत्थेदार के विचार सिख विचारधारा के किस मनोविज्ञान को छुएंगे? 

अकाल तख्त साहिब के चारों द्वार सारे समाज और सारे धर्मों के लिए खुले हैं। इसे हम अपना दुर्भाग्य कहेंगे कि एक सर्व-सत्तासम्पन्न, सर्वमान्य, सबके प्रेरणा स्रोत अकाल तख्त साहिब को मात्र एक वर्ग विशेष का धार्मिक स्थल मान लिया गया। यह तो हमारे गुरुओं ने सोचा भी नहीं होगा। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह साहिब इस पवित्र स्थल की मान-मर्यादा के भी संरक्षक हैं। दसों गुरुओं की धरोहर को सहेज-संभाल कर रखना, सिखों के धार्मिक चिन्हों की मर्यादा बनाकर रखना, सिख समुदाय को पवित्र दरबार और गुरु साहिबान की शिक्षाओं से जोडऩा उनका परम कत्र्तव्य है। 

ज्ञानी जी का कथन है कि छठी पातशाही श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के ‘मीरी-पीरी’ का अनुसरण आज का युवा वर्ग करे। पर अपने कथन को उन्होंने सिर्फ ‘मीरी’ तक ही सीमित रखा अर्थात युवा ‘माडर्न हथियार’ अपने पास रखें। क्या ज्ञानी जी जानते हैं कि श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने शस्त्र (मीरी) किन राजाओं के खिलाफ उठाए? बर्बर शासकों के विरुद्ध, जिन्होंने 5वीं पातशाही श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज को ‘तत्ती तवी’ और ‘तपती-लौह’ में जलाकर जिंदा शहीद कर दिया था? भाई मतिदास, सतिदास और भाई दियाला जी को आरों से चिरवा दिया, देेगों में उबाल दिया था? गुरु घर के अनन्य भक्तों को जिन राजाओं ने यातनाएं दीं, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब ने उनके विरुद्ध संत होकर भी शस्त्र उठाए। इसीलिए उन्हें ‘मीरी-पीरी’ के पातशाह कहा गया। वह जुल्म के खिलाफ लड़े और अपने अनुयायियों को जुल्म के विरुद्ध लडऩे की प्रेरणा दी। वह तो उन हुक्मरानों के विरुद्ध थे, जिनके संबंध में बाबरवाणी में कहा गया है, ‘‘राजे सीह मुकद्दम कुत्ते, जाइ जगाइन बैठे सुत्ते।’’ 

हुक्मरान तब विदेशी थे, मुगल जालिम थे, मानव द्रोही थे। सिखों के सिरों का मूल्य मात्र ‘एक टका’ यानी 2 पैसे था तब। वह एक युग था समाप्त हो गया। औरंगजेब जैसे बर्बर हुक्मरान थे-वे चले गए।  तब हथियार रखना समय की मांग थी। 1947 में हथियार रखे तो क्या देश का बंटवारा रुक गया? क्या इस बंटवारे ने हिंदू-सिखों का संहार नहीं किया? हथियारों से भी देश को टुकड़े होने से न तुम बचा पाए न हम बचा पाए। ज्ञानी जी, मेरे छोटे वीर, समाज बचता-बचाता यहां तक पहुंचा है। 2022 है आज। आज देश हमारा, समाज हमारा। हम भी अपने, देश भी अपना। 

आज के इस लोकतांत्रिक देश में न कोई हिंदू, न मुसलमान, न सिख, न ईसाई, न बौद्ध, न जैन, न पारसी न दलित। हम सब हिंदुस्तानी हैं। हम सब एक हैं। हम सब में एक सर्वधर्म समभाव है। जात-पात, भाषा, वेशभूषा, लिंग भेद सब कुछ इस देश की खातिर बाहर छोड़ आए हैं। आज जो भी व्यक्ति हथियारों की बात करेगा वह कायर कहलाएगा। अर्थात उसका देश में विश्वास नहीं, इस देश के लोकतंत्र में विश्वास नहीं। हथियार सेना का विषय है, ज्ञानी हरप्रीत सिंह का भला हथियारों से क्या काम? उनका काम है श्री अकाल तख्त साहिब से गुरबाणी का उपदेश देना। 

आम जनता का हथियार है तर्क से बात करना, तर्क से दूसरे को अपना बनाना। मतभेद हो भी जाएं तो उन्हें एक टेबल पर बैठ कर हल करना। मैं तुम्हें सुनूं, तुम मुझे सुनो। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सब का अधिकार। बातचीत में ज्ञानी जी आप हथियार कहां से ले आए? क्या हम पुन: मध्ययुग में जाएंगे? ज्ञानी जी फिर निवेदन करता हूं तनिक पंजाब के 1980 से 1992 के 12 सालों पर गौर कर लें। क्या इन्हीं हथियारों की दौड़ ने 12 साल पंजाब को आग की लपटों में नहीं जलाया? 25,000 मासूम जानें नहीं गईं? हमारे पवित्र श्री अकाल तख्त साहिब को धराशायी नहीं किया गया? क्या आतंकवादियों द्वारा दिए गए पंजाबियों के जख्म अभी तक रिस नहीं रहे? जवाब तो आपको ही देना है क्योंकि जिम्मेदारी के पद पर आप हैं। आपके कहने पर यदि पंजाब के नौजवान ने ‘माडर्न हथियार’ जमा कर लिए तो फिर वह आप के कहने-रोकने से भी उन हथियारों को चलाने से रुकेंगे नहीं। तब आपको अपने कहे पर पछतावा होगा।

माननीय ज्ञानी जी, कश्मीर घाटी के हालात को आप मुझसे बेहतर जानते हैं। ‘माडर्न हथियार’ के जखीरे कश्मीर घाटी के युवाओं ने इकट्ठे कर लिए। वक्त आया उन्होंने उन हथियारों से अपने-बेगाने किसी को नहीं बख्शा। 40,000 मासूम जानें इन ‘माडर्न हथियार’ ने लील ली हैं। साधारण व्यक्ति से लेकर पुलिस और सेना के जवानों तक को इन हथियारों ने नहीं छोड़ा। बच्चे, बूढ़े, नौजवान, स्त्री-पुरुष सबको ये हथियार कश्मीर-घाटी में खा गए। हथियार जब चलता है तो हिंदू-सिख, मुसलमान में भेद नहीं करता। छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी नौजवान इन्हीं ‘माडर्न हथियार’ से खून की होली खेलते हैं। अमरीका में इन ‘माडर्न हथियारों’ ने वह तबाही मचाई है कि मां-बाप बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। अभी हाल ही में टैक्सास में एक युवक ने ‘माडर्न हथियार’ से 7 से 10 साल के 19 नन्हे-मुन्ने बच्चों और 2 अध्यापकों को मार दिया। यहां तक कि उसकी गन ने अपनी सगी दादी तक को भी नहीं बख्शा। 

ज्ञानी जी, बेकार युवाओं के हाथों को काम दो, ‘माडर्न हथियार’ मत थमाओ। हथियार तो स्वयं में एक समस्या है, भला हथियार किसी समस्या का क्या हल निकालेंगे? फिर यह देश तो बाबे नानक का है, महात्मा गांधी की बगिया है यह हिंदोस्तान। महावीर जैन और बुद्ध की अहिंसा का प्रचार करो। समाज को रहना सिखाओ। आपस में भाईचारे का गुणगान करने का उपदेश दें अकाल तख्त के माननीय जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी। बस इतना ही। धन्यवाद।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)


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