महिला पहलवान ऐसी ताकत नहीं जिसे झुकाया जा सके

Friday, Jun 09, 2023 - 05:01 AM (IST)

भाजपा को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पर गर्व होना चाहिए। अनुराग वित्त मंत्रालय में एक जूनियर मंत्री थे जब उन्होंने बार-बार अपने समर्थकों को दिल्ली में 2019 में सी.ए.ए. विरोधी प्रदर्शनकारियों को ‘गोली मारो’ के लिए उकसाया। उच्च न्यायालय के एक न्यायप्रिय न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस को एफ.आई.आर. दर्ज करने का आदेश दिया था उनके खिलाफ, और 2 अन्य भाजपा नेताओं को पूर्वोत्तर में हिंसा भड़काने का आरोपी पाया था। न्यायाधीश ने पुलिस को समय-सीमा दी थी। उस समय के आने से पहले ही न्यायाधीश को रातों-रात चंडीगढ़ स्थित पंजाब उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और अनुराग ठाकुर को बचा लिया गया। 

जूनियर मंत्री को राज्य मंत्री से खेल मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुराग ठाकुर के पास योग्यता है लेकिन पार्टी और अपने प्रति वफादारी साबित करने की उत्सुकता उनमें भी है। उन्हें ऐसा करने का एक और मौका मिला जब एक भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह जो भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं, पर अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता महिला पहलवानों और कुछ अन्य महिला पहलवानों ने उनके श्वास चक्कर की जांच के बहाने उनसे छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। 

महिला पहलवानों ने सांसद बृजभूषण के व्यवहार में एक स्पष्ट और अचूक पद्धति का खुलासा किया। पहलवानों ने फैसला किया कि वे भोजन कक्ष में उनसे मिलने के लिए अकेले नहीं जाएंगी। वे जानती थीं कि उनका खेल करियर बृजभूषण के हाथों में है। पदक विजेता पहलवानों विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने इस मुद्दे को उठाया और एक अन्य पहलवान बजरंग पूनिया उनके साथ जुड़ गए। बृजभूषण के वास्तविक इरादे का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया गया। मीडिया में एक रिपोर्ट आई थी कि बृजभूषण शरण सिंह ने हाल ही में शामिल हुईं महिला पहलवानों को देर शाम अपने घर अपना परिचय करवाने के लिए बुलाया था। इस घटना की जांच नहीं की गई। 

पुलिस को भी संज्ञेय अपराधों की आरोपी महिलाओं को शाम के बाद थाने में बुलाने की अनुमति नहीं है और यहां कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष युवा लड़कियों को अपने आवास पर बुला रहे थे जब उन्हें सो जाना चाहिए। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि शुरूआत में खेल मंत्री ने अपने पार्टी सहयोगी को बचाने की कोशिश की। पदक विजेता महिला मुक्केबाज मैरीकॉम और महान एथलीट पी.टी. ऊषा स्पष्ट रूप से राज्यसभा सांसद और आई.ओ.सी. अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए पार्टी की ऋणी हैं। 

उन्होंने अपनी जमात के खिलाफ एक इच्छारहित रुख अपनाया। यहां तक कि बी.सी.सी.आई. के अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने भी 1983 की विश्व विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के अपने सहयोगी खिलाडिय़ों का समर्थन नहीं किया जब इन खिलाडिय़ों ने महिला पहलवानों से हुए ऐसे व्यवहार के लिए प्रदर्शन किया था। सरकार और अनुराग ठाकुर को यह महसूस करना चाहिए कि भारत के लोग जानते हैं कि महिला पहलवानों के पास भाजपा को लताडऩे के लिए कुछ नहीं है। सच्चाई उजागर करने के लिए उन्हें साहस की जरूरत थी। 

2014 और 2019 में मोदी का समर्थन करने वाली महिला मतदाता 2024 के लोकसभा चुनावों में अलग तरीके से मतदान कर सकती हैं जब उन्हें पता चलता है कि बृजभूषण सिंह को केवल इसलिए बचाया जा रहा है क्योंकि वह सत्ता में पार्टी से संबंधित हैं। यदि बृजभूषण विपक्षी दलों में से किसी एक पार्टी से संबंधित होते तो अब तक तिहाड़ जेल में होते। 

दिल्ली पुलिस के बारे में थोड़ा सोचिए, पुलिस को कोसना एक लोकप्रिय राष्ट्रीय शुगल है। लेकिन क्या आलोचकों ने यह विश्लेषण करने की कोशिश की है कि पुलिस भाजपा पर धीमी गति से कार्रवाई करते हुए विपक्षी नेताओं और सत्ता में पार्टी के आवारा आलोचकों पर हाथ उठाने के लिए इतनी उत्सुक क्यों है? सत्ता में पार्टी चाहे वह भाजपा की हो या मेरे दिनों में कांग्रेस की रही हो वह हमेशा अधिकार रखती है। राजनीतिक वर्ग के हाथों में केवल स्थानांतरण ही नहीं पोस्टिंग भी होती है। राजनीतिक वर्ग एक अधिकारी के तेजी से उत्थान और दूसरे के ग्रहण को सुनिश्चित कर सकता है। भले ही अधिकारी की योग्यता कुछ भी रही हो। 

आज अच्छे अधिकारी भी अत्याधुनिक नौकरियों से दूर रहने की कोशिश करते हैं। यदि उन्हें ऐसे कार्यों को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाता है तो उन्हें जीवित रहने के लिए समझौता करना पड़ता है। पुलिस स्पष्ट मामलों में भी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर अपने काम करती है। राहुल गांधी को बेवकूफी भरे मजाक के लिए अदालतों में घसीटा गया और ‘आप’ के दो मंत्रियों को जेलों में बंद कर दिया गया तो भाजपा यह घोषणा करती है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, सिवाय अगर आप पार्टी में शामिल हैं। लेकिन अब प्रमुख क्रिकेटरों, मुक्केबाजों, खेल पुरुषों और महिलाओं जिन्हें पद का लालच नहीं था, वे भी कार्रवाई करने की मांग में शामिल हो गए हैं। खेल मंत्री अब सुलह के सुर में सुर मिला रहे हैं जबकि पहले बेहद झगड़ालू थे। 

खेल मंत्रालय और पुलिस की पूछताछ में काफी देरी हुई है। पहले ही शिकायतकत्र्ताओं में से 17 साल की एक नाबालिग लड़की मैजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान से मुकर गई है! यदि अधिक विलम्ब होता है तो अधिक शिकायतकत्र्ता ऐसा करने को मजबूर होगी। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब रणनीति के तहत हो रहा है। अपराध की दुनिया में बृजभूषण कोई नया नाम नहीं हैं। उन्हें अपने करियर में पहले भी कई मामलों में बरी किया जा चुका है लेकिन महिला पहलवान ऐसी ताकत नहीं हैं जिनकी सरसरी तौर पर अवहेलना की जाए।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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