न सोचें कि मोदी नहीं तो कौन? देश चलता है!

Saturday, Apr 20, 2019 - 04:58 AM (IST)

बहुत से लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि अगला प्रधानमंत्री कौन? वे यह भी कह रहे हैं कि पांच साल पहले आपने ही भविष्यवाणी की थी कि अगले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही होंगे। यह आपने तालकटोरा स्टेडियम की सभा में कहा था और यह भी कहा था कि भारत के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि वर्तमान प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को पता है कि अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा? तब तक बने किसी भी प्रधानमंत्री को यह पता नहीं था कि उसका उत्तराधिकारी कौन होगा? 

यह बात मैंने मंच पर उपस्थित बाबा रामदेव, नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेतली आदि के सामने कही थी। मैंने यह बात अपने इतिहास बोध के आधार पर कही थी। 1964 में जिस दिन नेहरू जी का निधन हुआ, मैं उसी दिन सुबह इंदौर से दिल्ली आया था। सारी दिल्ली सुन्न पड़ गई थी। सब लोग ‘नेहरू के बाद कौन’, इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे थे। जनवरी 1966 में शास्त्री जी को श्रद्धांजलि देने मैं जब 10, जनपथ गया तो कांग्रेसी नेता लोग वहां एक-दूसरे से यही सवाल पूछ रहे थे कि शास्त्री जी के बाद अब कौन? 

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के दौरान मैं न्यूयार्क जाता हवाई जहाज में बैठा था। जहाज में भी लोग वही सवाल पूछ रहे थे लेकिन नेहरू जी और इंदिरा जी ही नहीं, लगभग सभी प्रधानमंत्रियों के दौरान यही सवाल पूछा जाता है। यह सवाल आज भी पूछा जा रहा है हालांकि यह चुनाव भारत का प्रधानमंत्री चुनने का नहीं, संसद चुनने का है। जिस दल का बहुमत होगा, उसी का नेता प्रधानमंत्री बनेगा। 

लोग पूछ रहे हैं कि यदि भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो कौन प्रधानमंत्री बनेगा? ऐसी हालत में मोदी शायद खुद ही अपना इस्तीफा बढ़ा दें। किसी स्वाभिमानी और उत्तम नेता का यही कत्र्तव्य है। भाजपा में सुयोग्य प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओं की कोई कमी नहीं है। यदि भाजपा अन्य दलों से गठबंधन करके सरकार न बना पाए, जिसकी संभावना कम ही है तो विरोधी दलों का गठबंधन बनने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। सत्ता के भूखे नेतागण अपनी थाली परोसने में ज्यादा देर नहीं लगाएंगे। हमने ऐसे गठबंधन वाले कितने प्रधानमंत्री देखे हैं। तीन-चार प्रधानमंत्रियों के अलावा सभी प्रधानमंत्री अस्पष्ट बहुमत और स्पष्ट गठबंधन पर अपनी गाड़ी चलातेे रहे। 2014 में नरेन्द्र मोदी को स्पष्ट बहुमत जरूर मिला लेकिन 2019 में वह लहर नहीं है।

मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल जी, देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल और मनमोहन सिंह की सरकारें क्या स्पष्ट बहुमत की सरकारें थीं? इनमें से कौन प्रधानमंत्री बनेगा, यह भी पहले से तय नहीं था। ऐसे में देश चला कि नहीं? वह चला ही नहीं, दौड़ा भी। इन्हीं प्रधानमंत्रियों ने परमाणु परीक्षण किया, कोटा-लाइसैंस राज खत्म किया, आर्थिक उदारीकरण किया, मनरेगा चलाया, सूचना का अधिकार और सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया। शीत-युद्ध की समाप्ति पर भारत को नई विदेश नीति में ढाला। ऐसे में हम देशवासियों को चिंताग्रस्त नहीं होना चाहिए। अपने वोट का इस्तेमाल बहुत सोच-समझ कर करना चाहिए।-डा. वी.पी. वैदिक

Advertising