राशन से पोषण तक ‘एफ.पी.एस.’ की महत्वपूर्ण भूमिका

punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2024 - 05:46 AM (IST)

चमन प्रकाश, एक उचित दर दुकान (एफ.पी.एस.) डीलर हैं जो उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के प्रताप विहार ब्लॉक में पिछले 11 वर्षों से खाद्यान्न वितरित कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एकमात्र एफ.पी.एस. डीलर होने के कारण वे 1,500 से अधिक परिवारों को सेवा प्रदान करते हैं। समुदाय में एक विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में उनकी प्रतिष्ठा विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के दौरान और भी महत्वपूर्ण हो गई, जब लाभार्थी अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) से जुड़ी पात्रताओं पर बहुत अधिक निर्भर थे। प्रकाश, देश भर के उन 5.3 लाख डीलरों में से एक हैं, जो अंतिम छोर तक खाद्यान्न वितरण एजैंट के रूप में कार्य करते हैं और पी.डी.एस. के माध्यम से 80 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। 

इन एफ.पी.एस. को राज्य सरकारों द्वारा लाइसैंस दिया जाता है और इनका प्रबंधन भी किया जाता है तथा डीलरों को अपनी दुकानों पर प्रति क्विंटल लेन-देन के आधार पर डीलर माॢजन के माध्यम से मुआवजा मिलता है। तथापि, एफ.पी.एस के माध्यम से खाद्यान्न वितरण प्रत्येक माह 7-10 दिनों की अवधि में केंद्रित होता है। माह के शेष दिनों में, ये दुकानें कम उपयोग में रहती हैं जिससे डीलरों को कोई अतिरिक्त आय का अवसर नहीं मिलता है। एफ.पी.एस. में भौतिक और मानव संसाधनों के उपयोग से आवश्यक अंतिम छोर तक वितरण नैटवर्क की आर्थिक व्यवहार्यता और स्थिरता को खतरा पहुंचता है। पिछले एक दशक में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने एफ.पी.एस. को आधुनिक बनाने के लिए विभिन्न क्रियाकलाप लागू किए हैं। सभी एफ.पी.एस. में इलैक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पॉस) डिवाइस लगाए गए हैं, और लगभग 100 प्रतिशत लेन-देन अब आधार द्वारा बायोमैट्रिक रूप से प्रमाणित होते हैं। 

खाद्यान्नों का सही वजन सुनिश्चित करने के लिए ई-पी.ओ.एस. उपकरणों को इलैक्ट्रॉनिक तराजू से जोडऩे की प्रक्रिया भी शुरू की गई है, जिसे 2024 के अंत तक पूरा किया जाना है। राज्यों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मॉडल एफ.पी.एस. विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिसमें लाभार्थियों के लिए प्रतीक्षा क्षेत्र, बैठने की व्यवस्था और पीने के पानी जैसी सुविधाएं हों। राज्य सरकारों को एफ.पी.एस. डीलरों के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत सृजित करने हेतु कॉमन सर्विस सैंटर (सी.एस.सी.) सेवाओं और बिजनैस कॉरेस्पोंडैंट (बी.सी.) सेवाओं जैसी अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए सशक्त बनाया गया है। 

जनवरी, 2024 में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने ओपन नैटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओ.एन.डी.सी.) में एफ.पी.एस. को ऑनबोर्ड करने के लिए एक प्रायोगिक (पायलट) कार्यक्रम शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य एफ.पी.एस. के ग्राहक आधार को विस्तार देना और उसकी व्यवहार्यता को बढ़ाना है। यद्यपि, एफ.पी.एस. की आर्थिक स्थिरता डीलरों और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। एक अन्य गंभीर चुनौती लाभार्थियों की पोषण सुरक्षा रही है। वर्तमान में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग केवल पी.डी.एस. के माध्यम से ऊर्जा देने वाले (एनर्जी रिच) अनाज (चावल और गेहूं) प्रदान करता है, जबकि आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पोषण संबंधी कमियों का सामना कर रही है। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.-5) के आंकड़े उच्च एनीमिया दरों को दर्शाते हैं 6 से 59 महीने की आयु के बच्चों में 67.1 प्रतिशत, 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं में 57 प्रतिशत और 15 से 49 वर्ष की आयु के पुरुषों में 25 प्रतिशत। इसके अतिरिक्त, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग, वैसिटिंग और कम वजन के मुद्दे बने हुए हैं। अत:, एफ.पी.एस. डीलरों के लिए आय के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ आहार विविधीकरण के माध्यम से जनसंख्या के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार लाने जैसे दोहरे दृष्टिकोण (डुअल अप्रोच) की आवश्यकता है। 

इन 2 चुनौतियों पर काबू पाने के लिए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 60 एफ.पी.एस.- गाजियाबाद, जयपुर, अहमदाबाद और हैदराबाद प्रत्येक में 15 एफ.पी.एस. को ‘जनपोषण केंद्र’(जे.पी.के.) में परिवर्तित करने के लिए एक प्रायोगिक (पायलट) कार्यक्रम शुरू किया है। ये केंद्र, अन्य मदों के अलावा, खुले बाजार की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पोषक तत्वों से भरपूर वस्तुओं जैसे मिलेट्स (श्री अन्न), दालें, खाद्य तेल और सोयाबीन की एक विविध रेंज पेश करेंगे। जे.पी.के. का उद्देश्य लाभार्थियों और स्थानीय आबादी के बीच पोषण संबंधी अंतर को दूर करते हुए डीलरों के लिए अतिरिक्त राजस्व स्रोत और बेहतर मार्जिन प्रदान करना है। 

इस पहल के साथ, चमन प्रकाश का पेशेवर जीवन परिवर्तन के लिए तैयार है, जिससे उन्हें अपनी पेशकशों में विविधता लाने, अपनी आय बढ़ाने और समुदाय के पोषण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी। यह विकास न केवल उनकी आजीविका को बढ़ाएगा बल्कि पूरे भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने में एफ.पी.एस. की महत्वपूर्ण भूमिका को भी सुदृढ़ करेगा।(लेखक : भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव हैं)-संजीव चोपड़ा


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