दिव्यांगों को और प्रोत्साहन की जरूरत

punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2024 - 05:54 AM (IST)

पैरिस पैरालिम्पिक में भारतीय दल का प्रदर्शन राष्ट्र की सलामी का हकदार है। पैरालिम्पिक में प्रतिभागियों द्वारा जीते गए पदकों की संख्या न केवल पैरिस ओलिम्पिक से ज्यादा थी, बल्कि कठिनाई का स्तर और धैर्य भी बहुत ज्यादा था। फिर भी, दुर्भाग्य से, मीडिया के बड़े हिस्से ने उस तरह की कवरेज नहीं दी, जो नियमित ओलिम्पिक को दी जाती थी और यहां तक कि सरकार ने भी पैरालिम्पिक पदक विजेताओं के लिए वैसी उदारता नहीं दिखाई।

उन्हें उस तरह का स्वागत भी नहीं मिला, जैसा कि नियमित ओलिम्पिक के पदक विजेताओं को जनता और सरकार से मिलता था। खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्वर्ण पदक विजेताओं को 75 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया, जबकि रजत पदक विजेताओं को 50-50 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेताओं को 30-30 लाख रुपए दिए गए। यह राशि पैरिस ओलिम्पिक के विजेताओं को दी गई राशि से काफी कम है। विजेताओं के किसी भी राज्य ने ओलिम्पिक पदक विजेताओं के विपरीत उनके लिए किसी विशेष पुरस्कार की घोषणा नहीं की है। 

मंत्री ने बताया कि देश के पैरा एथलीट लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार कर रहे हैं। 2016 में 4 पदक, 2020 में 19 और हाल ही में सम्पन्न पैरालिम्पिक में पदकों की संख्या बढ़ कर 29 हो गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले पैरालिम्पिक में पदकों की संख्या बढ़ेगी और पैरा खिलाडिय़ों के लिए अधिक सुविधाएं देने का आश्वासन दिया। 29 पदकों में एथलैटिक्स, बैडमिंटन और तीरंदाजी जैसे विविध खेलों में 7 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक और 13 कांस्य पदक शामिल हैं। अवनि लेखरा एकमात्र महिला स्वर्ण पदक विजेता रहीं, जबकि अन्य स्वर्ण पदक विजेताओं में नितेश कुमार (बैडमिंटन), हरविंदर सिंह (तीरंदाजी), सुमित अंतिल, धर्मबीर, प्रवीण कुमार और नवदीप सिंह (सभी एथलैटिक्स) शामिल थे। 

चीन 94 स्वर्ण सहित 220 पदकों के साथ पदक तालिका में शीर्ष पर रहा। ग्रेट ब्रिटेन 124 पदकों के साथ दूसरे स्थान पर और संयुक्त राज्य अमरीका 105 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। भारत पिछले पैरालिम्पिक में 24वें स्थान से ऊपर 18वें स्थान पर रहा। स्पष्ट रूप से चीन पैरा और सक्षम शारीरिक खेलों दोनों में भारी निवेश कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने पिछले साल अकेले खेलों पर 3.2 बिलियन डालर खर्च किए थे।

चीन के उल्लेखनीय प्रभुत्व का एक अन्य कारण प्रारंभिक स्काऊटिंग है, यानी बहुत कम उम्र में प्रतिभा की खोज और लंबी अवधि तक सावधानीपूर्वक प्रशिक्षण। विशेषज्ञ बताते हैं कि चीन में बड़ी संख्या में पैरा एथलीट ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्हें राज्य प्रायोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है।हाल ही में भारत ने भी खेलों में निवेश करना शुरू किया है और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों ने स्कूलों में प्रतिभाओं की खोज जैसे विशेष कदम उठाए हैं। हालांकि खेलों की एक बड़ी विविधता को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। 

दुर्भाग्य से देश में क्रिकेट एक जुनून बना हुआ है और इसे अनुपातहीन रूप से अधिक ध्यान मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय खेलों में प्रदर्शन देश की वृद्धि को दर्शाता है और कुछ विशेषज्ञ इसे सकल घरेलू उत्पाद से भी जोड़ते हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और इसलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रदर्शन में सुधार की बहुत बड़ी संभावना है। देश की प्रगति और विकास के प्रतिबिंब के अलावा, पैरा एथलीटों और सभी विकलांग व्यक्तियों पर विशेष ध्यान देना समावेशिता को दर्शाता है और दिखाता है कि हमारा समाज कैसे विकसित हुआ है। सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के अलावा, प्रत्येक नागरिक का यह कत्र्तव्य है कि वह दिव्यांगों के प्रति सहानुभूति दिखाए। -विपिन पब्बी


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