विशेष आर्थिक क्षेत्र को उभारने का प्रयास

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2022 - 05:46 AM (IST)

इस साल अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस.ई.जैड.) अधिनियम को एक नए कानून से बदला जाएगा जो राज्य को उद्यम और सेवा केंद्रों के विकास (डी.ई.एस.एच.) में भागीदार बनने में सक्षम बनाएगा और वह ये सभी मौजूदा और नए औद्योगिक परिक्षेत्र को कवर करेगा ताकि उपलब्ध बुनियादी ढांचे का बेहतर ढंग से उपयोग किया जा सके और निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई जा सके। अब वाणिज्य मंत्रालय ने डी.ई.एस.एच. विधेयक का मसौदा एस.ई.जैड. ईकाइयों और एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स को उनकी टिप्पणियों के लिए भेजा है। देश बिल आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है। 

अनिवार्य रूप से मसौदा डी.ई.एस.एच. विधेयक एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स और एस.ई.जैड. इकाइयों को उनके व्यावसायिक निर्णयों के परिणामों से उभारने का प्रयास करता है जो गलत हो गए हैं और निर्यात प्रदर्शन से कर रियायतों को अलग करते हैं। उक्त विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह सुझाव दिया जा सके कि यह निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में योगदान देगा। कुछ एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स विशेष रूप से जो सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) क्षेत्र में इकाइयों के लिए उपयुक्त सुविधाओं का निर्माण करते हैं, ने एस.ई.जैड. इकाइयों की स्थापना करने वाले उद्यमियों की मांग से कहीं अधिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। इससे न केवल उनके द्वारा अनुमानित मांग पूरी नहीं हुई बल्कि कुछ स्थापित एस.ई.जैड. इकाइयों ने एस.ई.जैड. को छोड़ कर घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डी.टी.ए.) में जाने का विकल्प चुना। 

इसमें ऐसे एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स को अपर्युक्त स्थान भूमि के साथ-साथ निर्मित क्षेत्र के साथ छोड़ दिया है। एस.ई.जैड. डिवैल्पर्स अधिसूचित एस.ई.जैड. क्षेत्रों में निष्क्रिय स्थान के लिए एस.ई.जैड. इकाइयों को आयकर रियायतों को वापस लेने का आरोप लगाते हैं। इसलिए सरकार ने एस.ई.जैड. में गैर-सन्निहित स्थानों को भी आंशिक रूप से डी-नोटीफिकेशन की अनुमति देकर उनकी मदद करने का फैसला किया है। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जहां एक ही एस.ई.जैड. परिसर या इमारत में आसपास की इकाइयां या फ्लैट भी अलग-अलग कर छूट को आकर्षित करते हैं। वित्त मंत्रालय को सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए कि क्या इस तरह की व्यवस्था से अराजक स्थिति पैदा होगी? 

वर्तमान में एस.ई.जैड. इकाइयों को कुछ कर कानूनों के उद्देश्य से देश से बाहर स्थित माना जाता है। इसलिए उन्हें सीमा शुल्क या माल और सेवाकर (जी.एस.टी.) के भुगतान के बिना जो कुछ भी चाहिए उसे आयात करने की अनुमति है। डी.टी.ए. से एस.ई.जैड. को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति जी.एस.टी. कानूनों के तहत निर्यात के बराबर शून्य दर पर है और शुल्क वापसी जैसे निर्यात प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं। इसके विपरीत एस.ई.जैड. से डी.टी.ए. को आपूर्ति के आयात के रूप में माना जाता है और यह भौतिक या गैर भौतिक आयात के बराबर सीमा शुल्क और जी.एस.टी. को आकॢषत करता है। डी.ई.एस.एच. विधेयक के मसौदे में यह परिकल्पना की गई है कि अधिसूचित क्षेत्रों में स्थित इकाइयां केवल माल बनाने के लिए उपयोग किए गए इनपुट पर शुल्क के भुगतान पर डी.टी.ए. को माल की आपूर्ति कर सकती हैैं। 

इस प्रकार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) में एक विवाद समाधान पैनल ने एस.ई.जैड. योजना को कुछ बहुपक्षीय समझौतों के विषयों के साथ असंगत बताया था क्योंकि कर रियायतें निर्यात प्रदर्शन से जुड़ी हुई हैं इसलिए नए डी.ई.एस.एच. कानून डी.ई.एस.एच. ‘इकाइयों’ द्वारा सकारात्मक शुद्ध विदेशी मुद्रा की आवश्यकता को दूर करने का इरादा रखते हैं। डी.ई.एस.एच. विधेयक के मसौदे में कई अन्य परिवर्तन प्रस्तावित हैं, मुख्य रूप से विभिन्न नामकरणों का उपयोग करने के लिए। उदाहरण के तौर पर विकास आयुक्त को हब निदेशक के रूप में फिर से नामित किया जाएगा और इस तरह के बदलावों का कोई सार्थक परिणाम होने की संभावना नहीं है।-टी.एन.सी.राजगोपालन


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