पहले उड़ता पंजाब, अब गैंगवार, पंजाब में कैसा नया रुझान

Tuesday, Jun 07, 2022 - 05:54 AM (IST)

पंजाब  में दिन-दिहाड़े लोकप्रिय पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। हत्या को आपसी गैंगवार से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह कि उड़ता पंजाब क्या हत्यारा पंजाब भी बनने जा रहा है? इस हत्याकांड को कतई साधारण नहीं कहा जा सकता। जिस तरह विदेश और जेल में बैठे गैंगस्टर ताल ठोक कर इसका जिम्मा ले रहे हैं, यहां तक कि फेसबुक पेज पर भी खुले-आम हत्या की जिम्मेदारी ले रहे हैं, उससे कई तरह के सवाल और बड़ी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। 

मजबूत साइबर प्रणाली के दावों के बाद भी अपराधियों द्वारा विदेश छोडि़ए, देश में दी जा रही चुनौतियां, उससे भी बड़ी बात, जेल के अन्दर से ही गैंग ऑप्रेट करना शर्मनाक और बड़ा सवाल है। अगर ऐसा है तो कहीं न कहीं यह खुफिया और साइबर तंत्र की बहुत बड़ी नाकामी है। विदेश से धमकी देना या कबूलनामा थोड़ा समझ में आता है, लेकिन राजस्थान के अजमेर में जेल में बन्द गैंगस्टर का नाम जुडऩा बहुत बड़ी चूक, लापरवाही या साजिश या मिलीभगत कुछ भी हो सकती है, जो हैरान और परेशान करता है। 

ऐसे चलन को रोकना ही होगा, जिसमें हत्या के बाद जवाबदेही लेना, ताल ठोकना और सोशल मीडिया पर लिखना अपराधियों की दहशत व उनके खौफ को बढ़ाता है। ऐसे तत्वों, सहयोगियों, साजिशकत्र्ताओं को पहचानना होगा। हो सकता है कि अपराधी के साथ सरकारी मुलाजिम भी मिले हों, जिनके साथ सख्त और वैसी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो कई राज्यों में बुलडोजर के जरिए अंजाम दी जा रही है। इससे अपराधियों के साथ मुलाजिमों में भी डर पैदा होगा। अब वाकई कड़े और फौरन प्रभावी कानूनों की जरूरत है। कानून को चुनौती देना अब अमनपसंद लोगों को भाता नहीं। लेकिन ये हरकतें रुक नहीं रहीं, जो चिन्ता बढ़ाती हैं। इस पर पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी से सोचने की जरूरत है। 

आखिर जब हम बहुत तेजी से विकसित सूचना तकनीक और साइबर प्रणाली से लैस हो रहे हैं, हर रोज नए से नए संसाधन और तंत्र विकसित हो रहे हैं, ऐसे में भी अपराधियों का जेल में सुरक्षित बैठ कर अपनी हरकतों को अंजाम देना बहुत बड़ा सवालिया निशान है। नशे के लिए पहले से ही बदनाम पंजाब अब फिरौती के नए तौर-तरीकों को लेकर हर किसी के निशाने पर है। माना कि सरकार नई-नई है, लेकिन चुनौतियां तो पुरानी हैं। ऐसे में एकाएक तमाम लोगों को दी गई सुरक्षा एक झटके में हटा लेना कहां तक जायज है। 

मूसेवाला समेत 424 लोगों की पुलिस सुरक्षा उनकी हत्या से 24 घण्टे पहले ही वापस ले ली गई थी। अब कहा जा रहा है कि उनको 2 कमांडो दिए हुए थे। मूसेवाला की हत्या और बीते 2 महीने में दो कबड्डी खिलाडिय़ों की हुई हत्या से भी पंजाब दहल उठा था। अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप सिंह नंगल की 14 मार्च को जालंधर में और 5 अप्रैल को पटियाला स्थित यूनिवर्सिटी परिसर के बाहर ढाबे पर दूसरे कबड्डी खिलाड़ी धर्मेंद्र सिंह की हुई हत्या से भी पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे थे। 

निश्चित रूप से पंजाब में जो हो रहा है, वह सरकार और देश के लिए अच्छा नहीं है। माना कि सरकार की नीयत ठीक है, वह पंजाब के लिए कुछ करना चाहती है, लेकिन पंजाब के अतीत को देखते हुए सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के मुखिया के उपदेश से हालात नहीं सुधरने वाले। सबसे पहले कठोरतम फैसले लेने होंगे। पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था, सियासत और पुराने घटनाक्रमों को देखने के बाद इतना तो समझ आता है कि सब कुछ वैसा आसान नहीं है जैसा बताने का प्रयास किया जाता है। 

निश्चित रूप से प्रदेश की सरकार को केन्द्र के साथ मिलकर पूरी संजीदगी से आतंकवाद की जड़ें काटने, गैंगस्टर की संस्कृति खत्म करने या फिरौती वसूली की घटनाओं पर सख्ती से काम करना होगा। कम से कम इतना तो करना ही होगा कि जेल में बैठे किसी आका का नाम दोबारा न आए और जितने भी बड़े और खूंखार अपराधी जेल में हैं, उनको लेकर केन्द्र के साथ नई समीक्षा की जाए। ऐसे अपराधियों को संरक्षण देने और जेल से गैंग ऑप्रेट करने जैसी चुनौतियों से नए साइबर युग में सख्ती से निपटना ही होगा। इसके लिए भले ही नया कानून बने या तुरंत अध्यादेश लाया जाए। ऐसे डराने या गलत संदेश देने वाले सोशल मीडिया अकाऊंट तो फौरन निष्क्रिय किए ही जा सकते हैं। कम से कम देश में, वह भी जेल में बैठे अपराधियों के बारे में ऐसी जानकारियां बेचैन करती हैं।-ऋतुपर्ण दवे

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