मांग न होने से दबाव में है अर्थव्यवस्था

Thursday, Nov 02, 2017 - 02:12 AM (IST)

केन्द्र सरकार के लिए विश्व बैंक की एक रिपोर्ट सुकून की खबर लाई है। इसके मुताबिक कारोबार करने की सहूलियत के मामले में भारत की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार हुआ है। विश्व बैंक की ओर से जारी पिछले साल के 130वें रैंकिंग के मुकाबले इस साल भारत की रैंकिंग 100 पर पहुंच गई है। विश्व बैंक ने इस साल के आकलन में भारत को कारोबार करने के माहौल में सुधार करने वाले शीर्ष 10 देशों में रखा है। यह आकलन 10 बिन्दुओं के आधार पर किया गया है और रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने इन 10 बिन्दुओं में से 8 में सुधार किया है। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस साल भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने इतना महत्वपूर्ण बदलाव कर दिखाया है। भारत ने साल 2003 से अभी तक 37 सुधार किए हैं। इनमें से करीब आधे सुधार पिछले 4 सालों में किए गए हैं। इस रिपोर्ट में 190 देशों में 2 जून, 2016 से लेकर 1 जून, 2017 की अवधि में किए गए सुधार शामिल हैं। यह अध्ययन सिर्फ देश के बड़े शहरों में किया गया है। इन शहरों में कारोबार शुरू करना, कंस्ट्रक्शन परमिट लेना, ऋण उपलब्धता, अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, टैक्स का भुगतान, सीमा पार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवालिएपन के समाधान जैसे संकेतकों में सुधार हुआ है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, ऋण और बिजली की उपलब्धता के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत अल्पसंख्यक निवेश की सुरक्षा में विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। साथ ही भारत में बिजली कनैक्शन मिलने का समय 4 साल पहले के 138 दिनों से घटकर 45 दिन रह गया है। विश्व बैंक की रिपोर्ट की कई बातें सही हैं। कारोबार को बढ़ावा देने के लिए पैन और टैक्स नंबर को आपस में इंटीग्रेट करना अच्छा कदम है। इसी तरह कंस्ट्रक्शन परमिट को आसान किया गया है। सरकार ने निश्चित रूप से सुधार किए हैं। विश्व बैंक का अध्ययन सही है, लेकिन रैंकिंग में सुधार के साथ-साथ 3-4 जगह रैंकिंग घटी भी है। 

बिजली में रैंक 26 से 29 हो गया। इसी तरह सीमा पार व्यापार में रैंकिंग 143 से 146 हो गई है और कारोबार शुरू करने में 155 से 156 हो गई है। इनमें जो सबसे प्रमुख है वह है ‘एंफोॄसग कांट्रैक्ट’, जो अपने देश में बिजनैस के लिए सबसे बड़ी समस्या है, आज अगर कोई कारोबार के लिए अनुबंध करता है और दूसरा व्यक्ति उससे मुकर जाता है या धोखा देता है तो हम उसे नियंत्रित नहीं कर पाते, इस मामले में मामूली सुधार हुआ है। इस बिन्दु पर 190 देशों में हम 172वें नंबर पर थे और सुधर कर 164 पर आए हैं। आम आदमी और छोटे बिजनैस करने वालों के लिए वांछित सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा वहीं, बड़े कारोबार में भी मौलिक मुद्दों पर सुधार नहीं हुआ है। अब अगर विदेशी निवेशकों की बात करें तो वे पहले भी कारोबार के लिए रास्ता निकाल लेते थे जब भारत की रैंकिंग खराब थी, तब भी निवेश आता रहा है। कटु सत्य यह भी है कि अगर रैंकिंग सुधर रही है तो एफ.डी.आई. कम क्यों आ रही है? 

इसके पीछे ठोस कारण  यह है कि देश के बाजार में मांग नहीं है और नीतिगत स्तर पर मांग पैदा करने का कोई उपाय नहीं हुआ है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा में सुधार हुआ है लेकिन इसका छोटे कारोबार से क्या लेना-देना है? उनके लिए तो अनुबंध का लागू होना सबसे जरूरी है। पहले हमें अनुबंध लागू करवाने में 1420 दिन लगते थे, जो अब बढ़कर 1445 हो गए हैं यानी हम पिछड़ते जा रहे हैं। एक नया कारोबार शुरू करने के लिए कितनी घूस देनी पड़ती है, इसमें जमीनी सुधार नहीं हुआ है, सरकार को निवेश में बढ़ौतरी के मामले में चिंतित होना होगा क्योंकि देश में मांग ही नहीं है कोई भी निवेश बिना मांग के नहीं आता है। सरकार ने जी.एस.टी. और नोटबंदी से देश की आय को बाहर भेजना चालू कर दिया क्योंकि इसके बाद सोने की खरीद दोगुनी हो गई है। अब धन बाहर जा रहा है तो यहां मांग कैसे बढ़ेगी? इसके बावजूद आर्थिक सुधारों के मामले में सरकार की स्थिति संतोषजनक है।-डा. वरिन्द्र भाटिया

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