खुले में ‘शौच-मुक्त’ से ‘संपूर्ण स्वच्छ भारत’ की ओर

Tuesday, Oct 04, 2022 - 05:07 AM (IST)

हमारे प्रधानमंत्री के 2 अक्तूबर, 2014 को लाल किले की प्राचीर से खुले में शौच से मुक्त (ओ.डी.एफ.) भारत निर्माण के स्पष्ट आह्वान के बाद, स्वच्छ भारत मिशन (एस.बी.एम.) सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया, बल्कि यह एक जन आंदोलन बन गया। परिणाम दुनिया के सामने है। 

2 अक्तूबर, 2019 तक 110 मिलियन शौचालयों का निर्माण हुआ और हमारी 550 मिलियन ग्रामीण आबादी को घरेलू स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त हुई, जिससे भारत ओ.डी.एफ. स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभावों को हासिल करने में सक्षम हुआ। माननीय प्रधानमंत्री को उल्लेखनीय रूप से बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और उसके बाद के आर्थिक लाभ के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट फाऊंडेशन के ग्लोबल गोल कीपर्स अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। 

एक स्वस्थ राष्ट्र, एक सशक्त राष्ट्र होता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत और दूरदर्शी नेतृत्व में, एस.बी.एम. ने भारत को दुनिया की पांचवीं अग्रणी अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यूनिसेफ के एक स्वतंत्र अध्ययन में कहा गया है कि ओ.डी.एफ. गांवों में रहने वाले औसत परिवार ने प्रति वर्ष 50,000 रुपए का संचयी लाभ अर्जित किया और नए शौचालय वाले घरों के संपत्ति-मूल्य में एक बार के लिए 19,000 रुपए की वृद्धि देखी गई। औसतन, नए घरेलू शौचालयों की कुल लाभ लागत से 4.7 गुना अधिक पाई गई। 

महात्मा गांधी की जयंती-2 अक्तूबर को स्वच्छ भारत दिवस 2022 मनाने के क्रम में, एस.बी.एम. अपने दूसरे चरण में दो साल से अधिक पूरे कर चुका है और ओ.डी.एफ. की उपलब्धि हासिल करने के बाद अब ओ.डी.एफ. प्लस के लिए प्रयासरत है। आइए हम इसे आसान शब्दों में समझते हैं- एस.बी.एम.-जी के चरण ‘ओ.डी.एफ. प्लस’ के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं- शौचालयों के निर्माण और उपयोग से आगे बढ़कर समग्र सार्वभौमिक स्वच्छता की दिशा में शौचालयों का निरंतर उपयोग; हमारे घरों व समुदायों से उत्पन्न जैविक रूप से अपघटित होने वाले और गैर-अपघटित रहने वाले कचरे सहित ठोस एवं तरल अपशिष्ट का पर्यावरण-अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य प्रबंधन और परिणामत: स्वच्छ परिवेश का निर्माण आदि। 

यह ‘संपूर्ण स्वच्छता’ के गांधीवादी सिद्धांतों के अनुरूप है और ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एस.एल.डब्ल्यू.एम.) के लिए समर्पित और विशिष्ट तकनीकी उपायों के माध्यम से स्वच्छता मिशन के चरण 2 के हिस्से के रूप में आजीविका के अवसरों के सृजन से जुड़े हमारे उद्देश्य का भी समर्थन करता है। देश भर के हजारों गांवों में, ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन अब घरेलू स्तर पर कचरे को गीले एवं सूखे कचरे में अलग-अलग करके और घर-घर जाकर इसके संग्रहण के जरिए से किया जा रहा है। पंचायतों और महिला स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी.) को कंपोसिंटग और जहां संभव हो वहां बायोगैस के उत्पादन के जरिए गीले कचरे के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो बाद में आय सृजन का साधन बन जाता है। 

घरों और विभिन्न संस्थानों से निकले प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन गांवों में फॉरवर्ड ङ्क्षलकेज की व्यवस्था के साथ संग्रहण एवं अलगाव केंद्रों के जरिए किया जा रहा है। प्लास्टिक कचरे को टुकड़े-टुकड़े में बांट करके उसे उपयुक्त रूपों में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिससे इसका सड़क निर्माण और सीमैंट कारखाने जैसी गतिविधियों में आगे इस्तेमाल संभव हो पाता है। इस क्रम में आजीविका का सृजन होता है। 

ऐसे ही कई विकल्पों में से एक गोवर्धन योजना भी है। हमारे गांवों को रसोई से निकलने वाले बचे हुए खाद्य पदार्थों, फसलों के अवशेष और बाजार के कचरे सहित पशु एवं अन्य जैव-अपशिष्टों के प्रबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने ‘कचरे से कंचन’ बनाने का विचार दिया। इस प्रकार, गोवर्धन योजना के तहत 125 जिलों में लगे 333 गोवर्धन संयंत्र न सिर्फ खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन प्रदान कर रहे हैं और/या कई घरों में रोशनी बिखेर रहे हैं, बल्कि कई लोगों के लिए नौकरी और आय का स्रोत भी सृजित कर रहे हैं। 

यह वास्तव में एक ‘अपशिष्ट से धन’ की प्रणाली है जो जैव-अपघटित कचरे को संग्रहित करने और कचरे को संसाधनों में बदलने, जी.एच.जी. उत्सर्जन को कम करने व कच्चे तेल के आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने, उद्यमशीलता को सुदृढ़ करने और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद करती है। इसके तहत मुख्य लक्ष्य 6 लाख ‘ओ.डी. एफ. प्लस’ गांवों को बनाना और इसके साथ ही ऐसा करते हुए ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को रोजगार मुहैया कराना एवं उनका आय स्तर बढ़ाना है। 

हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में  देश के जिम्मेदार और गौरवान्वित नागरिकों के रूप में आइए हम सभी ‘स्वच्छता से स्वाबलंबन’ के अपने प्रयासों के तहत एकजुट हो जाएं और समस्त वैश्विक समुदाय के लिए संपूर्ण स्वच्छता और साफ-सफाई की एक अनुकरणीय मिसाल बन जाएं!-गजेंद्र सिंह शेखावत(केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, भारत सरकार)

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