क्षमाशीलता अपनाने की जरूरत

Tuesday, Jan 24, 2017 - 12:43 AM (IST)

प्रिय पाठको, मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि कुछ विशेष मुद्दों के बारे में लिखना तो बहुत आसान होता है लेकिन व्यवहार में उन्हीं बातों का अनुसरण करना प्रचार करने की तुलना में कहीं अधिक कठिन होता है। मेरे मामले में ऐसा ही एक मुद्दा है क्षमाशीलता।एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में गुस्से में बातें करते हुए सुना जिसने मुझे नुक्सान पहुंचाया था। मेरी क्रोधपूर्ण बातचीत के बाद वह मेरी ओर मुड़ा तथा बोला: ‘‘बॉब, तुम्हें क्षमाशीलता अपनाने की जरूरत है।’’ जवाब में मैं नाराजगी भरे ढंग से बोला, ‘‘लेकिन मेरा अपमान हुआ है।’’ परंतु मेरा मित्र चुपचाप बैठा रहा और उसके इसी मौन के करण मुझे महसूस हुआ कि मेरा पक्ष दमदार नहीं है।

डा. फ्रैंक बोहिम को काफी समय पूर्व यह पता चल गया था कि हमारे शरीर में होने वाली प्रत्येक बात के लिए  चिकित्सक कारणों को आधार नहीं बनाया जा सकता। ‘‘यहूदियों के लिए बनाए गए नाजी यातना शिविरों में होने वाले सामूहिक नरसंहार (होलोकास्ट) में से बचकर भाग निकलने वाले मेरे पिता की यह मान्यता थी कि गुस्सा, नाराजगी और अक्षमाशीलता आत्मा के साथ-साथ शरीर में भी रोग पैदा करते हैं। वह कहा करते थे क्षमाशीलता बहुत बढिय़ा दवाई है।’’

कुछ वर्ष पूर्व एक मरीज डा.बोहिम के पास आई और बताया कि उसके पेट तथा सिर में लगातार दर्द रहता है और रक्तचाप भी नीचे नहीं आता। लेकिन डा.बोहिम उसके रोगों का कोई चिकित्सक आधार नहीं ढूंढ पाए। आखिर उन्होंने कहा  ‘‘मुझे अपनी जिंदगी के बारे में कुछ बताओ।’’ तब उस महिला ने खुलासा किया कि उसका अपनी 2 बहनों के साथ टकराव चल रहा है क्योंकि अतीत में उन्होंने संकट के दौरान उसका हाथ थामने से इंकार कर दिया था। इस पर डाक्टर ने उसे दोनों बहनों को माफ कर देने के लिए प्रेरित किया। वर्षों बाद डाक्टर बोहिम को इस मरीज का एक पत्र प्राप्त हुआ। उसकी अपनी दोनों बहनों के साथ सुलह हो गई थी और निश्चय ही उसकी बीमारियां भी गायब हो गई थीं। डा.बोहिम ने बताया, ‘‘उसे क्षमाशीलता की खूबियां का बोध हो गया था और यह पता चल गया था कि यह स्वास्थ्य के लिए कितनी हितकर है।’’

शैक्षणिक मनोविज्ञान के प्रोफैसर राबर्ट एनराइट  का कहना है: ‘‘जब आपके साथ किसी अन्य द्वारा अन्यायपूर्ण व्यवहार होता है तो गुस्सा एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन यदि नाराजगी की भावनाओं का कोई हल नहीं ढूंढा जाता तो आपके मन में एक कुंठा पैदा हो जाती है। जब आप हर समय अंदर ही अंदर किसी शिकवे को पोषित करते रहते हैं तो आप रोजमर्रा के जीवन में क्रोध को अपना स्थायी साथी बनाने का आमंत्रण दे रहे होते हैं और यह आपके शरीर में एक जहर की तरह फैल जाता है।’’‘जानलेवा गुस्सा’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक डा. रैडफोर्ड विलियम्स कहते हैं: ‘‘यदि आप क्षमाशीलता नहीं अपनाते तो आपके अंदर नाराजगी की भावना कभी भी फूट सकती है और इसकी कीमत आपके शरीर को चुकानी पड़ती है। यह बिल्कुल हर रोज जहर की थोड़ी-थोड़ी खुराक लेने के तुल्य है।’’

क्षमाशीलता का यह अभिप्राय नहीं कि आप नाराज होने से इंकारी हैं या ऐसा नाटक कर रहे हैं कि आप आहत नहीं हुए थे। क्षमाशीलता तो उस मानसिकता का नाम है जो हम आहत करने वाले व्यक्तियों और उनके कृत्यों के बारे में कैसा महसूस करते  हैं।शुरूआत के तौर पर आप छोटी-छोटी घटनाओं से क्षमाशीलता का अभ्यास करें। जैसे कि आप किसी यात्रा से घर लौटे हैं तो अपने बेटे का साइकिल बरामदे या ड्योढ़ी में खड़ा पाते हैं, जिससे आप अंदाजा लगा लेते हैं कि वह आपको लेने के लिए घर से चला ही नहीं था तो उसे क्षमा कर दें।

विलियम्स कहते हैं, ‘‘अपनी मानसिकता बदल कर आप यह फैसला कर सकते हैं कि क्या आपका क्रोध वाजिब है या नहीं तथा कालांतर में आप बहुत बड़े-बड़े मुद्दों पर भी क्षमा करने के योग्य हो जाएंगे।’’ राबर्ट एनराइट कहते हैं, ‘‘क्षमा का एक कृत्य तो केवल शुरूआत मात्र है, जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाएंगे तो खुद पर होने वाले किसी भी आघात के समक्ष आप खुद को पीड़ित महसूस  नहीं करेंगे बल्कि आपका व्यक्तित्व इतना शक्तिशाली बन जाएगा कि आप किसी भी आपदा से टक्कर ले पाएंगे।’’
 

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