कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण

punjabkesari.in Thursday, Jun 03, 2021 - 05:35 AM (IST)

औपचारिक या अनौपचारिक, सरकारी व गैर-सरकारी कार्यों में लगे पुरुष व महिलाओं द्वारा अपना आचरण व अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ नियम बनाए होते हैं जिनकी पालना करना प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारी का कत्र्तव्य होता है मगर इन नियमों की अवहेलना हर स्तर पर होती ही रहती है तथा कई बार तो इंसानियत की सारी हदें लांघ कर विभाग व संस्था को कलंकित व दागदार बना देती है। 

कार्यस्थलों पर महिलाओं से कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीडऩ की घटनाएं काफी ल बे समय से घटित होती रही हैं जिसका मु य कारण महिलाओं में जागरूकता का अभाव विशेष रूप से जि मेदार रहा है। महिलाओं के साथ क्रूरता व यौन हिंसा की घटनाएं तो उनके जन्म से किसी न किसी रूप में होनी शुरू हो जाती हैं। भ्रूण हत्या, छेडख़ानी, बलात्कार, बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं उनका पीछा उसके कार्यस्थल पर भी नहीं छोड़ती हैं। 

महिला कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ उनके कुछ सीनियर्स (वरिष्ठ अधिकारी) द्वारा किसी न किसी रूप में छेडख़ानी व उनकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाली घटनाएं देखने व सुनने को मिलती रहती हैं। मानो कार्यस्थलों के पेड़ों पर शैतानों के घौंसले आबाद होते दिखाई दे रहे हैं। फरियादें भी तहस-नहस होती दिखाई देती हैं। स्थिति तो उस समय आश्चर्यजनक हो जाती है जब वरिष्ठ अधिकारी जिसने संस्था का संचालन करना होता है तथा वह अपने पद व वरिष्ठता का फायदा उठाकर अपने अधीनस्थ महिला कर्मचारियों का यौन उत्पीडऩ करना शुरू कर देता है। ऐसी घटनाओं के कई कारण हैं जिनका विवरण इस प्रकार से है। 

1. महिलाओं को कलंकित व बदनाम होने का डर बना रहता है तथा वे इसी मजबूरी व शॄमदगी के कारण शिकायत करने से हिचकिचाती रहती हैं।
2. उन्हें अपने अधिकारियों के प्रतिशोध का डर भी बना रहता है जिस कारण वे अपनी जुबान को बंद रखती हैं।
3. ल बी विभागीय न्याय प्रक्रिया के कारण भी उन्हें लगता है कि उन्हें समय पर न्याय नहीं मिलेगा।
4. पुलिस विभाग जैसे संस्थानों में जरूरत से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों का परस्पर रैंक का अंतर तथा कनिष्ठ महिला कर्मचारियों को अपने उच्चाधिकारियों के साथ मिलने की अनुमति न मिलना। 

5. समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा महिला कर्मचारियों के साथ इंटरएक्शन (परस्पर बातचीत) न होना।
6. अनावश्यक रूप से कुछ महिला कर्मचारियों द्वारा अपने अधिकारियों के साथ नजदीकियां बढ़ाना।
यदि पुरुष कर्मचारी किसी महिला को शारीरिक संपर्क के लिए दबाव डालता है या यौन संबंध बनाने का अनुरोध करता है या किसी भी महिला की शारीरिक बनावट, उसके वस्त्रों को लेकर अश्लील टिप्पणियां करता हो, कामुक साहित्य दिखाता हो या फिर मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अश्लील व्यवहार करता हो तब उस कर्मचारी/अधिकारी के विरुद्ध आंतरिक विभागीय कमेटी जिसका गठन प्रत्येक कार्यालय अध्यक्ष को करना कानूनी तौर पर आवश्यक है तथा इस कमेटी द्वारा जांच की जाएगी तथा संबंधित दुराचारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

यहां यह लिखना भी आवश्यक है कि उपरोक्त गाइड लाइन्स को पारित उस समय किया गया था जब एक भांवरी नामक महिला जिसने कि बाल-विवाह रोकने वाली एक विशाखा नामक एन.जी.ओ. की सदस्य होने के नाते राजस्थान में एक उच्च राजपूत जाति के लोगों को बाल विवाह करने से रोका था तथा जिसके कारण उसका 1992 में सामूहिक बलात्कार किया गया तथा पुलिस ने रसूखदार अपराधियों की सहायता करते हुए केस में काफी कमियां छोड़ी थीं तथा वर्ष 1997 में एक पी.आई.एल. की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने उपरोक्त वॢणत विशाखा (एन.जी.ओ. शिकायतकत्र्ता) के नाम से गाइड लाइन्स जारी की थी। 

ऐसी भी महिलाएं हैं जो किसी फैक्टरी, निर्माण कार्य या घरेलू कामकाज में लगी होती हैं तथा उनकी बेबसी का फायदा उठा कर मालिक उन्हें अपनी काम वासना का शिकार बनाते रहते हैं तथा उनकी गरीबी इतनी होती है कि उनके पास  रोजी-रोटी कमाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होता  तथा वे मजबूरी में उत्पीडऩ को सहन  करती रहती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कुछ सुझाव रखे जा रहे हैं।
1. महिला जागरूकता मंच बनाए जाएं।
2. पुरुषों का नजरिया बदलने के लिए समय-समय पर कैप्सूल कोर्स करवाए जाएं।
3. प्रत्येक माह महिला कर्मचारियों के साथ मीटिंग की जाए।
4. उच्चाधिकारियों द्वारा भी महिला कर्मियों से बातचीत करनी चाहिए।
5. शिकायतों का निपटारा तुरन्त किया।
6. न्यायालयों में ल िबत मामलों का प्राथमिकता से निपटारा करना चाहिए ।
7. कार्यालयों के किसी मु य स्थान पर शिकायत पत्र सील बंद पेटी रखनी चाहिए।
8. महिलाओं को भी अपनी मर्यादा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
9. दोषी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा
देनी चाहिए।


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