आर्थिक चुनौतियों से पार पाने के लिए पंजाब का हर जिला बने ‘एक्सपोर्ट हब’
punjabkesari.in Wednesday, Nov 08, 2023 - 05:12 AM (IST)

किसी भी राज्य के आर्थिक विकास में ‘जियोग्राफिकल लोकेशन’ का बहुत महत्व है। इसका उदाहरण 57 साल पहले पंजाब से जन्मे हरियाणा ने पेश किया है जिसकी ज्यादातर जमीन बंजर थी और औद्योगिक विकास न के बराबर था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) के करीब होने का भौगोलिक लाभ हरियाणा को मिला है, जिसके चलते पंजाब कई मायनों में हरियाणा से पिछड़ गया है। औद्योगिक विकास और एक्सपोर्ट के मामले में देश के 10 अव्वल राज्यों में हरियाणा का एक्सपोर्ट कारोबार पंजाब से 5 गुणा अधिक है। समुद्री पोर्ट के नजदीकी राज्यों के लिए दुनिया के बाजार में कारोबार विस्तार करना सस्ता और आसान है, जबकि पंजाब जैसे सीमांत राज्य से एक्सपोर्ट कारोबार में भौगोलिक स्थिति एक बड़ी चुनौती है।
दुर्भाग्य से पंजाब के नीति निर्माताओं ने यहां की भौगोलिक चुनौतियों से पार पाने को प्राथमिकता नहीं दी। चुनौतियों और क्षेत्रीय असमानताओं से निपटने और पूरे राज्य का आर्थिक विकास संतुलित करने के लिए पंजाब के हरेक जिले को ‘एक्सपोर्ट हब’ के रूप में विकसित करने पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। चौथी डिजिटल औद्योगिक क्रांति और ई-कॉमर्स कारोबार के इस युग में भारत जैसे विकासशील देश अमरीका जैसे विकसित देशों को मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सैक्टर उत्पादों की मांग पूरा करने में समर्थ हुए हैं, जिससे एक्सपोर्ट कारोबार के नए अवसर बढ़ रहे हैं। प्रत्येक जिले को एक्सपोर्ट हब बनाने का भारत का लक्ष्य देश के दूर दराज इलाकों के भी अधिक से अधिक जिलों की एक्सपोर्ट कारोबार में भागीदारी सुनिश्चित करना है। देश के कुल 803 जिलों में से केवल 76 का एक्सपोर्ट कारोबार में योगदान है।
एक्सपोर्ट में अव्वल देश के पहले 25 जिलों में पंजाब का एक भी जिला नहीं है, जबकि पहले नम्बर पर गुजरात के 8 जिले हैं, 5 जिलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। पड़ोसी राज्य हरियाणा का एक जिला गुरुग्राम इन 25 जिलों में शामिल है, जबकि कभी भारत का मैनचेस्टर कहा जाने वाला पंजाब का इंडस्ट्रियल हब लुधियाना इनमें शामिल नहीं है।
राज्यों के वर्ष 2022 के एक्सपोर्ट प्रिपेयर्डनैस इंडैक्स (ई.पी.आई.) यानी निर्यात तैयारी सूचकांक में 10वें पायदान पर पंजाब के मुकाबले हरियाणा 5वें स्थान पर है। पंजाब जैसे राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों से पार कारोबार विस्तार का समय आ गया है। पंजाब के प्रत्येक जिले में कुछ खास उत्पादों के एक्सपोर्ट कारोबार की क्षमता है। एक्सपोर्ट हब के रूप में ऐसे जिलों की पहचान से उनकी स्थानीय क्षमता का खुलासा होगा, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, ग्रामीण उद्यमिता व निर्यात बढ़ेगा। समय की मांग है कि ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ तालमेल बैठाते हुए पंजाब के हरेक जिले से एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।
‘आत्मनिर्भर भारत’ का लक्ष्य हासिल करने के लिए स्थानीय उद्योगों में निर्मित वस्तुओं के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके लिए भारत के कई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमैंट (एफ.टी.ए.) हुए हैं, जिससे दुनिया के अधिक बाजारों तक भारत की पहुंच बढ़ेगी और देश की जी.डी.पी. में एक्सपोर्ट कारोबार का मौजूदा 22.74 प्रतिशत योगदान भी बढ़ेगा। नई विदेश व्यापार नीति भी अधिक से अधिक जिलों को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित कर विदेशी व्यापार बढ़ाने का समर्थन करती है। इस रणनीतिक पहल का मकसद सभी जिलों में संभावित निर्यात उत्पादों और सेवाओं की पहचान कर उन्हें बढ़ावा देना है। ‘डिस्ट्रिक्ट्स ऐका एक्सपोर्ट हब’ पहल के तहत एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंफ्र्रास्ट्रक्चर तैयार करना, निर्यात प्रोत्साहन के लिए ‘आऊटरीच’ कार्यक्रम और लॉजिस्टिक्स बाधाएं दूर करने के लिए तमाम सरकारी योजनाओं को एकजुट किया जाना है। उम्मीद है कि यह रणनीतिक पहल सुनिश्चित करेगी कि विदेशी व्यापार के लिए भारत की क्षमता को वैश्विक बाजार में कैसे आगे बढ़ाया जाए।
यह जरूरी है : एक्सपोर्ट कारोबार में मालभाड़े की लागत व आवाजाही का समय घटाने के लिए पंजाब के रास्ते पाकिस्तान और खाड़ी देशों, यूरोप और अमरीका तक दोतरफा कारोबार की राह खोली जा सकती है। केंद्र व राज्य की नीतियों के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए राज्य में ‘डायरैक्टोरेट ऑफ एक्सपोर्ट’ स्थापित करना जरूरी है। समय पर वस्तुओं की डिलीवरी के लिए निर्यातकों को उनकी व्यावसायिक जरूरतों के मुताबिक ‘शिपमैंट मोड’ चुनने की अनुमति हो। वैश्विक ग्राहकों तक माल भेजने के लिए चीन ने पहले से ही एक कुशल और निर्बाध लॉजिस्टिक्स प्रणाली लागू की है, जिसे भारत भी लागू कर सकता है।
कॉमर्स शिपमैंट के लिए अलग कस्टम कोड बनाए जाएं। इससे न केवल लागत कम होगी, बल्कि वापस हुई वस्तुओं को इंपोर्ट डयूटी मुक्त करने से माल डिलीवरी में भी तेजी आएगी। इंजीनियरिंग सामान, कैमिकल, टैलीकॉम उपकरण और प्रोसैस्ड फूड जैसे उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक बाजार की खुफिया जानकारी विकसित करने, एम.ए.एस.एम.ई. के लिए ट्रेनिंग और निर्यात ऑर्डर की सप्लाई आसान बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
किसानों और एम.एस.एम.ई. को विदेशी बाजारों में निर्यात से लाभ उठाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से ‘एक्सपोर्ट हब’ कारगर साबित हो सकते हैं।
आगे की राह : दुनिया के एक्सपोर्ट बाजार में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2 प्रतिशत है। इसे बढ़ाने के लिए ‘डिस्ट्रिक एक्सपोर्ट हब’ की पहल प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है। हालांकि स्टेट और डिस्ट्रिक एक्सपोर्ट प्रमोशन कमेटियां बनाई गई हैं, परन्तु वे वैश्विक बाजारों की जानकारी, उत्पादों के गुणवत्ता मानकों में सुधार और इंटरनैशनल सर्टिफिकेशन आसान करने जैसी निर्यात गतिविधियों पर प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही हैं। आर्थिक विकास व रोजगार के अवसर पूरे राज्य में एक समान बढ़ाने के लिए ‘डिस्ट्रिक एक्सपोर्ट एक्शन प्लान’ को लागू करने की जरूरत है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)