मध्यम वर्ग का दर्द भी महसूस कीजिए

Wednesday, May 11, 2022 - 06:17 AM (IST)

यह सर्वविदित तथ्य है कि भाजपा की आधारभूमि सदैव से मध्यम वर्ग रहा है। विडंबना है कि सरकार की नीतियों और कोरोना संकट की बड़ी मार इसी वर्ग पर पड़ी है। कमजोर वर्ग के लिए लाई गईं तमाम लोकल्याणकारी योजनाओं से देश के निम्न आय वर्ग के जीवन में बड़ा बदलाव आया है, लेकिन मध्यम वर्ग अपने जख्मों को सहला रहा है। वह अच्छे दिन की आशा में बुरे दिनों का दंश झेल रहा है। 

जरूरत इस बात की है कि सरकार में बैठे लोग आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों व उनमें समस्या के समाधान की इच्छा शक्ति हो। कोरोना काल में करोड़ों लोगों के रोजगार चले गए, उनकी आमदनी कम हो गई। अंतर्राष्ट्रीय एजैंसियों के अनुसार 80 प्रतिशत भारतीयों की आय में गिरावट आई है। आमजन महंगाई से त्रस्त है और उसके घर का बजट गड़बड़ा गया है। 

निम्र मध्यम वर्ग एवं मध्यम वर्ग के लिए महंगाई असहनीय हो गई है। इन वर्गों की आय में से पैट्रोल, डीजल, गैस, शिक्षा और स्वास्थ्य, मकान की ई.एम.आई. पर खर्च के बाद जो बचता है, वह घर चलाने के लिए खर्च होता था। अब उसमें 20-25 प्रतिशत अधिक खर्च करना पड़ रहा है। घटता रोजगार, ऊपर से महंगाई की मार, फिलहाल इस स्थिति से राहत की आस कम ही दिखाई देती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति 14.5 है जो दशक के उच्चतम स्तर पर है। 

नि:संदेह वैश्विक कारणों से भी महंगाई बढ़ रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों से कच्चे तेल, उर्वरक, खाद्यान, खाद्य तेल व धातुओं की कीमतों में उछाल आया है। आशंका है कि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति में और भी वृद्धि हो सकती है। आर.बी.आई. महंगाई कम करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करता है, जिसका सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ता है, क्योंकि उसकी ई.एम.आई. बढ़ जाती है। रोजमर्रा की जरूरतें, जैसे खान-पान से लेकर उपभोक्ता सामान, जैसे कपड़े, जूते, प्रसाधन-सामग्री, पैट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दाम व स्कूल की फीस आदि बेतहाशा बढ़ गई है, लेकिन आमदनी एवं रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे। घटी आमदनी व बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग को जरूरतें घटाने पर मजबूर किया है। 

सरकार चाहे तो डायरैक्ट टैक्स की दरों को घटाकर मध्यम वर्ग को सहूलियत दे सकती है। केन्द्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी तेल पर उत्पादन शुल्क व वैट घटा दें तो जनता को राहत मिल सकती है। सरकार आपूॢत की अड़चनों को दूर करके ऊंची कीमतों के इस दौर से पार पाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों को राहत दे सकती है। एम.एस.एम.ई. को जी.एस.टी. में कमी करके, बिजली दरों में राहत देकर व आयकर में छूट देकर आमजन को महंगाई से बचा सकती है। अच्छी टैक्स कलैक्शन सरकार को फ्री हैंड देती है। सरकार का 2021-22 में टैक्स अनुमान 22.17 लाख करोड़ था, अब यह कमाई 27 लाख करोड़ से ऊपर चली गई है। लेकिन मध्यम वर्ग की समस्याओं के प्रति सरकार संवदेनशील नहीं है। देश में अप्रैल 2022  के दौरान जी.एस.टी. कलैक्शन 1.68 करोड़ हुआ। इसका मुख्य कारण कीमतों में वृद्धि रहा है। 

विभिन्न तरह की योजनाओं के लाभ देकर सरकार खासकर गरीब वर्ग को राहत देने में सफल रही है। नि:शुल्क अनाज, आयुष्मान योजना, आवास योजना व अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मध्यम वर्ग को नहीं मिलता। लेकिन जब सरकार टैक्स बढ़ाती है या महंगाई बढ़ती है तो मध्यम वर्ग  खुद को असहाय महसूस करता है, जिसे लाभार्थी वर्ग की कीमत पर निचोड़ा जा रहा है। मध्यम वर्ग किसी भी देश के रीढ़ की होता है। अध्यापक, डाक्टर व अन्य मैडीकल स्टाफ,  इंजीनियर व कारखाना कर्मी, छोटे व मध्यम व्यापारी, एम.एस.एम.ई. चलाने वाले उद्योगपति, होटलों में काम करने वाले कर्मचारी, आर्किटैक्ट, सी.ए., पत्रकार, किसान आदि। यह वह वर्ग टैक्स के रूप में सरकार को भुगतान करता है। मगर केन्द्र व राज्य सरकारों के लिए यह वर्ग प्राथमिकता नहीं है। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई घटने की कोई संभावना नहीं है। आमदनी व रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे, बल्कि घट रहे हैं, जिससे पहले से जारी बदहाली अब कष्टदायक हुई है। 

एक अनुमान के अनुसार 135 करोड़ की जनसंख्या में से 80 करोड़ को सरकार से करीब 2 वर्ष से नि:शुल्क अनाज एवं अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसका अर्थ यह है कि सरकार ने 80 करोड़ जनसंख्या को गरीब मान लिया है। देश में करीब 10 करोड़ लोग अमीर व उच्च मध्यम वर्ग में आते हैं। वहीं करीब 45 करोड़ निम्न मध्यम वर्ग व मध्यम वर्ग के हैं, जो आज चारों ओर से महंगाई की मार झेल रहे हैं। केंद्रीय बैंक ने जो मौद्रिक उपाय किए हैं, उससे महंगाई तो थमती नजर नहीं आ रही, लेकिन उसकी ज्यादा मार मध्यम वर्ग पर पड़ रही है।-अनिल गुप्ता ‘तरावड़ी’ 

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