अगस्त में विदेशी निवेशकों ने चीन से 50 अरब डॉलर निकाले

punjabkesari.in Wednesday, Sep 27, 2023 - 05:43 AM (IST)

चीन के लगता है बुरे दिन अभी और लंबे समय तक चलेंगे। चीन का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है, निर्यात निम्नतम स्तर पर गिर गया है। चीन से अमीर लोग अपना धन लेकर हमेशा के लिए देश छोड़कर बाहर जा रहे हैं, चीन का गरीब फैक्टरी कर्मचारी भी दक्षिणी चीन के रास्ते वियतनाम भाग रहा है, जहां पर वह चीन से वियतनाम आने वाली फैक्टरियों में काम कर रहा है और फिर वहीं बसने की आशा कर रहा है। इसके अलावा भी चीन में हर तरफ गिरावट का रुझान देखने को मिल रहा है। इसी बीच चीन से एक और निराशाजनक खबर आई है। इस वर्ष अगस्त के महीने में चीन से बड़ी मात्रा में डॉलर चीन से बाहर भेजे गए। 50 अरब डॉलर सिर्फ एक महीने में चीन से बाहर भेजे गए हैं, जो चीन की अर्थव्यवस्था के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं। 

हालांकि इसे रोकने के लिए चीन सरकार ने कुछ ठोस कदम उठाए हैं ताकि चीनी मुद्रा युआन को और कमजोर होने से रोका जा सके, बावजूद इसके जिस तेजी से चीन से धन बाहर जा रहा है, हालात को देखते हुए लगता नहीं कि एक बार चीन से बाहर गई मुद्रा वापस आएगी। चीन की एकमात्र पार्टी सी.पी.सी. के आधिकारिक आंकड़े भी यह बताते हैं कि अगस्त महीने में विदेशी निवेशकों ने चीन के शेयर बाजार में अपने 12 अरब डॉलर के स्टॉक बेचे हैं। इसका सीधा मतलब है कि ये विदेशी निवेशक अब चीन से अपने पैसे निकालकर बाहर जा रहे हैं। इस वजह से पिछले 4 वर्षों में विदेशियों द्वारा खरीदे गए चीनी बॉन्ड्स सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। 

इस बीच चीन में प्रत्यक्ष निवेश घाटा 16.8 अरब डॉलर का दर्ज किया गया है, जो चीन के अंदर निवेश के क्षेत्र में वर्ष 2016 के बाद से सबसे खराब प्रदर्शन है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीन में सीधा विदेशी निवेश मध्य 2022 से नकारात्मक जा रहा है। इसके पीछे चीन में तीन वर्ष तक फैली कोविड-19 महामारी और उसके बाद चीन में निजी क्षेत्रों पर चीनी प्रशासन द्वारा सख्त रवैया अपनाया जाना है, जिससे विदेशी निवेशकों को चीन में बहुत ज्यादा घाटा उठाना पड़ा। इसके अलावा इस वर्ष अगस्त महीने में चीन के कैपिटल अकाऊंट से 50 अरब डॉलर चीन से बाहर गए। यह इतनी बड़ी धनराशि है, जो दिसंबर 2015 के बाद से पहली बार चीन में देखी गई है। अभी तक कैपिटल इन फ्लो यानी ठोस मुद्रा का चीन में आगमन होता था लेकिन अब चीन के कैपिटल अकाऊंट से पैसे बाहर जा रहे हैं, वह भी इतनी बड़ी संख्या में, जो अभूतपूर्व है। 

अगस्त 2023 में जारी सी.पी.सी. की एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज ने यह दिखाया कि इस समय चीन के पास विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 3 खरब 16 अरब अमरीकी डॉलर का बचा है, जो इस वर्ष जुलाई में विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना में 44.2 अरब डॉलर कम है, ये 1.38 प्रतिशत की कमी है। चीन के तेजी से कम होते विदेशी मुद्रा भंडार पर विदेशी मीडिया का ध्यान भी गया, जिसके बाद पूरी दुनिया में यह खबर फैल गई कि चीन इस समय बड़ी तेजी से विदेशी मुद्रा के देश से बाहर जाने की समस्या से जूझ रहा है। इस वजह से चीन की मुद्रा रनमिनबी यानी युआन पर विमूल्यन यानी मूल्य कम होने का भारी दबाव बन गया है। इससे युआन का महत्व न सिर्फ विदेश में, बल्कि देश के अंदर भी तेजी से कम होगा, जिसका चीन की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा। ब्लूमबर्ग में छपी 19 सितंबर की खबर के अनुसार, ये चिंताजनक ट्रैंड इस बार के चीनी आधिकारिक आंकड़ों में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। 

चीन के वित्त बाजार से विदेशी निवेश के बाहर जाने का एक और बड़ा कारण यह है कि अब यह एक वैश्विक परिपाटी बन गई है कि अलग-अलग क्षेत्र की विदेशी कंपनियां अब चीन से बाहर इसलिए भी जा रही हैं क्योंकि वे अपनी आपूर्ति शृंखला को एक देश में समेट कर नहीं रखना चाहतीं, बल्कि वे कई दूसरे देशों में भी निवेश करना चाहती हैं, जिससे भविष्य में कोरोना महामारी जैसी किसी भी आपदा के समय उनके काम पर कोई बुरा असर न पड़े। वे कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन से उम्मीद थी कि वह जल्दी ही पटरी पर लौटेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं और यह सैक्टर अभी तक कोविड के बुरे प्रभाव में जी रहा है। इसके साथ ही सेवा उद्योग और व्यापार क्षेत्र में भी रिकवरी नहीं हुई। इन सबका चीन की मुद्रा पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। 

चीन के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि अगस्त महीने में जो 50 अरब डॉलर चीन से बाहर गए हैं उनमें से 29 अरब डॉलर सिर्फ शेयर बाजारों में लगाए जाने थे। इस समय चीन के अंदर मुद्रा की आवक भी रही लेकिन उससे कहीं ज्यादा मुद्रा चीन से बाहर चली गई। ब्लूमबर्ग के अनुसार चीन से बड़ी मात्रा में मुद्रा के बाहर जाने के पीछे कुछ कारण थे, जिनमें चीन की सुस्त अर्थव्यवस्था एक है। इसके अलावा चीन और अमरीका की ब्याज दरों में बहुत ज्यादा अंतर आने लगा, जिसकी वजह से चीन की मुद्रा युआन पिछले 16 वर्षों में अपने सबसे निचले विनिमय स्तर पर चली गई है। विश्लेषकों का कहना है कि कमजोर युआन बाजार पर भरोसा और आकर्षण को और भी कम कर रहा है। इसका नुक्सान चीन की अर्थव्यवस्था को चारों तरफ से हो रहा है।


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