‘शाकाहार न अपनाने वाले नर्क में जाएंगे’

Tuesday, Feb 20, 2018 - 04:05 AM (IST)

मुम्बई के कांदीवली ईस्ट की गलियों और सड़कों पर रविवार की सुस्ती भरी सुबह का शांत वातावरण अचानक लाऊड स्पीकरों के शोर से तब भंग हो गया जब लोगों का एक समूह शाकाहार की वकालत करते हुए मांसाहार और इसके संभावित नुक्सानों तथा इससे आने वाली बदकिस्मती को कोसते हुए वहां आ धमका। लोग अभी नाश्ता ही कर रहे थे कि 100 के करीब लोग जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे, ठाकुरपुर गांव और आसपास के मोहल्लों की गलियों में घूम-घूम कर लोगों से अनुरोध करने लगे कि वे मांसाहार का परित्याग करें। 

खुद को मेरठ आधारित परम संत बाबा जय गुरुदेव महाराज के शिष्य बताने वाले इन लोगों के अनुसार बाबा जय गुरुदेव की आयु 100 वर्ष से भी अधिक है। उनके अनुयायी एक जलूस की शक्ल में लाऊड स्पीकरों में चीख-चीख कर कह रहे थे कि मांसाहार पाप है तथा इस तरह की खान-पान की आदतें मानवता का सत्यानाश कर रही हैं और जो लोग शाकाहार नहीं अपनाएंगे, वे निश्चय ही नर्क और विनाश की ओर जाएंगे। समूह के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने इस तरह की शाकाहार प्रचार रैलियों का आयोजन मुम्बई के पश्चिमी उपनगरों में भी किया है और इन रैलियों दौरान ‘‘नॉनवैज खाने वालो-शर्म करो, शर्म करो’’ जैसे नारे लगाए गए थे और आगामी कुछ सप्ताह दौरान वे मुम्बई शहर के अधिकतर हिस्से में अपने कार्यक्रम करना चाहते हैं। 

पुलिस की ओर से इस जलूस को अनुमति मिली हुई थी और जैसे-जैसे यह जलूस गलियों में से हो कर गुजरा अनेक दुकानदारों और रेहड़ी वालों को आनन-फानन में अंडों के क्रेट छिपाते हुए देखा गया, जबकि फुटपाथ पर बैठकर मछली बेचने वाली महिलाएं आसपास के गली-कूचों में निकल गईं। जितने भी दुकानदारों और मोहल्लावासियों से पत्रकारों ने बात की, उन सभी ने कहा कि वे इस समूह से पंगा नहीं लेना चाहते क्योंकि आजकल पता नहीं किस बात पर कब और किसकी पिटाई हो जाए। जलूस के नेताओं में से एक सुशील सिंह ने मुझे बताया कि केवल महाराष्ट्र के अंदर ही उनके सम्प्रदाय के हजारों-लाखों सदस्य हैं और उनका उद्देश्य लोगों को मांसाहार और शराबनोशी के नुक्सान के बारे में परामर्श देकर उन्हें इनका परित्याग करने के लिए राजी करना है। 

जब हम लोगों ने उन्हें बताया कि भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने पसंदीदा तरीके अनुसार जीने की आजादी देता है तो सुशील सिंह ने कहा, ‘‘भगवान की यही इच्छा है कि जितने भी लोग प्राणियों को नुक्सान पहुंचाते हैं, उनका विनाश अवश्यंभावी है। यही सार्वभौमिक सत्य है। अब तो पश्चिमी देशों के लोग भी शाकाहार अपना रहे हैं।’’ सुशील सिंह ने दावा किया कि उनके सम्प्रदाय का किसी तरह की राजनीति के साथ कुछ लेना-देना नहीं। तब हमने सुशील सिंह से पूछा कि लोगों की खाने-पीने की आदतों के आधार पर उन्हें शर्मिन्दा करना कहां तक सही है तो उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी रैलियां बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य लोगों को इस बात के लिए मनाना है कि वे पशु वध तथा नशीले पदार्थों से दूर रहें।’’ एक प्रदर्शनकारी ने तो यहां तक कहा कि पाकिस्तान के लोग मांस खाते हैं, इसलिए पाकिस्तान एक विफल सत्तातंत्र है और यह विनाश के मार्ग पर अग्रसर है।-मिताक्ष जैन

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