पंजाब में भाषा सुधारों के लिए प्रयासों की जरूरत

Friday, May 20, 2022 - 05:19 AM (IST)

पंजाब में अक्सर यह कहा जाता है कि शिक्षा मंत्री बनना कांटों का ताज पहनने के बराबर है। चाहे कोई भी सरकार हो तथा कोई भी समय हो शिक्षा मंत्री को शिक्षक घेरते ही हैं और काम करने का अवसर ही नहीं देते। जब भगवंत मान की सरकार बनी तो मीत हेयर को पंजाब का शिक्षा मंत्री बनाया गया। महीना भर अच्छा निकल गया। शिक्षक शांत रहे। मीत हेयर युवा है और ठंडे स्वभाव का होने के कारण शिक्षक वर्ग की बात ध्यान से सुनता है। उसके पिता चमकौर सिंह भी मास्टर रहे हैं। 

शिक्षक वर्ग को भी यह बात अच्छी लग रही थी कि उनका मंत्री उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपना रहा है। मगर जल्दी ही यह सब कुछ इधर से उधर और उधर से इधर होता लगने लगा है जब शिक्षकों के धरने उसके घर के आगे लगने शुरू हो गए। यह कोई नई बात नहीं थी और यह होना ही था।

मीत हेयर के पास केवल शिक्षा का ही महकमा नहीं बल्कि राज्य की भाषा पंजाबी का गौरवपूर्ण महकमा होने के कारण अन्य काम भी करने वाले पड़े हैं, मगर मैंने देखा है कि उसे काम नहीं करने दिया जा रहा। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य में शिक्षा सुधारों के लिए मीत हेयर को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं और दिल्ली की शिक्षा प्रणाली भी मुख्यमंत्री साहिब तथा मीत हेयर देख आए हैं। वैसा ही पंजाब में करने बारे भी सोचा जा रहा है। खैर! 

भाषा का मुद्दा : मैंने देखा कि मीत हेयर बड़ी ठेठ पंजाबी बोलता है, शुद्ध संगरूरी पंजाबी। कभी-कभी अच्छी किताब हाथ लग जाए तो पढऩे का आनंद उठाता है। एक दिन काफी समय इकट्ठे बैठे तो मैंने एक लेखक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी समझते हुए मीत हेयर को उसके अधीन आते भाषा विभाग बारे काफी कुछ अपडेट किया। भाषा विभाग का गौरवशाली इतिहास भी बताया तथा मौजूदा डावांडोल स्थिति के बारे में। यह भी बताया कि भाषा विभाग का मंत्री होना अपने आप में एक गौरवशाली सौभाग्य है। भाषा किसी भी प्रांत की रीढ़ की हड्डी होती है जो ऐसे ही कमजोर पड़ गई तो राज्य में भाषा बचेगी कैसे? 

मैं और मीत बातें कर रहे थे तो बातों-बातों में यह महसूस हुआ कि पंजाब के भाषा विभाग की इस समय बदत्तर हो चुकी हालत बारे उसे पहले ही पता है और वह काफी ङ्क्षचतित भी है मगर शिक्षा विभाग के अनगिनत अनसुलझे बखेड़े सांस लेने दें तो ही वह भाषा विभाग बारे सोचेगा। यहां यह बात दरकिनार करने वाली नहीं है कि चरणजीत सिंह चन्नी की कैबिनेट में परगट सिंह को शिक्षा मंत्री होने के साथ-साथ भाषा विभाग भी मिला था और लगभग 100 दिन काम करके परगट सिंह भाषा विभाग के लिए कुछ अच्छे कार्य भी कर गए। उनके बड़े कार्यों में लैक्चरार लेखकों तथा कवियों को डैपुटेशन पर भाषा विभाग के जिलों में खाली पड़े जिला भाषा अधिकारियों के कार्यालयों में तैनात करना था। 

अब जिला भाषा अधिकारियों के कार्यालयों में काम ने भी रफ्तार पकड़ी है और रौनकें भी लगने लगी हैं लेकिन फिर भी पंजाब में भाषा सुधारों के लिए जरूरी प्रयासों की अत्यंत जरूरत है और हम भाषा मंत्री का साथ तथा सहयोग देने के लिए तैयार हैं। इस समय पंजाब के भाषा विभाग का डायरैक्टर ही नहीं लगाया गया जो विभाग में से ही तरक्की लेकर लगाना होता है। बकाया पड़े कार्यों की सूची बहुत लम्बी है। पंजाब के लेखक, भाषा प्रेमी तथा भाषा से जुड़ी संस्थाएं भाषा मंत्री मीत हेयर की ओर से पंजाबी भाषा के प्रति अच्छे तथा नेक कदमों की प्रतीक्षा में हैं।-मेरा डायरीनामा निंदर घुगियाणवी  
 

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