जाली डिग्रियों तथा सर्टीफिकेटों का ‘गोरखधंधा’

Thursday, Nov 14, 2019 - 05:09 AM (IST)

हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा सभी सरकारी कर्मचारियों की शैक्षणिक डिग्रियों तथा सर्टीफिकेटों की जांच के आदेश पर विचार करने वाली बात सामने आई है। ये आदेश प्रथम जांच में पाई गई त्रुटियों के बाद जारी किए गए हैं कि कुछ कर्मचारियों ने सरकारी नौकरियां हासिल करने के लिए जाली डिग्रियों तथा मार्कशीट्स का सहारा लिया है। पिछले कुछ वर्षों से जाली डिग्रियों तथा मार्कशीटों के गोरखधंधे ने समाचार पत्रों में खूब सुर्खियां बटोरीं। कई मामलों में तो कई वर्ष यह जांचने में लग गए कि कैसे परीक्षा में असफल रहने के बावजूद कई लोगों ने नौकरियां तथा अन्य लाभ प्राप्त किए। 

यह जालसाजी पूरे देश में व्याप्त है। हाल ही में एक जाली विश्वविद्यालय का पता चला जो उन लोगों को डिग्रियां बांट रहा था जिन्होंने कभी स्कूल-कालेज का मुंह ही नहीं देखा और न ही कभी क्लासरूम में बैठ कर देखा। यह मामला मेघालय में पकड़ा गया। पंजाब तथा अन्य राज्यों के सैंकड़ों सरकारी कर्मचारियों पर चार्जशीट दायर की गई है तथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है। 

जो लोग जाली डिग्रियां तथा मार्कशीटों को गलत ढंग से प्राप्त करते हैं वे अधिकारियों को चालाकी से मूर्ख बनाने के  रास्ते ढूंढ ही लेते हैं। अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए वे लोग दो प्रमुख कार्यप्रणालियों का इस्तेमाल करते हैं। पहली यह कि वे लोग एक मनघड़ंत संस्थान बना लेते हैं जोकि किसी दूरदराज कस्बे में स्थित होता है। आमतौर पर वे एक या दो कमरों से अपनी योजनाओं को अंजाम देते हैं। इन कमरों में छोटा-सा स्टाफ रखा जाता है। शहर के प्रमुख समाचारपत्रों में विज्ञापन दे यह दावा किया जाता है कि यह अधिकृत संस्थान है और यह पत्राचार कोर्सों के माध्यम से कोङ्क्षचग देने के बाद डिग्रियां बांटता है। जो लोग इनमें दाखिला लेते हैं वे कभी भी कक्षा में बैठते ही नहीं पर उनको पढऩे के लिए नोट्स भेजे जाते हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि जो लोग ऐसे संस्थानों में दाखिला लेते हैं, वे इन संदिग्ध प्रकृति वाले संस्थानों के बारे में जागरूक होते हैं मगर थोड़े से प्रयास तथा कम कीमत देकर डिग्रियां तथा सर्टीफिकेट लेने से गुरेज नहीं करते। 

दूसरा रास्ता जोकि जाली डिग्रियां, डिप्लोमे, सर्टीफिकेट तथा मार्कशीट हासिल करने का है, वह यह है कि साधारण तौर पर किसी प्रतिष्ठित या फिर मशहूर संस्थान के दस्तावेजों पर जालसाजी की जाती है। जालसाज इस कार्य को बड़ी चतुराई से अंजाम देते हैं ताकि इन संस्थानों के अधिकारी जालसाजी पकडऩे के लिए मुश्किल से दो-चार हों। चंडीगढ़ में स्थित एक सदी पुराने पंजाब विश्वविद्यालय ने ऐसे जालसाजी के दस्तावेजों का सामना किया है। अब विश्वविद्यालय ने अपनी सभी आधिकारिक डिग्रियों पर होलोग्राम लगाना शुरू किया है ताकि दस्तावेजों पर काट-छांट न की जा सके। कई अन्य संस्थानों ने भी ऐसी प्रणाली को शुरू किया है। फिर भी जालसाज धोखा देने के नए-नए हथकंडे अपना ही लेते हैं। 

सी.बी.आई. ने पिछले माह सभी राज्य सरकारों को सचेत किया था कि कई राज्यों ने विभिन्न सरकारी तथा निजी संगठनों में नियुक्ति के उद्देश्य से उच्च शिक्षा में दाखिले हेतु बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन मध्य भारत, ग्वालियर द्वारा आयोजित परीक्षाओं के समानांतर अधिकार दिए हैं। मध्य भारत में आधारित बोर्ड ने अपनी वैबसाइट पर दावा किया कि वह भारत सरकार के योजना आयोग तथा इंडियन ट्रस्ट एक्ट, 1882 के अंतर्गत पंजीकृत है। सूचना झूठी साबित हुई, इसके बाद हुई जांच में खुलासा हुआ कि बोर्ड न तो पंजीकृत था और न ही डिग्रियां तथा मार्कशीट जारी करने के लिए करवाई जा रही परीक्षाओं के आयोजन हेतु अधिकृत था। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब देहरादून में सी.बी.आई. की भ्रष्टाचार रोधक शाखा ने बोर्ड के खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज किए, जिन्होंने वित्तीय लाभ हासिल करने के उद्देश्य से एक भी परीक्षा आयोजित किए बिना जाली मार्कशीटों तथा सर्टीफिकेटों को अनगिनत संख्या में जारी किया। एजैंसी ने यह भी पाया कि देश भर के कई स्कूल तथा कालेज इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त थे। 

जिन राज्यों ने इस कार्य के विरुद्ध कार्रवाई की शुरूआत की वह था हरियाणा जहां पर भर्ती घोटाले हुए। राज्य सरकार ने सभी राज्य सरकार कर्मियों के 10वीं, 12वीं के मार्कशीटों तथा अन्य शैक्षणिक सर्टीफिकेटों को जांचने का निर्णय लिया। सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को राज्य भर में कालेज छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए सर्टीफिकेटों को भी जांचने का आदेश दिया। 

हरियाणा के प्रमुख सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने सभी विभागों के प्रमुखों को लिखा कि राज्य भर में सभी कर्मचारियों तथा छात्रों की मार्कशीटों तथा सर्टीफिकेटों को दोबारा जांचा जाए। 5 नवम्बर को जारी आदेश में कहा गया कि यदि किसी भी व्यक्ति ने उस संबंधित बोर्ड द्वारा जारी सर्टीफिकेटों के आधार पर नौकरी हासिल की तो उसकी नियुक्ति तत्काल रूप से रद्द कर दी जाएगी तथा जो भी कार्रवाई बनती होगी वह की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अन्य राज्य के सरकारी कर्मियों द्वारा जमा करवाए गए सर्टीफिकेटों की जांच के आदेश दे दिए गए तो सी.बी.आई. द्वारा जारी जांच में जालसाजी के और भी पिटारे खुलेंगे।-विपिन पब्बी
 

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