किसानों का दर्द : सुखबीर और हरसिमरत के ‘आंसू’

Thursday, Sep 24, 2020 - 02:11 AM (IST)

कृषि अध्यादेश के बिल रूप में पास होते ही शिरोमणि अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य  सुखबीर सिंह बादल ने उसका विरोध करना आरंभ कर दिया और साथ ही उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे, किसान की बेटी होने का दावा करते हुए किसानों के साथ जा खड़े होने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं, सुखबीर सिंह बादल अपनी अहमियत का एहसास करवाने के उद्देश्य से राष्ट्रपति के दर पर भी जा पहुंचे और उनसे मांग की कि वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पास कृषि बिल पर स्वीकृति के दस्तखत न करें, क्योंकि यह कानून किसान विरोधी है। 

इधर सुखबीर सिंह बादल द्वारा इस प्रकार अपना स्टैंड बदले जाने पर राजनीतिक क्षेत्रों में हैरानी प्रकट की जा रही है। उनका कहना है कि कुछ समय पहले तक तो सुखबीर सिंह बादल और उसकी पत्नी हरसिमरत कौर (केंद्रीय मंत्री) इस संबंध में जारी अध्यादेश को किसानों के हित में प्रचारते चले आ रहे थे। ऐसी स्थिति के चलते सुखबीर सिंह बादल का यू-टर्न लेना, राजनीतिज्ञों की ओर से हैरानी पैदा करने वाला माना जाने लगा। उनका कहना है कि कुछ समय पहले तक तो हरसिमरत कौर बादल, जिसने किसान की बेटी और किसानों के साथ खड़़े होने के दावे के साथ मंत्री पद से इस्तीफा दिया है, इन बिलों के प्रावधानों को किसानों के हित में प्रचारती रही हैं। इन्हीं दिनों कुछ ऐसे वीडियो भी वायरल हुए हैं जिनमें प्रकाश सिंह बादल से लेकर हरसिमरत कौर बादल तक ने इन बिलों के प्रावधानों को किसानों के हित में होने का दावा किया है। 

सच्चाई क्या है? : इन्हीं दिनों सुखबीर सिंह बादल के राजनीतिक सचिव और दल के उपाध्यक्ष परमजीत सिंह सिधवां ने दल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए जो पत्र सुखबीर को लिखा है, उसमें अन्य बातों के साथ ही सुखबीर और हरसिमरत की कृषि बिलों के संबंध में अपनाई गई दोगली नीति का खुलासा किया गया है। 

उस पत्र के अनुसार हरसिमरत कौर बादल जून से 14 सितम्बर तक कृषि अध्यादेश के प्रावधानों के पक्ष में खुलकर प्रचार करती रही हैं।  इस उद्देश्य के लिए उन्होंने कई प्रैस कांफ्रैंसें भी कीं। उसमें यह भी लिखा है कि प्रकाश सिंह बादल पर दबाव बना कर उनसे यह बयान दिलवाया गया कि उनके बेटा-बहू सच बोल रहे हैं कि कृषि अध्यादेश किसानों के हित में हैं। उस पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें तो ऐसा  लगता है, जैसे केंद्र से कोई निजी-लाभ लेने के लिए ही इस्तीफे का ड्रामा खेला गया है। हरसिमरत तो अब तक कह रही हैं कि वह खुद नहीं, किसान कृषि बिल के विरुद्ध हैं। 

सिरसा-ढींडसा मुलाकात : बताया गया है कि बीते दिनों दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजिंद्र सिंह सिरसा, अचानक शिरोमणि अकाली दल (डैमोक्रेटिक) के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा से मिलने उनके दिल्ली स्थित निवास जा पहुंचे। बंद कमरे में उनके साथ कुछ पल बिताने के बाद लौट गए। हालांकि स. सिरसा ने इस मुलाकात को औपचारिक बताया है परन्तु राजनीतिज्ञ इसे औपचारिक न मान, राजनीतिक मुलाकात मानते हैं। उनका मानना है कि संभवत: अकाली दल (बादल) में अपने भविष्य को अंधकारमय समझ, किसी रोशनी की तलाश में वह स. ढींडसा के निवास पर गए हों। 

पनीरी की संभाल : शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने बताया कि उनके पिता स. तरलोचन सिंह सरना की ओर से पंथक सेवा और कौमी पनीरी की संभाल के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण योगदान किया जाता रहा, उससे उन्हें जो प्रेरणा मिली है, उससे वह बहुत ही उत्साहित हैं। उसके आधार पर ही उनके भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों ने फैसला किया है कि वे पंथक सेवा करने के साथ ही कौमी पनीरी की संभाल करने और उसका भविष्य संवारने में भी अपने कत्र्तव्य का पालन करेंगे। वे उन सिख बच्चों को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए हरसंभव सहयोग देंगे, जिनकी प्रतिभा आॢथक अभाव के चलते उनके दिल में ही घुटकर दम तोड़ देती है। उन्होंने और बताया कि सिख पंथ में कई प्रतिभाशाली बच्चे हैं, यदि उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए उपयुक्त अवसर और सहयोग मिल जाए तो वे देश और कौम के लिए अति महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

दंगा पीड़ित राहत कमेटी को शिकायत : अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने बताया कि कमेटी की ओर से एक शिकायती पत्र केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सौंपा गया है जिसमें उत्तर प्रदेश में हुए सिख हत्याकांड के पीड़ित परिवारों को अभी तक न्याय न मिल पाने पर दुख प्रकट किया गया है। स.भोगल ने बताया कि इस शिकायती पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री को बताया गया है कि कानपुर में जो हत्याकांड हुआ उसमें 127 से अधिक सिख मारे गए थे, उसकी जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया गया है, जिसका दूसरी बार भी बढ़ाया गया कार्यकाल समाप्त होने को आ रहा है परन्तु उसका कार्य दस कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने बताया कि कानपुर का प्रशासन भी जांच में कोई सहयोग नहीं कर रहा। उनकी मांग है कि जांच में तेजी लाई जाए, पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। गवाहों को उचित सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए। दूसरे राज्यों में जा बसे गवाहों की गवाही वीडियो कांफ्रैंसिंग द्वारा करवाए जाने का प्रबंध किया जाए आदि। 

बाला प्रीतम दवाखाना : दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरुद्वारा बंगला साहिब के बाद अब गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब में ‘बाला प्रीतम दवाखाना’ स्थापित किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव हरमीत सिंह कालका ने बताया कि इसी प्रकार अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों में भी ‘बाला प्रीतम दवाखाने’ स्थापित किए जाएंगे, ताकि दिल्ली के सभी क्षेत्रों के मध्यम वर्गीय एवं आर्थिक रूप से कमजोर परिवार इनका लाभ उठा सकें।  स. कालका ने बताया कि इन दवाखानों में बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों को 70 से 80 प्रतिशत तक कम कीमत पर दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं। 

...और अंत में : दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस आर.एस.  सोढी आजकल बहुत ही निराश और दुखी दिखाई दे रहे हैं। पिछले दिनों जब उनसे फोन पर बात हुई तो उनकी आवाज में बहुत दर्द था। पूछने पर उन्होंने बताया कि सिख धर्म की सर्वोच्च संस्थाएं जिस प्रकार राजनीतिक द्वेष-भावना का शिकार हो धार्मिक क्षेत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भुला, एक-दूसरे का छीछलेदार करने में जुटी हैं,  उसे देख-सुन हृदय चीत्कार कर उठता है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म की हो रही इस हानि के लिए हम दूसरों को दोषी करार देते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इसके लिए मुख्य रूप से हम स्वयं ही दोषी हैं। दूसरे तो हमारी कमजोरियों का लाभ उठा रहे हैं।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 

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