या तो सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होंगी या लोगों को सरकार

punjabkesari.in Sunday, Sep 17, 2023 - 04:18 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक निपुण शो मैन हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में मोदी आत्मविश्वासी और सहज लग रहे थे। उनके पास एक टीम है जो उनके बोलने के नोट्स को सावधानीपूर्वक तैयार करती है ताकि कोई भी गलत शब्द न बोला जाए। वह जानते हैं कि अपने किसी भी मंत्री को एक इंच भी जगह दिए बिना कैमरे के फ्रेम पर कैसे कब्जा करना है। 

माननीय प्रधानमंत्री ने, जैसे कि उनकी आदत है, मीडिया को दूर रखा। उन्होंने न केवल खुद को मीडिया से अलग रखा बल्कि उनकी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उत्सुक पत्रकारों से कोई सवाल न लें। अमरीकी प्रतिनिधिमंडल इतना निराश था कि उन्होंने यह बता दिया कि बाइडेन अपने अगले पड़ाव वियतनाम में जी-20 बैठक के सवालों के जवाब देंगे। 

चकाचौंध शैली : पैसों की कोई बाधा नहीं थी। पूरी दिल्ली में पुन:निर्मित सड़कें, पेड़, गमले, घास, रोशनी, मूर्तियां और होर्डिंग्स सामने आए। सजावट एक शहर के लिए पर्याप्त से अधिक थी। हम कुछ अप्रयुक्त सामग्री को अगले स्थल रियो डी जनेरियो में पेश कर सकते हैं। हर तरफ एक ही चेहरा था यहां तक कि दौरे पर आए नेताओं को किसी भी बिल बोर्ड में रत्ती भर भी जगह नहीं दी गई। 

कुछ पदार्थ : सभी विज्ञप्तियों की तरह, दिल्ली घोषणा में भी कुछ ऊंची घोषणाएं थीं, उदाहरण, ‘‘हम इतिहास के एक निर्णायक क्षण में मिलते हैं जहां हम जो निर्णय लेते हैं वह हमारे लोगों और हमारे ग्रह का भविष्य निर्धारित करेंगे।’’ मुझे यकीन है कि पिछले नेताओं के शिखर सम्मेलन में इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया था और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगली बैठक में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा। 

सकारात्मक परिणाम थे : यूक्रेन में युद्ध का वर्णन करने के लिए सही शब्द ढूंढना, बिना यह कहे कि यह यूक्रेन पर युद्ध था। रूस और संयुक्त राज्य अमरीका और उसके सहयोगियों ने इस फार्मूलेशन को स्वीकार पाया। यह एक बड़ी उपलब्धि थी। शायद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति से मदद मिली। मुझे यह आभास हुआ कि हर कोई यूक्रेन को रास्ते से हटाना चाहता था ताकि वे अधिक मुद्दों को संबोधित करने का काम कर सकें जोकि जी-20 का अधिकार है। डब्ल्यू.टी.ओ. के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए सभी के लिए एक अनुकूल व्यापार और निवेश के माहौल को बढ़ावा देने के लिए और 2024 तक सभी सदस्यों के लिए एक पूर्ण और अच्छी तरह से काम करने वाली विवाद निपटान प्रणाली को बढ़ावा देना। 

विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक और प्रेरक न्गोजी इवेला की उपस्थिति ने कुछ परिणामों को सुनिश्चित किया होगा जैसे श्रम बल भागीदारी में अंतर को कम करने, रोजगार के अवसरों तक समावेशी पहुंच को सक्षम करना, लिंग वेतन अंतर को बंद करना, महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा, उत्पीडऩ, भेदभाव और दुव्र्यवहार सहित लिंग आधारित हिंसा को खत्म करना, सुरक्षित कार्य स्थानों को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना और लैंगिक असमानता को कायम रखने वाली लैंगिक रूढि़वादिता और पूर्वाग्रहों को खत्म करना इत्यादि। इसके अलावा नस्लवाद, असहनशीलता के अन्य रूपों के आधार पर या धर्म या फिर विश्वास के नाम पर आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की ङ्क्षनदा करना और शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को पहचानने पर भी चर्चा हुई। 34 पृष्ठों और 83 पैराग्राफों की घोषणा, कुल मिलाकर पिछले निष्कर्षों का चल रही पहलों का समर्थन थी। 

फिसलन भरी बर्फ : भारत ने दावा किया और मीडिया ने ईमानदारी से रिपोॄटग की कि उसने जी-20 देशों के बीच एक प्रमुख दर्जा हासिल कर लिया है और 2023 में भारत की अध्यक्षता एक ऐतिहासिक घटना थी। भारत ने यह भी दावा किया कि यह ऊर्जा उसके असाधारण, आर्थिक प्रदर्शन और प्रधानमंत्री के नेतृत्व के कारण थी। हर कोई जानता है कि जी-20 की अध्यक्षता प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से या विजेता पद की दौड़ में नहीं जीती जाती है। अध्यक्ष पद चक्रानुक्रम से चलता है। इसके बाद ब्राजील (2024) होगा। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका (2025) होगा और 2026 में अमरीका के साथ एक नया चक्र शुरू होगा। 

इसके अतिरिक्त पिछले 9 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन असाधारण नहीं रहा है। भारत की विकास दर मध्यम (औसतन 5.7 प्रतिशत) रही है। पिं्रसटन यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफैसर डा. अशोक मोदी सहित अन्य लोगों ने भी रिपोर्ट की गई वृद्धि संख्या की आलोचना की है। उन्होंने बताया है कि 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत की रिपोर्ट की गई वृद्धि ‘उत्पादन से आय’ पर आधारित थी। जबकि खर्च पक्ष में वृद्धि केवल 1.4 प्रतिशत थी और विसंगति की व्याख्या नहीं की गई थी। 

हमें प्रो. मोदी के निष्कर्ष को स्वीकार करने की जरूरत नहीं है लेकिन धीमी वृद्धि, बढ़ती असमानताओं और नौकरी की कमी के बारे में उनकी टिप्पणियां निॢववाद हैं। वर्तमान में भारत जी-20 के समूह में शीर्ष पर भी नहीं है। यह प्रति व्यक्ति आय, मानव विकास सूचकांक, श्रम बल भागीदारी दल (एल.एफ.पी.आर.), वैश्विक भूख, सूचकांक और कुछ अन्य मापदंडों के मामले में सबसे नीचे है। मुझे उम्मीद है कि भारत जी-20 में बाद पर अमल करेगा और शीर्ष पर पहुंचेगा।-पी. चिदम्बरम


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