गाँधी जैसा मैंने देखा और समझा

punjabkesari.in Sunday, Oct 01, 2023 - 10:29 PM (IST)

महात्मा गांधी के बारे में कुछ बताने से पहिले पृष्टभूमि आवश्यक है।  लगभग 78-79  वर्ष पहिले की बात है। मेरी आयु केवल 11-12 वर्ष थी। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ सत्यकेतु विद्यालंकार मेरे मामा जी थे। गुरुकुल कांगड़ी कनखल/ हरिद्वार से स्नातक की डिग्री लेकर मामाजी वहीं अध्यापक बन गए थे। कुछ समय पश्चात  मामा जी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए पेरिस विश्वविद्यालय भेजा गया।  वहाँ से उन्होंने इतिहास में डी लिट की डिग्री प्राप्त की। मामा जी भारत लौट कर दिल्ली रहे और फिर मसूरी में ही उन्होंने अपना निवास कर लिया। मामा जी इतिहास की पुस्तकें लिखते थे जिनको कि आज भी विद्यार्थीगण पढ़ना चाहते हैं। प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में  कनखल  हरिद्वार से हम बहन भाई माँ पिता जी के साथ मसूरी जाया करते थे और कुछ दिन वहाँ मामाजी के घर रहते थे।

हमारे देश भारतवर्ष पर उस समय विदेशी अंग्रेज़ो का शासन था।  700-800 वर्ष आक्रांता मुगलों के शासन के बाद अंग्रेजी शासन आरम्भ हो गया था। अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफ़र को जो कि एक देशभकत शासक था अंग्रेज़ों ने रंगून  भेज दिया था। अंग्रेज़ों ने लगभग 200 वर्ष यहाँ राज्य किया।  अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए श्रीमती एनी बेसेंट  ने कांग्रेस की स्थापना की। इस कांग्रेस के संचालकों में महात्मा गाँधी, डॉ. राजेंदर प्रशाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे अनेकों नेता थे।

देश में उस समय कांग्रेस अकेली राजनीतिक पार्टी होती थी।  इसकी गतिविधियों का केंद्र बिंदु देहरादून और विषेशकर मसूरी होता था। आगे की रणनिति  तैयार करने के लिए पार्टी के कार्यकर्ता मसूरी आया करते थे जिनमें गांधी जी का स्थान विशेष महत्वपूर्ण था। अपने मसूरी निवास के दिनो में गाँधी जी प्रतिदिन शाम को 5 बजे   सिल्वर्टन होटल के ग्राउंड में प्रार्थना सभा किया करते थे। हम भी कभी कभी उनके  साथ चला करते थे। गाँधी जी खादी की सफ़ेद धोती, बनियान या जैकेट, गले में जेनऊ , आखों पर सुनहरे रंग का गोल चश्मा और पैरो में खड़ाऊ पहनते थे। प्रार्थना  सभा में जब ठंडी हवा चलने लगती थी तब उनकी पोती उनके कंधों पर शाल उढ़ा दिया करती थी।

गाँधी जी शांत स्वभाव से प्रवचन देना आरम्भ करते थे। वे छोटे छोटे वाक्य ही बोलते थे। उनके स्वभाव में थोड़ी सी भी गर्मी नहीं की। .गाँधी जी का उद्देश्य केवल भारत देश को विदेशियों से स्वतंत्र कराने का था। वह भी बिना किसी हिंसा के। इसलिए गाँधी जी को अहिंसा का पुजारी कहा जाता है। प्रार्थना सभा में गाँधी जी को देखकर और सुनकर एक प्रकार की शांति का अनुभव होता था ऐसा मैं उस समय ख़ूब लोगों से सुना करते थे।

गाँधी जी की प्रार्थना सभा में रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति दे भगवान भजन अवश्य होता था। मसूरी निवास के दिनों में गाँधी जी प्रसिद्ध लेखक श्री राहुल सांकृत्यायन  जी के घर पर रहा करते थे। उनकी पत्नी श्रीमती कमला जी गाँधी जी का बहुत ध्यान रखती थी। उन दिनों हम यह भी सुनते थे कि भारतीय फ़ौज में भर्ती,  किसानों के घरों में गाँधी जी अनाज इत्यादि भिजवा रहे हैं। उन दिनों की जो बातें मेरे स्मृति पटल  पर छाई रही उनका कुछ वर्णन करने का मैंने प्रयास किया है। महात्मा गाँधी को इतने समीप से इतनी छोटी अवस्था में देख रखा था। शायद इसलिए ही उनके निधन के समय मुझे अत्यंत कष्ट हुआ था। लगता था कि अब देश कैसे चलेगा। यही भावना मन में कुछ समय तक आती रही।  शायद गाँधी जी के व्यक्तित्व का ही प्रभाव था।- ऊषा गुप्ता


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