पंजाब की सीमा पर जल, जमीन तथा रेल के माध्यम से होता है ‘ड्रग्स’ का कारोबार

Sunday, Jan 20, 2019 - 04:43 AM (IST)

अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर कानून लागू करने वाले अधिकारियों ने बताया कि कैसे भारत-पाकिस्तान की 550 किलोमीटर लम्बी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के आर-पार ड्रग्स की तस्करी होती है। 80 के दशक के अंतिम दिनों में क्षेत्र को हथियारों तथा सोने की तस्करी के लिए जाना जाता था। हालांकि अब तस्कर हैरोइन तथा अन्य नशीली दवाओं की तस्करी पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। यह समस्या पंजाब के सीमांत जिलों में अधिक उग्र है जिनमें पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर, अमृतसर तथा गुरदासपुर शामिल हैं। ये राज्य के कुछ सर्वाधिक प्रभावित जिलों में से हैं। 

भारत की पंजाब के साथ लगती सीमा की अपनी ही एक दिलचस्प कहानी है। भारत की ओर की सीमा पर बाड़ लगाई गई है। बाड़ वाली सीमा से आगे खेत हैं, जो भारतीय किसानों के हैं। इसलिए सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) सुबह के समय सीमा के दूसरी ओर प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने की इजाजत देता है। अपने काम करके किसान शाम को वापस लौट आते हैं। 

किसान बनते हैं वाहक  
ये किसान तथा अन्य सभी वे लोग जो भारतीय सीमा के बाड़ वाले क्षेत्र को पार करते हैं, वे सीमा के दूसरी ओर पाकिस्तानी ड्रग तस्करों के लिए प्रभावशील बन जाते हैं। पाकिस्तानी सीमा पर बाड़  नहीं लगी है इसलिए यह ड्रग तस्करों के लिए खुली है, जो आमतौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजैंसियों के साथ मौन सहमति से काम करते हुए भारतीय किसानों को अपने वाहक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। चारे के तौर पर ये तस्कर जाली करंसी का इस्तेमाल करते हैं। 

सर्दियों का समय अधिक घातक
पहले पंजाब सीमा पुलिस के साथ काम कर चुके एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह समस्या सर्दियों के समय और अधिक घातक हो जाती है जब दृश्यता बहुत कम होती है, यहां तक कि एक फुट से दूर देखना भी मुश्किल होता है। इसी समय के दौरान सीमा पर काम करने वाले माफिया भारतीय तस्करों के साथ सांठगांठ करके सीमा पर तैनात बी.एस.एफ. सैनिकों की नजर से बच कर निकल जाते हैं। सीमा के दूसरी ओर जाना सुविधाजनक बनाने के लिए तस्कर सुरंगें बनाते हैं। 

अधिकारियों ने स्वीकार किया कि 550 कि.मी. लम्बी सीमा के साथ हर स्थान पर किसी व्यक्ति को निगरानी पर लगाना कठिन है। मानसून सीजन के दौरान ड्रग्स की तस्करी के लिए तस्कर नदी मार्गों का इस्तेमाल करते हैं। रावी, सतलुज तथा ब्यास की तेज धाराएं उन्हें नावों के नीचे ड्रग्स के पैकेट बांधने के सक्षम बनाती हैं, जो अधिकारियों की नजर में नहीं आते। सीमा के पार ड्रग्स पहुंचाने के लिए समझौता एक्सप्रैस का भी इस्तेमाल किया जाता है। ड्रग नियंत्रण अभियानों का भेद जानने वाले अधिकारियों ने बताया कि यह चूहे-बिल्ली की दौड़ है जो स्मगलरों तथा कानून लागू करने वाली एजैंसियों के बीच चलती रहती है। 

प्रमुख संचालक यू.ए.ई., दुबई में स्थित
नशीली दवाओं अथवा ड्रग्स के प्रमुख संचालक संयुक्त अरब अमीरात तथा दुबई में स्थित हैं। जो लोग यहां संचालन करते हैं वे महज वाहक अथवा सुविधा उपलब्ध करवाने वाले होते हैं, जो मुख्य तौर पर पंजाब के सीमांत जिलों के होते हैं। बी.एस.एफ. जैसी कानून लागू करने वाली एजैंसियों ने ऐसी सीमा पार गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत की सारी सीमा की कांटेदार तार के साथ सुरक्षा की जाती है। तस्करों को रात में पकडऩे के लिए वहां फ्लड लाइट्स तथा थर्मल इमेजिंग डिवाइसिज लगाए गए हैं। सीमा के साथ प्रत्येक किलोमीटर पर बी.एस.एफ. की चौबीसों घंटे निगरानी रहती है। 

हैरोइन अफगानिस्तान से आती है और परिशोधित रूप में पाकिस्तान में प्रवेश करती है। पाकिस्तान से पंजाब की सीमा से होते हुए हैरोइन को दिल्ली, मुम्बई तथा दक्षिण भारत में भेजा जाता है। भारत पारगमन बिन्दू के तौर पर कार्य करता है। यहां से हैरोइन की आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, चीन, यूरोप, श्रीलंका तथा अफ्रीका को तस्करी की जाती है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक अवैध व्यापार सुविधा केन्द्र स्थापित है।-के. वैद्य

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