चीन को लेकर असमंजस में यूरोप

Saturday, Mar 23, 2019 - 04:42 AM (IST)

जो लोग अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प की बेकार नीति से सहमत नहीं हैं वे भी यह मानते हैं कि चीन की हड़पने की नीति संबंधी ट्रम्प की बात में दम है। पिछले सप्ताह उन्हें यूरोपियन यूनियन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट से बल मिला जिसमें चीन को एक ‘आर्थिक प्रतिद्वंद्वी’ तथा सिस्टेमैटिक राजनीतिक विरोधी कहा गया है। इस कड़ी शब्दावली का प्रयोग उस क्षेत्र द्वारा किया गया जो कभी चीन को एक सहयोगी और अमरीका के विकल्प के तौर पर देखता था। 

चीन की सैन्य महत्वाकांक्षा
यूरोप में इस धारणा को बल मिल रहा है कि चीन की ओर से प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों के बीच संतुलन बदल गया है। यह बात यूरोपियन कमीशन की ओर से जारी रिपोर्ट में कही गई है। इस रिपोर्ट में बीजिंग की कार्पोरेट रियायतों और बंद बाजार की बात करते हुए उसकी सैन्य महत्वाकांक्षा की ओर इशारा किया गया है जो ई.यू. के लिए सुरक्षा संबंधी मसले पैदा कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग के विदेशी निवेश का परिणाम भारी देनदारी और रणनीतिक सम्पत्तियों व साधनों पर नियंत्रण के रूप में सामने आ सकता है। रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए गए हैं। आयोग ने कहा है कि वह इस बात की पहचान करेगा कि ई.यू. के कानून में क्या संशोधन किए जाएं ताकि चीन की अनुचित प्रतियोगिता से निपटा जा सके। इसमें कहा गया है कि व्यापारिक बातचीत के दौरान ई.यू. जबरन तकनीकी हस्तांतरण को समाप्त करने पर जोर दे। 

5जी नैटवर्क का मामला 
यह पेपर 5जी नैटवर्क की सुरक्षा के लिए ई.यू. द्वारा एक समान रवैया अपनाने का भी वायदा करता है। चीन की हुवावेई ने इस अगली पीढ़ी के टैलीकाम नैटवर्क के लिए जबरदस्त बोली लगाई है लेकिन कमीशन की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि ई.यू. का इरादा क्या है। अमरीका हुवावेई पर ई.यू. प्रतिबंध के लिए प्रयासरत रहा है। लेकिन अकेले तौर पर कई देश उक्त रवैए का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें सबूत पर विश्वास नहीं है अथवा उनके पास हुवावेई द्वारा पेश की गई कीमत के मुकाबले अन्य कोई बेहतर विकल्प नहीं है। यह रिपोर्ट शी जिनपिंग के ई.यू.-चीन शिखर सम्मेलन से पहले यूरोप दौरे की पूर्व संध्या पर आई है। यह तय है कि उनका मकसद हुवावेई को बढ़त दिलाना भी है। 

इटली पहुंचे शी जिनपिंग का भव्य स्वागत हुआ क्योंकि इटली चीन से बड़ी आर्थिक मदद चाहता है। इस दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। इस दौरान इटली ने बीजिंग के बैल्ट एंड रोड प्रोजैक्ट का भी समर्थन किया है। चीन की इस योजना का मकसद आधारभूत ढांचे को धन उपलब्ध करवा कर अपने आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाना है। इटली के नेता चीनी बाजार में अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं। उनका तर्क है कि दक्षिण यूरोपियन इकोनमी को लोक निर्माण में अधिक निवेश की जरूरत है तथा आलोचक ढोंग कर रहे हैं। जर्मनी के रेल उद्योग को भी चीनी निवेश से काफी बढ़ावा मिला है और जर्मनी शहर ड्यूसबर्ग बीजिंग की सहायता से नए सिल्क रोड में काफी महत्वपूर्ण हो गया है। 

यूरोप को सतर्क रहना होगा 
नई यूरोपियन रिपोर्ट चीन की रणनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं  के प्रति आगाह करने वाली है, जो यह बताती है कि उसका उद्देश्य सिर्फ पश्चिमी अर्थव्यवस्था से लाभ उठाना भर नहीं है। यदि चीन को ऐसा करने की इजाजत दी जाती है तो वह वैश्विक बाजार में अपना दबदबा कायम करने के लिए लालची शक्ति की तरह व्यवहार कर सकता है। ऐसी स्थिति में यूरोप अमरीका और जापान के साथ  मिलकर चीन को इस बात के लिए मजबूर कर सकता है कि वह नियमों के तहत काम करे अथवा आर्थिक और राजनीतिक कीमत चुकाने के लिए तैयार रहे। 

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